मुंबई। एंटीलिया केस के बाद महाराष्ट्र सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है। महाराष्ट्र के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह की चिट्ठी ने संसद तक हंगामा खड़ा कर दिया है। सत्ता पक्ष के साथ अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत रवि राणा ने भी एंटीलिया केस को जोरदार ढंग से उठाया। सोमवार को दोनों सदनों में इस मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ। हंगामा बढ़ने के बाद शिवसेना के सांसदों ने लोकसभा से वॉक आउट कर दिया।
इससे पहले केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने राज्यसभा में इस मसले को उठाया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के गृह मंत्री वसूली कर रहे हैं और ये सारा देश देख रहा है। हालांकि, लोकसभा अध्यक्ष ने इसे रिकॉर्ड पर नहीं लेने के निर्देश दिए।
एंटीलिया केस पर बोलते हुए महाराष्ट्र के अमरावती से सांसद नवनीत रवि राणा ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर केस के मुख्य आरोपी मुंबई पुलिस के अधिकारी सचिन वझे की तरफदारी करने का आरोप लगाया। नवनीत ने कहा कि जब महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस सरकार थी तब शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने उन्हें फोन कर दोबारा पुलिस सेवा में लाने की सिफारिश की थी। अमरावती सांसद ने सवाल उठाया कि आखिर 16 साल से निलंबित एक पुलिस वाले की पैरवी उद्धव ठाकरे क्यों कर रहे थे, इसका जवाब उन्हें देना चाहिए।
एक API से 6000 करोड़ वसूलना चाहते थे गृहमंत्री: पूनम महाजन
BJP सांसद पूनम महाजन ने कहा कि महाराष्ट्र में तीन पहिए की सरकार चल रही है,जिसका तालमेल नहीं बैठ पा रहा है। एक DG स्तर के IPS अफसर सवाल उठा रहे हैं कि महाराष्ट्र में एक API लेवल के पुलिसकर्मी को 100 करोड़ रुपए महीने वसूली करने का टारगेट दिया जा रहा है। 100 करोड़ महीना मतलब 1200 करोड़ रुपए साल। मतलब एक API से पांच साल में 6000 करोड़ का टारगेट है। सोचिए, NCP गृहमंत्री ऐसे कितने API से पैसे वसूलना चाहते होंगे।
BJP सांसद ने मांगा उद्धव ठाकरे का इस्तीफा
लोकसभा में मध्यप्रदेश के जबलपुर से सांसद राकेश सिंह ने कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को तुरंत अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए और केंद्रीय एजेंसियों को इस मसले की जांच करनी चाहिए। ये पहली बार है, जब किसी API के समर्थन में मुख्यमंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उसी API को 100 करोड़ रुपए वसूलने का टारगेट दिया गया था।
मंत्री नवाब मलिक ने पमबीर की चिट्ठी पर सवाल उठाए
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने परमबीर सिंह की चिट्ठी पर सवाल उठाए हैं। मलिक ने कहा कि परमबीर ने चिट्ठी में लिखा है कि वे गृहमंत्री अनिल देशमुख से मिले थे, लेकिन देशमुख तो 1 से 5 फरवरी तक विदर्भ के दौरे पर थे। इसके बाद वो 15 फरवरी को कोरोना पॉजिटिव हो गए और 28 तक रहे। इन सभी बातों से परमबीर की चिट्ठी पर सवाल खड़े हो रहे हैं।