वॉशिंगटन। अमेरिकी लॉ फर्म विल्मरहेल द्वारा एक स्वतंत्र जांच से पता चला है कि वर्ल्ड बैंक ग्रुप की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (EODB) रैंकिंग को लेकर भारत के डेटा में कोई अनियमितता नहीं देखी गई है। जांच से पता चला है कि निवेश के लिए भारत दुनिया के लिए एक पसंदीदा और भरोसेमंद जगह बना हुआ है। वहीं चीन की चोरी एक बार फिर पकड़ी गई है। रिपोर्ट के मुताबिक रैंकिंग में गिरावट को छिपाने के लिए चीन ने बड़े पैमाने पर डेटा में हेरफेर किए हैं।
पिछले हफ्ते वर्ल्ड बैंक ने 2017 में चीन की रैंकिंग को बढ़ावा देने के लिए कुछ टॉप बैंक अधिकारियों पर दबाव और डेटा अनियमितताओं के आरोपों के बाद अपनी EODB रिपोर्ट का प्रकाशन बंद करने का फैसला किया है। रिपोर्ट रेगुलेटरी वातावरण, बिजनेस स्टार्टअप की आसानी, बुनियादी ढांचे और अन्य व्यावसायिक जलवायु उपायों का आकलन करती है।
लॉ फर्म विल्मरहेल ने 80,000 डॉक्यूमेंट्स का अध्ययन किया और 2018 और 2020 की EODB रैंकिंग पर अपनी रिपोर्ट तैयार करने के लिए व्यापक इंटरव्यू का इस्तेमाल किया। विल्मरहेल ने बताया है कि 2017 में संवेदनशील पूंजी जुटाने वाले साल के दौरान, चीन अपने दबदबे से फायदा उठाने में सक्षम था। टॉप अधिकारियों पर दबाव नहीं डालने से चीन की रैंकिंग 78-85 तक गिर सकती थी।
वर्ल्ड बैंक के अध्यक्ष जिम योंग किम और तत्कालीन मुख्य कार्यकारी क्रिस्टालिना जॉर्जीवा के निर्देश पर, डूइंग बिजनेस टीम को 78 पर रैंक रखने का निर्देश दिया गया था। जांच के नतीजों के मुताबिक पूरा प्रकरण बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी को उजागर करता है, जिस पर चीनी डेटा बनाया गया है। रिपोर्ट साफ बताती है कि चीन ने दुनिया के निवेशकों को अपने खराब निवेश माहौल को छिपाने के लिए सक्रिय रूप से धोखा दिया है।
चीन के साथ ही सऊदी अरब ने भी गड़बड़झाला किया है। 2020 में सऊदी अरब ने वर्ल्ड बैंक को कई कॉन्ट्रैक्ट्स दिए जाने के बजाए जॉर्डन के बजाए सऊदी अरब को ऊपर रखने के लिए डेटा में बदलाव के लिए दबाव था। आख़िरी क्षणों में किए गए बदलावों की वजह से अजरबैजान को भी कई अंकों का नुकसान पहुंचा था। रिपोर्ट बताती है कि ऐसा अजरबैजान के खिलाफ वर्ल्ड बैंक के कर्मचारियों के व्यक्तिगत पूर्वाग्रह के कारण किया गया था।