एटीजीएएस ने एक बार फिर लगाया सटीक निशाना

नई दिल्ली। भारत ने शनिवार को सुबह ओडिशा के बालासोर परीक्षण-फायरिंग रेंज में हॉवित्जर तोप से गोलीबारी करके एक बार और परीक्षण किया। एटीजीएएस एक बड़ी कैलिबर गन प्रणाली है, जिसमें सटीक और गहराई तक हमले करने के लिए प्रोग्राम और फ्यूचर लॉन्ग रेंज गाइडेड म्यूनिशन (एलआरजीएम) को फायर करने की क्षमता है।
सिस्टम को एक ऑल-इलेक्ट्रिक ड्राइव के साथ कॉन्फ़िगर किया गया है, जो लंबे समय तक रखरखाव मुक्त और विश्वसनीय संचालन सुनिश्चित करेगा। आज टेस्ट फायरिंग के दौरान एटीजीएएस ने तेज धमाके के साथ 55 किलोग्राम के गोले को सटीक निशाने पर हिट किया, जिससे सारा इलाक़ा भूकंप की कंपन की तरह हिलने लगा।
​​परीक्षण के समय बालासोर (ओडिशा) में डीआरडीओ के अधिकारी अनिल मोर्गोकर ने कहा कि इस हॉवित्जर तोप को डिजाइन करने के बाद तीन साल के भीतर परीक्षण के लिए रखा गया था। जल्द ही इसके मानक और गुणवत्ता के परीक्षण किये जाएंगे। हम उम्मीद कर रहे हैं कि तोपखाना प्रणाली के क्षेत्र में भारत के पास सबसे बड़ी उपलब्धि होगी।
 एडवांस टावर आर्टिलरी गन​ ​सिस्टम (एटीएजीएस) के प्रोजेक्ट डायरेक्टर शैलेन्द्र गाडे कहते हैं कि यह दुनिया की सबसे अच्छी बंदूक है, कोई अन्य देश इस तरह की बंदूक प्रणाली विकसित नहीं कर पाया है। यह गन 48 किलोमीटर दूर तक बिल्कुल सटीक तरीके से टारगेट हिट कर सकती है।​ ​यह 52 कैलिबर राउंड्स लेगी जबकि बोफोर्स की क्षमता 39 कैलिबर की है।
इजरायल से होवित्जर गन खरीदने का सौदा करने की तैयारी में सेना के सामने डीआरडीओ ने डेढ़ साल के भीतर ‘मेड इन इंडिया’ 200 एडवांस टावर आर्टिलरी गन सिस्टम (​​एटीएजीएस) देने की पेशकश की है।भारत और चीन के बीच जारी तनाव को देखते हुए मौजूदा समय में भारतीय सेना को 400 से ज्यादा आर्टिलरी गन की जरूरत है। अब अपनी इस जरूरत को पूरा करने के लिए सेना को स्वदेशी या विदेशी विकल्प को चुनना है।
डीआरडीओ ने महाराष्ट्र के अहमदनगर में भी एटीएजीएस का ट्रायल किया है​​। डीआरडीओ ​’​मेड इन इंडिया​’​ एटीएजीएस होवित्जर के ट्रायल चांदीपुर के अलावा राजस्थान के महाजन रेंज की तपती गर्मी ​और चीन ​की ​सरहद पर सिक्किम में कड़ाके की ठंड में भी तोप से 2000 से ज़्यादा गोले दाग ​चुका है​​
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चीन के साथ तनाव शुरू होने के बाद से भारतीय सेना लगातार हथियारों की खरीद करके या स्वदेश निर्मित हथियारों से अपनी ताकत बढ़ा रही है। भारत अपनी जरूरतों को देखते हुए इजरायल से एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल, हेरॉन ड्रोन के आर्म्ड वर्जन, बियांड विजुअल रेंज एयर टू एयर डर्बी मिसाइल, इजरायली स्पाइस-2000 खरीदने की तैयारी में है।
 मौजूदा समय में भारतीय सेना के तोपखाने को 400 से ज्यादा आर्टिलरी गन की जरूरत है, इसलिए रक्षा मंत्रालय इजरायल से होवित्जर खरीदने के लिए सौदा करने की तैयारी में है लेकिन इजरायल की होवित्जर के उत्पादन में लंबा समय लगेगा जबकि सेना को जरूरत अभी है।
 इजरायल से मंगाई जाने वाली होवित्जर को लंबी खरीद प्रक्रिया से गुजरना पड़ रहा है, जिसके कारण काफी समय लगने की उम्मीद है जबकि भारतीय सेना जल्द से जल्द इन एडवांस होवित्जर को हासिल करके सीमा पर तैनात करना चाहती है।
 
इस बीच सेना की तत्काल जरूरतों को देखते हुए डीआरडीओ डेढ़ साल के अन्दर 200 से अधिक एडवांस टावर आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस) होवित्जर बनाने को तैयार है। इजरायली होवित्जर के मुकाबले भारत में बनी गन अच्छा विकल्प साबित हो सकती हैं, क्योंकि डीआरडीओ की ओर से तैयार किए जा रहे एडवांस टावर आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस) अपनी श्रेणी की सबसे लंबी दूरी तक मार करने वाली होवित्जर हैं।
डीआरडीओ के अधिकारियों का कहना है कि ‘मेड इन इंडिया’ एटीएजीएस हॉवित्जर को भारतीय सेना की आवश्यकताओं के लिए जल्द से जल्द एक संभव समय सीमा में पूरा किया जा सकता है, क्योंकि उत्पादन सुविधाएं तैयार हैं। डीआरडीओ ने महाराष्ट्र के अहमदनगर में एटीएजीएस का ट्रायल भी शुरू कर दिया है।
डीआरडीओ से जुड़े सूत्रों ने बताया कि उन्नत टिल्ड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस) को डीआरडीओ द्वारा दो निजी क्षेत्र की रक्षा की बड़ी कंपनियों के साथ विकसित किया जा रहा है। पश्चिमी राजस्थान में भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर स्थित जैसलमेर जिले के पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में स्वदेशी दो कंपनियों की 155 एमएम और 52 कैलीबर के होवित्जर टाउड तोपों को विभिन्न मानकों पर जांचा परखा गया है।
स्वदेशी रूप से विकसित एटीएजीएस को विश्व स्तर पर अच्छी श्रेणी के रूप में गिना जा रहा है। अपने अंतिम परीक्षणों के दौरान इसने लगभग 47 किमी. की दूरी पर गोलीबारी की है। डीआरडीओ द्वारा विकसित एटीएजीएस में अपार क्षमता है। यह अपनी श्रेणी की सबसे लंबी दूरी तक मार करने वाली तोप है।
सेना को चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा पर तैनाती के लिए एटीएजीएस की एक बड़ी संख्या की आवश्यकता है। 1980 के मध्य में बोफोर्स तोपों को सेना में शामिल किया गया था। भारतीय सेना की सख्त जरूरत को देखते हुए भारत ने लगभग 5,000 करोड़ रुपये की लागत से 145 हॉवित्जर (यूएलएच) की आपूर्ति के लिए नवम्बर, 2016 में अमेरिका के साथ सौदा किया था।
लगभग 30 साल के इंतजार के बाद सेना को अमेरिका से 2017 में दो अल्ट्रा-लाइट होवित्जर का पहला बैच मिला था। बीएई सिस्टम्स द्वारा निर्मित एम-777ए-2 अल्ट्रा-लाइट हॉवित्जर (यूएलएच) की अधिकतम सीमा 30 किमी है। इसीलिए भारत ने स्वदेशी दो कंपनियों के साथ मिलकर 155 एमएम और 52 कैलीबर के होवित्जर टाउड तोपों का निर्माण किया है।

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