नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को ‘आत्मनिर्भर भारत’ को बढ़ावा देने के लिए कई बड़ी घोषणाएं की हैं, जिसमें अगले 6 से 7 सालों में घरेलू रक्षा उद्योग को लगभग 4 लाख करोड़ रुपये का ऑर्डर दिए जाने की बात कही गई है। मंत्रालय ने 101 सामानों की सूची तैयार कर उनके आयात पर रोक लगा दी है, जिसमें सामान्य पार्ट्स के अलावा कुछ उच्च तकनीक की हथियार प्रणाली भी शामिल हैं। प्रतिबंधित किये गए 101 उपकरण भारत में बनेंगे।
आयात प्रतिबंधों की सूची में बख्तरबंद लड़ाकू वाहन (एएफवी) को भी शामिल किया गया है। इस फैसले से भारत के रक्षा उद्योग को बड़े पैमाने पर उत्पादन का मौका मिलेगा। इन उपकरणों को तैयार करने में रक्षा अनुसंधान और विकास संस्थान (डीआरडीओ) की मदद ली जाएगी। इसे तीनों सेनाओं की जरूरत के हिसाब से तैयार किया जाएगा।
राजनाथ के 6 अहम ऐलान
- प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत के लिए 5 स्तंभ बताए थे, जिनमें इकोनॉमी, इन्फ्रास्ट्रक्चर, सिस्टम, डेमोग्राफी और डिमांड के साथ स्पेशल पैकेज का ऐलान किया था।
- यह फैसला भारत के रक्षा बाजार के आत्मनिर्भर बनने की दिशा में बड़ा मौका होगा। इससे हमारी डेवलपमेंट कैपेबिलिटी में भी इजाफा होगा। सामानों को आर्म्ड फोर्स की मांग और डीआरडीओ की डिजाइन के आधार पर बनाया जाएगा।
- इन 101 सामानों की लिस्ट को कई स्टेकहोल्डर्स मसलन आर्म्ड फोर्सेस, प्राइवेट इंडस्ट्रीज से कई बार विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया है।
- तीनों सेनाओं ने अप्रैल 2015 से अगस्त 2020 के बीच ऐसी 260 स्कीम्स पर काम किया। इनकी लागत करीब 3.5 लाख करोड़ रुपए थी। अगले 6 या 7 साल में डोमेस्टिक डिफेंस इंडस्ट्री को करीब 4 लाख करोड़ रुपए के कॉन्ट्रैक्ट मिलने की उम्मीद है।
- 4 लाख करोड़ रुपए के इन कॉन्ट्रैक्ट्स में से करीब एक लाख 30 हजार करोड़ रुपए के उपकरण सेना और एयरफोर्स को जबकि करीब एक लाख 40 हजार करोड़ के इक्विपमेंट्स नेवी को मिलेंगे। आयात पर प्रतिबंध को चार साल (2020-2024) में लागू करने की योजना है।
- 101 सामानों की लिस्ट में केवल सामान्य उपकरण ही नहीं हैं, बल्कि इसमें उच्च तकनीक वाले वेपन सिस्टम मसलन आर्टिलरी गन, असॉल्ट राइफल, सोनार सिस्टम, ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, एलसीएच रडार समेत अन्य आइटम शामिल हैं।
शनिवार को हुई थी भारत-चीन के बीच बातचीत
भारत और चीन के बीच शनिवार को मेजर जनरल स्तर की बातचीत हुई थी। यह करीब 8.30 घंटे चली। माना जा रहा है कि बातचीत के दौरान पूर्वी लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) और देप्सांग समेत लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के तनाव वाले इलाकों से सेना पीछे हटाने को लेकर चर्चा हुई। चीनी सेना देप्सांग, पैंगोंग त्सो लेक और गोगरा से अब तक पीछे नहीं हटी है। भारत ने उसे फौरन इन इलाकों से पीछे हटने को कहा है।
मंत्रालय ने 2020-21 के लिए पूंजी खरीद बजट को घरेलू और विदेशी रूट में बांट दिया है। वर्तमान वित्त वर्ष में ही करीब 52 हजार करोड़ रुपये अलग बजट तैयार किया गया है। इनमें से लगभग 1,30,000 करोड़ रुपये की वस्तुएं सेना और वायु सेना के लिए हैं, जबकि नौसेना के लिए लगभग 1,40,000 करोड़ रुपये मूल्य की वस्तुओं का अनुमान लगाया गया है।
उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे कि आयात प्रतिबंधित किये गए उपकरणों का उत्पादन समय-सीमा के अन्दर घरेलू रक्षा उद्योग द्वारा तैयार किया जाए, ताकि सेना की जरूरतें समय पर पूरी की जा सकें। इसके लिए रक्षा उद्योग पर निगरानी के लिए एक समन्वित तंत्र शामिल होगा।