लखनऊ। भारतीय काल गणना और ज्योतिषाचार्यों के अनुसार आजादी के बाद दूसरी बार नागपंचमी को लेकर मौका सामने आने वाला है। उल्लेखनीय है कि इस बार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर मनाए जाने वाला नागपंचमी पर्व का खास महत्व रहेगा। देश की आजादी के बाद दूसरी बार १५ अगस्त के दिन नागपंचमी मनाई जाएगी। इसी दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा। यह शुभ योग १५ अगस्त को सुबह ११.४८ से शुरू होकर शाम ४.१३ बजे तक रहेगा। इससे ३८ साल पहले १५ अगस्त १९८० को स्वतंत्रता दिवस पर नागपंचमी आई थी। ज्योतिषियों के अनुसार श्रावण शुक्ल पंचमी को इस बार पूर्ण कालसर्प योग भी होने के कारण नागपंचमी का महत्व और भी बढ़ गया है। १५ अगस्त १९४७ की मध्यरात्रि के समय पुष्य नक्षत्र तथा चंद्रमा व चार अन्य ग्रह सूर्य, बुध, शुक्र, शनि की साक्षी में पंचग्रही योग था। इस दिन पूर्ण कालसर्प योग भी था।
इसी वजह से देश की कुंडली में पूर्ण कालसर्प योग है। यही कारण है कि यह विशेष दिन पर बनने वाला योग सुख-समृद्धि और शांति उपाय की शुभ घड़ी लेकर आ रहा है। पुराणों के अनुसार पृथ्वी का भार शेषनाग ने अपने सिर पर उठाया हुआ है, इसलिए उनकी पूजा का विशेष महत्व है। नाग देवता के साथ इस दिन गरुड़ की भी पूजा की जाती है। ज्योतिष शास्त्र में जातक की कुंडली में योगों के साथ-साथ दोषों को भी देखा जाता है। कुंडली के दोषों में कालसर्प दोष एक बहुत ही महत्वपूर्ण दोष होता है। इस दोष से मुक्ति के लिए नाग देवता की पूजा करने के साथ-साथ दान दक्षिणा का महत्व हैं। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष है तो नागपंचमी के दिन पूजा करने से कालसर्प दोष दूर हो जाता है। इसके अलावा इस दिन पर रुद्राभिषेक करने से भी जातक की कुंडली से कालसर्प दोष दूर हो जाता है।