आतिशी… सलाहकार से मनोनीत मुख्यमंत्री तक का ‘अद्भुत’ सफर

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की अरविंद केजरीवाल सरकार की सलाहकार से लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की अनुपस्थिति में कैबिनेट का प्रमुख चेहरा बनने और अब मनोनीत मुख्यमंत्री तक का सफर आतिशी ने ‘‘बहुत तेजी’’ से तय किया है जिसे ‘अभूतपूर्व और असाधारण’ माना जा रहा है। दिल्ली सरकार में सबसे अधिक मंत्रालयों का कार्यभार संभालने वाली 43 वर्षीय आतिशी, सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित के बाद राष्ट्रीय राजधानी की मुख्यमंत्री बनने वाली तीसरी महिला होने का गौरव भी हासिल करेंगी।

मंगलवार को आप विधायक दल की बैठक में उन्हें सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री पद के लिए चुना गया। इसके बाद आतिशी ने अरविंद केजरीवाल को अपना ‘गुरु’ बताते हुए अपना उत्तराधिकारी चुनने के लिए उनका आभार जताया और कहा कि वह बीजेपी के अवरोधों से लोगों के हितों की रक्षा करने के लिए उनके मार्गदर्शन में काम करेंगी।

इस समय दिल्ली सरकार में अनेक विभागों का प्रभार संभाल रहीं आतिशी ने कहा कि आप जैसी पार्टी ही उनके जैसे नए नेता को ऐसी जिम्मेदारी सौंप सकती है। आतिशी दिल्ली विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले ही मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं, इसलिए उनके सामने कई चुनौतियां भी हैं। उन्हें ‘मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना’ और ‘इलेक्ट्रिक वाहन 2.0’ नीति जैसी प्रमुख योजनाओं को मंजूरी देने और उन्हें तेजी से आगे बढ़ाने के लिए कैबिनेट बैठकें करनी होंगी।

आतिशी आप की संस्थापक सदस्य रही हैं और उन्होंने इसकी नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें 2013 के घोषणापत्र मसौदा समिति के प्रमुख सदस्य के रूप में शामिल होना भी शामिल है। आतिशी पार्टी के सिद्धांतों की मुखर वकालत के लिए पहचानी जाती हैं।

आतिशी ने मध्य प्रदेश के एक गांव में सात साल बिताए, जहां उन्होंने जैविक खेती और प्रगतिशील शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया। पार्टी के एक पदाधिकारी के अनुसार, इस अनुभव ने राजनीतिक बदलाव के प्रति उनके समर्पण को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।भले1 ही आतिशी 2013 में आप में शामिल हुईं, लेकिन वे शिक्षा संबंधी नीतियों पर सरकार के सलाहकार के रूप में काम करते हुए पृष्ठभूमि में रहीं। वर्ष 2019 में चुनावी राजनीति में कदम रखते हुए उन्होंने बीजेपी के गौतम गंभीर के खिलाफ पूर्वी दिल्ली से लोकसभा चुनाव लड़ा था। हालांकि वह चुनाव हार गईं।

सक्रिय राजनीति में आने से पहले आतिशी ने अपना उपनाम ‘मर्लेना’ हटा दिया था, जो मार्क्स और लेनिन का मिश्रण है, क्योंकि वह चाहती थीं कि उनके राजनीतिक जुड़ाव को गलत तरह से नहीं समझा जाना चाहिए। वर्ष 2020 में, आतिशी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ा और कालकाजी सीट से विधायक चुनी गईं। उन्हें ऐसे समय में कैबिनेट में शामिल किया गया था जब पिछले साल फरवरी में आबकारी नीति मामले में मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद सरकार संकट का सामना कर रही थी।

सिसोदिया तब न केवल दिल्ली के उपमुख्यमंत्री थे, बल्कि कई प्रमुख विभागों को संभाल रहे थे। समस्या तब और बढ़ गई जब सरकार के एक अन्य प्रमुख सहयोगी सत्येंद्र जैन ने भी उसी समय कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। इस दौर में आतिशी पार्टी और सरकार में बड़ा चेहरा बनकर उभरीं और वर्तमान में वह वित्त, पीडब्ल्यूडी और  शिक्षा जैसे प्रमुख विभागों सहित कई विभागों को संभाल रही हैं। 2022 में आतिशी ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने  दिल्ली को शहरी शासन के लिए एक वैश्विक मॉडल के रूप में पेश किया।

उनके पिता विजय सिंह और मां तृप्ता वाही दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहे हैं। आतिशी ने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और अपने बैच में शीर्ष स्थान हासिल किया। उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से शिक्षा और इतिहास में स्नातकोत्तर उपाधि भी प्राप्त की है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here