नई दिल्ली । टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा आज हमारे बीच नहीं हैं। बुधवार को उन्होंने 86 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। नमक लेकर एयरलाइंस तक में भारत को आत्मनिर्भर बनाया। समाज के प्रति जिम्मेदारी का भाव कूट-कूट कर भरा था। यह बात उनके सोशल पोस्ट से भी जाहिर होती है। टाटा ने अपने इन पोस्ट में देश और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को अत्यधिक गंभीरता से प्रस्तुत किया।
रतन टाटा जब इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती थे, तब भी वह लोगों के बारे में सोच रहे थे, ऐसा उनके एक्स पोस्ट से साबित होता है। उन्होंने एक्स पर अपने अंतिम पोस्ट में लिखा था, “मैं अपने स्वास्थ्य के बारे में हाल ही में फैली अफवाहों से अवगत हूं और सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि ये दावे निराधार हैं। मैं वर्तमान में अपनी उम्र और संबंधित चिकित्सा स्थितियों के कारण चिकित्सकीय जांच करवा रहा हूं। चिंता का कोई कारण नहीं है। मैं अच्छे मूड में हूं और अनुरोध करता हूं कि जनता और मीडिया गलत सूचना फैलाने से बचें।”
बेजुबानों को लेकर भी रतन टाटा फिक्रमंद रहते थे। यही वजह है कि टाटा ट्रस्ट्स स्मॉल एनिमल हॉस्पिटल खोला गया। 1 जुलाई को उद्योगपति रतन टाटा ने मुंबई में अपनी पसंदीदा परियोजना टाटा ट्रस्ट्स स्मॉल एनिमल हॉस्पिटल का शुभारंभ किया। अस्पताल के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर इस रोमांचक खबर को साझा किया गया था।
रतन टाटा देशवासियों को समय-समय पर अपनी जिम्मेदारी का भी अहसास कराते रहते थे। लोकसभा चुनाव के दौरान मुंबईवासियों से अपील की कि लोकतंत्र के इस महापर्व में शामिल हों। 18 मई के एक्स पोस्ट में लिखा था,”सोमवार को मुंबई में मतदान का दिन है। मैं सभी मुंबई वासियों से आग्रह करता हूं कि वे घर से बाहर निकलें और जिम्मेदारी से मतदान करें।”
एक अन्य पोस्ट में उन्होंने कैंसर से लड़ाई में असम सरकार के साथ साझेदारी का जिक्र किया था। लिखा था, “असम में किए जा रहे निवेश से कैंसर के जटिल उपचार में राज्य में बदलाव आएगा। यह नया विकास असम को वैश्विक मानचित्र पर लाएगा। हम असम के मुख्यमंत्री श्री हिमंत बिस्वा सरमा को उनके समर्थन और दूरदर्शिता के लिए धन्यवाद देना चाहते हैं, जिसकी बदौलत यह सब संभव हो पाया है।”
एक अन्य पोस्ट में जानवरों के प्रति उनका असीम प्रेम देखने को मिला। बेजुबान की तस्वीर शेयर कर लिखा, “अब जबकि मानसून आ गया है, बहुत सी आवारा बिल्लियां और कुत्ते हमारी कारों के नीचे शरण लेते हैं। आवारा जानवरों को चोट लगने से बचाने के लिए, कार को चालू करने और तेज करने से पहले उसके नीचे जांच करना जरूरी है। अगर हम अपने वाहनों के नीचे उनकी मौजूदगी के बारे में नहीं जानते हैं, तो वे गंभीर रूप से घायल हो सकते हैं, विकलांग हो सकते हैं और यहां तक कि मारे भी जा सकते हैं। अगर हम इस मौसम में बारिश के दौरान उन्हें अस्थायी आश्रय दे सकें, तो यह दिल को छू लेने वाला होगा।”
कोरोना महामारी के दौरान की अगर हम बात करें तो जब देश के लोग मुश्किल समय में थे, लोग सड़कों पर भूखे मरने को मजबूर थे, तब रतन टाटा ने आगे आकर लोगों की मदद की और 1500 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की। इस मुश्किल समय में वह अपने कर्मचारियों के साथ-साथ पूरे देश के लिए खड़े रहे थे।
–आईएएनएस