कानपुर। बिकरु गांव में दो जुलाई की रात मुठभेड़ में गैंगस्टर विकास दुबे और उसके साथियों ने आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। 10 जुलाई की सुबह एसटीएफ ने विकास दुबे का भी एनकाउंटर कर दिया। लेकिन जिस राहुल तिवारी के नाम के शख्स की शिकायत पर पुलिस बिकरु गांव में दबिश देने गई थी, वह शख्स 12 दिन बाद पहली बार कैमरे के सामने आया। उसने विकास दुबे पर अपहरण, जानलेवा हमले के प्रयास का केस दर्ज कराया था।
लेकिन, शूटआउट के बाद से ही फरार था। अब पुलिस ने उसे सुरक्षा दी है। राहुल ने कहा कि, घटना से एक दिन पहले विकास दुबे ने उसे पीटा था वहीं चौबेपुर थाना अध्यक्ष विनय तिवारी ने जनेऊ दिखाकर अपनी जान बचाई थी।
बिकरु गांव में शूटआउट के पहले की ये कहानी
राहुल तिवारी जादेपुर गांव का रहने वाला है। उसकी बिकरु गांव के समीप मोहिनी नेवादा गांव में ससुर की छह बीघा जमीन है, जिस पर राहुल खेती करता है। लेकिन यह जमीन विकास दुबे कब्जाना चाहता था। यही विवाद की असली वजह थी। राहुल ने कहा कि, वह 27 जून को बाइक से अपने गांव जादेपुर लौट रहा था।
तभी रास्ते में विकास दुबे के गुर्गों ने मारपीट करके बाइक और पैसे छीन लिए थे। इस घटना के बाद थाने पहुंचा। इसके बाद एक जून को एसओ विनय तिवारी ने घटनास्थल का दौरा किया था। इसके बाद 1 जुलाई को बिकरु गांव गए थे।
जहां पहुंचने पर विकास दुबे और उसके गुर्गों ने घेर लिया। एसओ विनय तिवारी से गाली गलौच की और मेरे सीने पर राइफल तान दी। एसओ से भी अभद्रता की गई। उन्हें भी जान से मारने का प्रयास किया। जब उन्हें लगा कि विकास दुबे मार देगा तो उन्होंने जनेऊ दिखाकर कहा कि, पंडितों की कुछ इज्जत रख लो। इसके बाद विकास दुबे गंगाजल लेकर आया। सभी ने हाथ में गंगा जल लेकर कसम खाई। विकास दुबे ने भी कसम खाई कि अब वो राहुल तिवारी को नहीं मारेगा।
फिर एसएसपी से लगाई गुहार
राहुल तिवारी ने कहा कि, बड़ी दहशत थी। विकास दुबे बड़ा आतंकी था। इसलिए एक जून को ही एसएसपी कानपुर के पास शिकायत लेकर पहुंचा। तब एसएसपी ने मुकदमा दर्ज कार्रवाई करने के निर्देश दिए। उसी मुकदमें में दबिश दी गई थी, जिसमें यह कांड हो गया।
घटना के बाद हम डर गए
राहुल तिवारी ने बताया कि घटना के बाद हम डर गए। मैं सीधे एसएसपी के पास पहुंचा, उनको बताया कि मेरी जान को खतरा है। मुझे विकास दुबे मार देगा। तब एसएसपी साहब ने मेरे लिए रहने खाने की व्यवस्था कराई। अब मैं बाहर आया हूं। राहुल तिवारी ने बताया कि गांव में छह बीघा जमीन का विवाद था। जिसको लेकर हमारी बुआ की नीयत खराब हो गई थी। विकास दुबे बाल गोविंद के कहने पर हमें धमका रहे थे।