इंपोर्ट ड्यूटी: विदेशी कंपनियों की भारत आने की योजनाओं को लगेगा झटका

नई दिल्ली। सरकार ने मोबाइल फोन के कुछ कंपोनेंट पर बजट में जो 2.5% का आयात शुल्क लगाने का प्रस्ताव दिया है, उसको हैंडसेट कंपनियां वापस लिए जाने की मांग कर रही हैं। उनका कहना है कि इससे हैंडसेट बनाने वाली घरेलू कंपनियों को तो नुकसान होगा ही, ग्लोबल वैल्यू सप्लाई चेन में जुड़ी कंपनियों के भारत आने की योजनाओं को भी झटका लगेगा।

उनके अनुसार, इंपोर्ट टैरिफ के चलते प्रॉडक्शन लिंक्ड इनसेंटिव यानी PLI स्कीम के अंदर तय किए गए इनवेस्टमेंट और प्रॉडक्शन के टारगेट हासिल करने में भी दिक्कत आएगी।

इंपोर्ट ड्यूटी से खत्म हो जाएगा PLI से इंडस्ट्री को मिल रहे प्रोत्साहन का फायदा

इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक पत्र भेजा है। उसमें उसने कहा है कि इंपोर्ट ड्यूटी लगाए जाने से PLI के जरिए इंडस्ट्री को मिल रहे प्रोत्साहन का फायदा खत्म हो जाएगा।

एपल, फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन, लावा, सैलकॉम्प और माइक्रोमैक्स जैसी दिग्गज मोबाइल फोन कंपनियां ICEA की मेंबर हैं। ICEA का कहना है कि कुछ मोबाइल कंपोनेंट पर इंपोर्ट ड्यूटी लगाए जाने से PLI स्कीम के अंदर अगले पांच साल में साढ़े दस लाख करोड़ रुपये के मोबाइल बनाने का टारगेट हासिल करने में भी मुश्किल आएगी।

बैटरी कवर, फ्रंट और बैक कवर, सिम सॉकेट बनाने वाली कंपनियों को नुकसान

ICEA के चेयरमैन पंकज मोहिंद्रू ने अपने पत्र में इंपोर्ट ड्यूटी को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उसको तुरंत वापस लिए जाने की मांग की है। इंडस्ट्री का कहना है कि इंपोर्ट ड्यूटी लगाए जाने से मोबाइल फोन के बैटरी कवर, फ्रंट कवर, सिम सॉकेट और बैक कवर जैसे मेकेनिकल प्रॉडक्ट बनाने वाली कंपनियों को नुकसान होगा।

मोबाइल फोन के मेकेनिकल प्रॉडक्ट्स बनाने में इस्तेमाल होने वाले कंपोनेंट पर कोई इंपोर्ट ड्यूटी नहीं लगती है, बस 18 पर्सेंट जीएसटी लगता है। लेकिन अगले वित्त वर्ष में इन पर 18 पर्सेंट जीएसटी के अलावा 2.5% से 15% तक की इंपोर्ट ड्यूटी लगाने का प्रस्ताव किया गया है।

ग्लोबल वैल्यू चेन से जुड़ी कंपनियों को ड्यूटी में अक्सर बदलाव किया जाना पसंद नहीं

एसोसिएशन का कहना है कि इंपोर्ट ड्यूटी लगाने का प्रस्ताव अचानक लिया गया है और वह बजट के बाद दिए गए फाइनेंस सेक्रेटरी के बयान के उलट है। ICEA के मुताबिक, फाइनेंस सेक्रेटरी कहा था कि सरकार निवेशकों को टैक्स रेट में स्थिरता वाला माहौल देने के लिए उससे कोई छेड़छाड़ नहीं कर रही है।

मोहिंद्रू ने पत्र में लिखा है, ‘ग्लोबल वैल्यू चेन से जुड़ी कंपनियों को ड्यूटी और टैक्स स्ट्रक्चर में अक्सर बदलाव किया जाना पसंद नहीं। इसलिए रेवेन्यू सेक्रेटरी के बयान के हिसाब से अक्टूबर 2020 के बाद उसमें ठहराव लाना जरूरी था।’

घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इंपोर्ट ड्यूटी लगाने का जमाना गया

एपल के लिए आईफोन बनाने वाली कंपनियों- विस्ट्रॉन और फॉक्सकॉन के अलावा सैमसंग के कॉन्ट्रैक्ट मेकर्स का स्मार्टफोन सेगमेंट के ग्लोबल वैल्यू सप्लाई चेन में 80 पर्सेंट से ज्यादा हिस्सा है। ये प्रॉडक्शन लिंक्ड इनसेंटिव स्कीम के बड़े आवेदकों में भी शामिल हैं।

इंडस्ट्री का कहना है कि घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इंपोर्ट ड्यूटी लगाने का जमाना गया, अब उसका सबसे अच्छा तरीका PLI स्कीम हो गया है। सरकार ने घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 2015-2018 के दौरान फेज्ड मैन्युफैक्चरिंग प्लान लागू किया था। उसमें कुछ इलेक्ट्रॉनिक्स प्रॉडक्ट्स पर इंपोर्ट ड्यूटी लगाई गई थी।

‘ड्यूटी बढ़ाकर पैरों पर कुल्हाड़ी मारी; कॉस्ट बढ़ेगी, कॉम्पिटिशन कैपेसिटी घटेगी’

मोहिंद्रू ने पत्र में लिखा है, ‘बजट में अचानक इंपोर्ट ड्यूटी लगाने की वजह ग्लोबल वैल्यू चेन के जरिए घरेलू उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देने की मंशा बताई गई है, लेकिन उसका यह मकसद पूरा नहीं हो पाएगा। क्योंकि ये प्रॉडक्ट्स इंडियन कंपनियां न तो अभी बना रही हैं और न ही अगले 3-5 साल तक बना पाएंगी। हमने ड्यूटी बढ़ाकर अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है क्योंकि इससे हमारी कॉस्ट बढ़ेगी और कॉम्पिटिशन करने की कैपेसिटी घटेगी।’

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