एक फिल्म के कारण थाईलैंड जाने से डर रहे हैं लोग

थाईलैंड घूमने के लिए एक बहुत ही खुबसूरत जगह है. जहां लोग हर साल भारी संख्या में घूमने के लिए आते है. लेकिन एक ऐसी घटना ऐसी हुई जिसके बाद से लोग थाईलैंड जाने से डर रहे हैं. थाईलैंड चीन के लोगों का पसंदीदा जगह हुआ करता था. वहां की ‘वॉटर फाइट्स’, लालटेन उत्सव और मजेदार खाने के लिए हर साल करोड़ों चीनी पर्यटक थाईलैंड जाते रहे हैं.

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बता दे कि एक फिल्म और उसके बाद सोशल मीडिया पर उड़ रही अफवाहों ने माहौल बदल दिया है. थाईलैंड की छवि एक खतरनाक और धोखाधड़ी से भरपूर मुल्क की बन रही है, जिसका असर पर्यटकों की संख्या पर नजर आ रहा है.

दरअसल थाईलैंड की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर आधारित है और उसमें बहुत बड़ी भूमिका चीन से आने वाले पर्यटकों की होती है. कोविड-19 महामारी के आने से पहले वहां सालाना एक करोड़ से ज्यादा चीनी पर्यटक आते थे.

जानें क्या है अफवाहें

कोविड के झटके से थाईलैंड का पर्यटन उद्योग अब तक उबर नहीं पाया है. कि दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों ने और डरा दिया है. ऐसी अफवाहें फैल रही हैं कि थाईलैंड में चीनी पर्यटकों को अगवा किया जा रहा है और उन्हें म्यांमार या कंबोडिया के ऐसे कैंपों में भेज दिया जाता है जहां उनसे बेहद क्रूरता से पेश आया जाता है और धोखाधड़ी के लिए काम कराया जाता है.

डर रहे हैं टूरिस्ट

चीन के रहने वालीं जिया शूकियोंग हाल ही में अपने परिवार के साथ एक हफ्ता थाईलैंड में बिताकर आयी हैं. लेकिन ऐसा उन्होंने अपने माता-पिता की आपत्तियों के बावजूद किया. 44 साल की पेशेवर नर्स जिया बताती हैं, “उन्हें लग रहा था कि वहां जाना खतरनाक है. मेरे सारे दोस्तों ने कहा कि पहले तुम जाकर देख लो, फिर सब ठीक रहा तो हम जाएंगे.”

ये चिंताएं उपजी हैं एक थ्रिलर फिल्म ‘नो मोर बेट्स’ के बाद, जो कुछ सच्ची घटनाओं पर आधारित है. यह फिल्म एक कंप्यूटर प्रोग्रामर के बारे में है जो एक देश में घूमने जाता है और अगवा कर लिया जाता है. वहां से उसे दक्षिण एशिया के एक कैंप में ले जाया जाता है. इस फिल्म में थाईलैंड का नाम नहीं लिया गया है लेकिन जिस देश में प्रोग्रामर घूमने जाता है, वह थाईलैंड जैसा ही है.

फोन स्कैम जैसे काम करवाये जाते हैं

इस फिल्म की कहानी में कुछ सच्चाई भी है. समाचार एजेंसी एएफपी ने ऐसी कई कहानियां प्रकाशित की हैं जिनमें चीन के लोगों को बहला-फुसलाकर दक्षिणपूर्व एशिया के देशों में स्थित ऐसे कैंपों में ले जाया गया, जहां से फोन स्कैम जैसे काम करवाये जाते हैं. ये कैंप कंबोडिया और म्यांमार में बहुतायत में हैं, लेकिन थाईलैंड में ऐसे किसी कैंप का पता नहीं चला है. साथ ही, जिन लोगों को कैंपों में ले जाया गया, उन्हें छुट्टियां मनाने के दौरान अगवा नहीं किया गया बल्कि उन्हें मोटा पैसा कमाने का लालच देकर ऐसा किया गया.

इस फिल्म ने बदल दिया माहौल

फिल्म ‘नो मोर बेट्स’ अगस्त में रिलीज हुई थी. इस साल की यह चीन की तीसरी सबसे लोकप्रिय फिल्म बन चुकी है. फिल्म ने अब तक 52.1 एक करोड़ डॉलर की कमाई की है और इसे लेकर सोशल मीडिया पर जमकर बहस चल रही है. लोग थाईलैंड घूमने जाने को लेकर चेतावनियां भी दे रहे हैं.

2019 में थाईलैंड में 1.1 करोड़ चीनी टूरिस्ट आये थे, जो उस साल कुल पर्यटकों का एक चौथाई था. इस साल अब तक सिर्फ 23 लाख चीनी टूरिस्ट आये हैं. हालात बेहतर करने के लिए पिछले हफ्ते ही थाईलैंड ने अस्थायी तौर पर चीनी पर्यटकों को वीजा फ्री यात्रा की सुविधा का ऐलान किया. ये अफवाहें इतनी ज्यादा तेज हो गयी हैं कि बीजिंग स्थित थाई दूतावास को एक बयान जारी करना पड़ा कि पर्यटकों की सुरक्षा के पूरे इंतजाम किये जाएंगे.

चीन में भी अब ट्रैवल एजेंट अपनी रणनीति बदल रहे हैं. पहले वे अपनी कुल कमाई का 40 फीसदी विदेश यात्राओं से कमाते थे. अब वे घरेलू पर्यटन की ओर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं.

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