नई दिल्ली। भारत की पहली स्वदेशी प्रौद्योगिकी क्रूज मिसाइल (आईटीसीएम) प्रणाली का लगातार दूसरा परीक्षण तकनीकी खराबी के चलते फ्लॉप हो गया। 2020 से अब तक किए गए आईटीसीएम के तीन परीक्षणों में से दो विफल रहे हैं और एक ने ‘आंशिक सफलता’ हासिल की है। इंजन में तकनीकी खराबी आने से मिसाइल प्रणाली अपने पूर्व निर्धारित मार्ग से भटक गई, जिससे रक्षा वैज्ञानिकों को मध्य हवा में मिशन रोकने के लिए मजबूर होना पड़ा। हथियार प्रणालियों में विफलता के कारण मिसाइल प्रणाली प्रक्षेपण के 30 सेकंड के भीतर समुद्र में गिर गई।
रक्षा सूत्रों ने कहा कि भारत की स्वदेशी प्रौद्योगिकी क्रूज मिसाइल (आईटीसीएम) प्रणाली का ताजा परीक्षण शुक्रवार को ओडिशा तट के एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) से किये जाने की तैयारी की गई थी। यह परीक्षण स्वदेशी रूप से विकसित छोटे टर्बो फैन इंजन (एसटीएफई) ‘माणिक’ और एक उन्नत रेडियो फ्रीक्वेंसी सीकर के साथ किया जाना था।
इंजन को विशेष रूप से डिजाइन किए गए मोबाइल लॉन्चर से शुरुआती टेक-ऑफ के बाद शुरू होना था, लेकिन तकनीकी खराबी के कारण यह शुरू नहीं हुआ। शुरुआती बूस्टर चरण के बाद इंजन में तकनीकी खराबी आ गई और मिसाइल प्रणाली पूर्व-निर्धारित प्रक्षेपवक्र से विचलित हो गई, जिससे रक्षा वैज्ञानिकों को मध्य हवा में मिशन रोकने के लिए मजबूर होना पड़ा। हथियार प्रणालियों में विफलता के कारण मिसाइल प्रणाली प्रक्षेपण के 30 सेकंड के भीतर समुद्र में गिर गई।
गैस टर्बाइन अनुसंधान प्रतिष्ठान (जीटीआरई) ने इस स्वदेशी प्रौद्योगिकी क्रूज मिसाइल के लिए छोटे टर्बो फैन इंजन (एसटीएफई) ‘माणिक’ को विकसित किया है। जीटीआरई का कहना है कि इससे लंबी दूरी तक जमीनी हमला करने वाली क्रूज मिसाइल विकसित करने का मार्ग प्रशस्त होगा, जिसकी देश को लंबे समय से उम्मीद है।
परीक्षण के समय इंजन शुरू न होने के पीछे वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी यह कहना मुश्किल है कि यह कैसे हुआ और क्या इसके लिए कोई बाहरी कारक जिम्मेदार था। उन्होंने कहा कि सिस्टम के डिजाइन के साथ यदि कोई समस्या है तो उस पर भी गौर किया जाएगा।
स्वदेशी प्रौद्योगिकी क्रूज मिसाइल (आईटीसीएम) की यह पिछले दो वर्षों में दूसरी विफलता थी। 2020 से अब तक किए गए तीन परीक्षणों में से दो विफल रहे हैं और एक ने ‘आंशिक सफलता’ हासिल की है। पहले परीक्षण के दौरान 12 अक्टूबर, 2020 को मिसाइल सिस्टम पूर्व-समन्वित उड़ान पथ से विचलित हो गया, जिससे मिसाइल को मध्य हवा में रोकना पड़ा था। पिछले साल 11 अगस्त को दूसरा परीक्षण हालांकि ‘आंशिक रूप से’ सफल रहा क्योंकि इंजन ने उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन किया लेकिन मिसाइल प्रणाली नियंत्रण तंत्र के साथ कुछ मुद्दों के कारण वांछित सीमा तक नहीं जा सकी थी।