नई दिल्ली। मई 2020 में केंद्र सरकार ने बड़े जोर-शोर से 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की थी। सरकार की इस घोषणा की कॉरपेट व आम नागरिकों ने खूब सराहना की थी, लेकिन इस आर्थिक पैकेज की सच्चाई बिल्कुल अलग है।
मोदी सरकार और उनका पूरा महकमा आज भी इस पैकेज का जिक्र कर अपनी पीठ थपथपाने में जुटा हुआ है लेकिन सच्चाई यह है कि इस 20 लाख के आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज में से सिर्फ 3 लाख करोड़ के प्रस्ताव मंजूर हुए है, जबकि इस रकम में से 10 प्रतिशत ही निधि यानी 1.2 लाख करोड़ रुपये ही राज्य सरकारों के वितरित किए जा सके हैं।
यह खुलासा एक आरटीआई में हुआ है। आरटीआई के मुताबिक इस प्रोत्साहन रूपी कर्ज के तहत सबसे ज्यादा कर्ज लेने वाले राज्यों में महाराष्ट्र, तमिलनाडु और गुजरात है।
इन तोन राज्यों ने ईसीएलजीएस के तहत क्रमश: 14,364.30 करोड़ रुपये 12445.53 करोड़ रुपये आर 12,005.942 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है।
पुणे निवासी प्रफुल्ल शारदा ने आरटीआई के तहत केंद्र सरकार से इस पैकेज के बरे में जनकारी मांगी थी। आरटीआई में कुछ चौंकाने वाले जवाब मिले हैं।
शारदा ने बताया कि आरटीआई के तहत मंत्रालय ने दो बार अपील करने के बाद जानकारी दी कि आत्मनिर्भर भारत गारंटी योजना अभियान के तहत, एक इमरजेसी क्रेडिट लाइन गारंटी योजना शुरू की गई थी। यह योजना 31 अक्टूबर तक या ईसीएलजीएस के तहत 3 लाख-करोड़ रुपये के स्वीकृत होने तक, इनमें से जो भी पहले हो, उस समय तक उपलब्ध थीं।
हालांकि ईसीएलजीएस के माध्यम से 3 लाख करोड़ रुपये के कर्ज मंजूर किए जा चुके हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने विभिन्न राज्यों को कर्ज के रूप में लगभग 1.20 लाख करोड़ रुपये ही दिए हैं।
शारदा ने कहा कि सबसे बड़ा सवाल यह है कि घोषणा के 8 माह बद कुल पैकेज में से 17 लाख-करोड़ रुपये की शेष राशि कहां गई। देश की 130 करोड़ की आबादी के हिसाब से कोविड राहत पैकेज के तहत प्रति नागरिक केवल 8 रुपये का ही लोन दिया गया है।
मालूम हो तालाबंदी के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में विनिर्माण क्षेत्र, आतिथ्य और पर्यटन उद्योग, मीडिया और संबद्ध क्षेत्र के साथ ही असंगठित क्षेत्र के सभी उद्योग शामिल हैं।
इसके अलावा, 6 करोड़ से अधिक एमएसएमई और एसएमई सेक्टर्स बंद हो गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले आठ महीने में ही 15 करोड़ से अधिक लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।
देश में कोरोना महामारी के कारण मार्च 2020 से ही लॉकडाउन लगाया गया था । लॉकडाउन से देश की आर्थिक गतिविधियां ठप हो गई, जिससे जीडीपी ग्रोथ भी घट गई। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 20 लाख करोड़ रुपये के ऐतिहासिक वित्तीय पैकेज की घोषणा की थी।