मेरठ। कोरोना महामारी में ऑक्सीजन लेवल की जांच की जाना बेहद जरूरी है। इसके लिए ऑक्सीमीटर की खासी डिमांड है। मेरठ में हालात का फायदा उठाकर नकली ऑक्सीमीटर बनाने वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। इसके 5 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इनके पास से 200 ऑक्सीमीटर बरामद हुए हैं। हैरानी की बात है कि ये सभी आरोपी 8वीं फेल हैं।
मेरठ के एसएसपी अजय साहनी ने बताया कि शहर में लिसाड़ी गेट इलाके के एक मकान में अवैध तरीके से ऑक्सीमीटर बनाए जा रहे थे। सर्विलांस टीम के एक्सपर्ट मनोज दीक्षित को सादा कपड़ों में ग्राहक बनाकर भेजा गया। करीब 2 घंटे की जांच-पड़ताल में पता चला कि बंद मकान में अवैध तरीके से ऑक्सीमीटर बनाने की फैक्ट्री चल रही है।
गैस कटर बनाने का काम करता था
इस गिरोह का सरगना इमरान है, जो बुनकर नगर थाने के लिसाड़ी गेट का रहना वाला है। सर्विलेंस टीम के प्रभारी मनोज दीक्षित ने बताया कि इमरान आठवीं फेल है। वह गैस कटर बनाने के उपकरण का काम करता था। जैसे ही कोरोना ने रफ्तार पकड़ी, तो इमरान ने फर्जी ऑक्सीमीटर बनाने का काम शुरू कर दिया। एक ऑक्सीमीटर को 2500 से 3500 रुपये तक में बेचा जा रहा था। पिछले दो महीने में उसके गैंग ने 4 से 5 हजार लोगों को इस नकली ऑक्सीमीटर की सप्लाई की है।
मरीजों की जान से बड़ा खिलवाड़
फर्जी ऑक्सीमीटर मरीजों की जिंदगी के लिए खतरनाक हो सकता है। दरअसल ऑक्सीमीटर से ही पता लगता है कि मरीज का ऑक्सीजन लेवल कितना है और सिलेंडर से जब ऑक्सीजन सप्लाई की जाती है, तो उसे कितनी मात्रा की जरूरत है। ऐसे में नकली ऑक्सीमीटर से कितने मरीजों की जान पर बनी होगी, इसका अंदाजा किसी को नहीं है। अब पुलिस इस बात का पता लगा रही है कि ये ऑक्सीमीटर कहां-कहां सप्लाई किए गए हैं।
बिल्कुल ओरिजनल जैसा मार्का
मेरठ में जो नकली ऑक्सीमीटर बरामद किए गए हैं, वे देखने में एकदम ओरिजिनल की तरह दिखते हैं। पुलिस ने बड़ी संख्या में इन्हें बनाने के कलपुर्जे भी बरामद किए हैं। कई लोगों को ये नकली ऑक्सीमीटर ऑन डिमांड भी सप्लाई किए गए हैं। पकड़े न जाएं, इसलिए गिरोह के मेंबर ज्यादातर वॉट्सऐप कॉल पर बात करते थे। पुलिस ने इमरान के अलावा समीर, नदीम और 2 अन्य लोगों को गिरफ्तार किया है।