नई दिल्ली। एससी/एसटी एक्ट पर नौ अगस्त को होने वाले प्रदर्शन को देखते हुए मोदी सरकार लगातार बैकफुट पर दिख रही थी। आज उसने इस मामले में संसद में पुराने प्रावधान दोबारा लागू करने पर फैसला किया है। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने इसी वर्ष के प्रारंभ में एससी.एसटी एक्ट के कुछ अहम नियमों को ये कहते हुए निरस्त कर दिया था कि इनका बहुत अधिक दुरुपयोग हो रहा है। कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ दलित संगठनों ने 2 अप्रेल को देश में विरोध प्रदर्शन किया था। कोर्ट के इस फैसले के बाद से ही केन्द्र सरकार बैकफुट पर आ गई थी। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस सहित दूसरे विपक्षी दलों ने भाजपा की सरकार पर दलित विरोधी होने का आरोप लगातार लगा रहे थे। केन्द्र सरकार ने बुधवार को दलितों को अत्याचार से बचाने वाले विधेयक को संशोधन करने की मंजूरी दे दी है। इस विधेयक को सरकार इसी सत्र में पास करवाने का प्रयास करेगी।
उल्लेखनीय है कि भाजपा के भी कई नेता और मंत्री सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर संसद में दोबारा पहले जैसे प्रावधानों को लागू करने के लिए अपनी ही सरकार पर हमले बोल रहे थे। केन्द्र सरकार से दलित संगठनों और लोक जनशक्ति पार्टी का दबाव लगातार बना हुआ था कि सरकार इस एससी, एसटी विधेयक पर संशोधन करने का विधेयक इसी सत्र में लेकर आए। भाजपा को भी लग रहा था कि दलित समाज में उनकी जो पकड़ बनी है वह कमजोर हो जाएगी। अभी हाल ही में लोक जनशक्ति पार्टी के सांसद चिराग पासवान ने कहा था कि आठ अगस्त से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एससी, एसटी में संशोधन विधेयक नहीं लेकर आए तो 9 अगस्त को दलित सेना दलितों के साथ मिलकर प्रदर्शन करने उतर जाएगी। एलजीपी के साथ जनता दल यू ने भी समर्थन किया है। सूत्रों से मिल रही खबरों के अनुसार केन्द्र सरकार इसी संसद सत्र में इसपर बिल पेश करेगी।