नई दिल्ली। कृषि बिलों को लेकर पंजाब और हरियाणा के किसान के प्रदर्शनों का शनिवार को तीसरा दिन है। किसान आज भी दिल्ली बॉर्डर (सिंघु और टीकरी) पर डटे हुए हैं। सिंघु पर शुक्रवार को हुए संघर्ष के बाद के किसानों को दिल्ली में एंट्री की इजाजत सरकार ने दे दी। दिल्ली सरकार ने कहा कि किसान बुराड़ी के निरंकारी ग्राउंड पर प्रदर्शन कर सकते हैं, लेकिन किसानों ने दिल्ली में एंट्री से इनकार कर दिया। उनका कहना है कि दिल्ली को घेरने आए हैं, न कि दिल्ली में घिर जाने के लिए।
शुक्रवार रात हजारों किसान सिंघु बॉर्डर पर ही रहे। उनका कहना है कि हम हाईवे पर ही प्रदर्शन करेंगे। एक किसान ने कहा कि हमारे पास 6 महीने का राशन है। किसानों के खिलाफ बने काले कृषि कानूनों से मुक्ति के बाद ही वापस जाएंगे।
दिल्ली-NCR के कई कॉलेजों ने परीक्षाएं टालीं
दिल्ली-NCR के कई कॉलेजों ने किसान प्रदर्शन के चलते परीक्षाएं टाल दी हैं। इससे बाहर से आने वाले छात्रों की परेशानी बढ़ गई हैं। उनका कहना है कि कॉलेज इसके बारे में पहले से कोई सूचना नहीं दी थी, अचानक से परीक्षा टालने का फैसला ले लिया।
पुलिस ने 8 बार रोकने की कोशिश की, पर रोक नहीं पाए
सिंघु बॉर्डर पर दिल्ली पुलिस ने तीन लेयर में बैरिकेडिंग कर रखी थी। सबसे आगे कंटीले तार थे। फिर ट्रकों को बैरिकेड की तरह लगाया गया। आखिर में वॉटर कैनन तैनात थी। इतने इंतजाम भी किसानों को नहीं रोक पाए। पंजाब-हरियाणा बॉर्डर से दिल्ली बॉर्डर तक तीन राज्यों की पुलिस ने 8 बार बड़ी नाकेबंदी कर किसानों को रोकने की कोशिश की, लेकिन किसान हर बार ट्रैक्टर के सहारे आगे बढ़ते गए। बीच-बीच में पथराव भी हुआ।
पानीपत में लगातार दूसरे दिन संघर्ष
पुलिस और किसानों के बीच लगातार दूसरे दिन बड़ा टकराव पानीपत में हुआ। बड़ी तादाद में किसान बैरिकेडिंग तोड़ते हुए दिल्ली की तरफ आगे बढ़ गए। पीछे-पीछे पंजाब के किसान भी थे। इनकी हरियाणा पुलिस से झड़प होती रही। पानीपत के सेक्टर-29 के थाने के पास पुलिस ने जेसीबी मशीन बुला ली और सड़कों को खोद दिया। कई किसान शिवा गांव के पास मेन हाईवे पर खेतों से होते हुए कई किलोमीटर लंबे बैरिकेड को पार कर दिल्ली की तरफ आगे बढ़ गए।
पुलिस ने सड़कें खोदीं, लेकिन किसान अपना रास्ता बनाते गए
जिस तरह बस्तर के कई नक्सल प्रभावित इलाकों में सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे दिखाई पड़ते हैं, ठीक वैसे ही गड्ढे हाईवे पर दिखाई दिए। पुलिस ने कई JCB लगा दी। बैरिकेडिंग के लिए ट्रकों का इस्तेमाल किया। इसके बाद भी किसान खेतों के सहारे अपना रास्ता बनाते गए। किसानों की दिल्ली में बड़े आंदोलन की तैयारी है। इसके लिए वे ट्रैक्टरों पर गैस सिलेंडर और चूल्हे लेकर चल रहे हैं।
केंद्र ने कहा- 3 दिसंबर को बात करेंगे, लेकिन किसान मांगों पर अड़े
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील करते हुए कहा कि 3 दिसंबर को उनसे बात की जाएगी, पर किसान अपनी बात पर अडे़ हैं। वे केंद्र के तीनों कृषि बिलों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
क्यों हो रहा प्रदर्शन?
केंद्र सरकार ने कृषि सुधारों के लिए 3 कानून द फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फेसिलिटेशन) एक्ट; द फार्मर्स (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑफ प्राइज एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेस एक्ट और द एसेंशियल कमोडिटीज (अमेंडमेंट) एक्ट बनाए थे। इनके विरोध में पंजाब और हरियाणा के किसान पिछले दो महीनों से सड़कों पर हैं। किसानों को लगता है कि सरकार MSP हटाने वाली है, जबकि खुद प्रधानमंत्री इससे इनकार कर चुके हैं।