एक देश एक चुनावः भाजपा ने आगे बढ़ाया कदम, राष्ट्रपति से मुलाकात आज

नयी दिल्ली। देश में एक देश एक चुनाव को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने बयान देकर पूरे देश में हलचल पैदा कर दी थी। कई पार्टियां इसके विरोध में हैं तो कुछ पार्टियां केन्द्र सरकार के इस निर्णय की सराहना कर रही है। इस विरोध को तीन तलाक बिल जैसे मामले की तरह दरकिनार करके केन्द्र सरकार इस मुद्दे पर आगे बढ़ने का मन बना चुकी है। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का एक दल आज ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ मामले पर विधि आयोग जा रहा है। इस दल में केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, भाजपा नेता विनय सहस्त्रबुद्धे, भूपेंद्र यादव और अनिल बलूनी अब से कुछ देर में विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायाधीश बी एस चौहान से मिलेंगे। भाजपा लगातार एक राष्ट्र एक चुनाव की बात करती आ रही है।पिछले दिनों विधि आयोग के विचार विमर्श में भाजपा के नेता शामिल नहीं हुए थे जिसकी वजह पर पार्टी ने कहा था कि वह आयोग के सामने पूरी तैयारी से जाएगी और बताएगी कि एक साथ चुनाव किस तरह कराए जा सकते हैं। विधि आयोग पिछले दिनों में विभिन्न दलों के साथ लोकसभा व विधनासभा चुनाव एक साथ कराने को लेकर उनकी राय जानी थी, जिसमें 13 दलों ने अपने विचार रखे थे।

 

 

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उल्लेखनीय है कि तब भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी व सांसद अनिल बलूनी ने कहा था कि एक राष्ट्र एक चुनाव की पहल भाजपा की ही है। ऐसे में उसके पीछे हटने या चुप्पी साधने का सवाल ही नहीं उठता है। चूंकि भाजपा इस बारे में पहले ही अपनी राय रख चुकी है इसलिए अब उसे केवल राय नहीं रखनी है बल्कि पूरी तैयारी के साथ आगे की राय रखेगी। चुनाव कैसे एक साथ कराए जा सकते हैं? किस तरह की प्रक्रिया होगी? कब हो सकते हैं? आदि कई तरह के संभावित समाधानों के साथ पार्टी अपनी बात ठोस रूप में रखेगी। गौरतलब है कि भाजप व कांग्रेस समेत कई दलों ने अभी अपना पक्ष नहीं रखा है।

 

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उल्लेखनीय है कि देश में लोकसभा व विधानसभा चुनावों को एक साथ कराए जाने को लेकर विधि आयोग ने पिछले दिनों के सत्र में देश के विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ विचार विमर्श भी किया था। इसमें 13 दल पहुंचे थे और अपनी बात रखी थी। एक साथ चुनाव कराए जाने के पक्ष में शिरोमणि अकाली दल, अन्नाद्रमुक, समाजवादी पार्टी और तेलंगाना राष्ट्र समिति ने अपना पक्ष रखा। इन दलों ने कब चुनाव कराए जाएं इस पर अलग अलग राय रखी, लेकिन उन्होंने एक साथ ही चुनाव कराने का समर्थन किया। दूसरी तरफ नौ दलों ने एक साथ चुनाव कराए जाने का विरोध किया है। इनमें तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, द्रमुक, तेलुगुदेशम, माकपा, भाकपा, फारवर्ड ब्लाक व जेडीएस शामिल थे।  अब सभी की नजरें भाजपा पर टिक गयी हैं कि वह इस मामले को किस तरह हैैंडल करने में सफल रहेगी।

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