गुजरात के राजकोट में टीआरपी गेम जोन में भीषण आग लगने से 27 लोगों की जान चली गई। मरने वालों में 9 बच्चे भी शामिल हैं। यहां आग कैसे लगी? इतने बड़े हादसे के लिए कौन जिम्मेदार है? ऐसे कई सवाल हैं, जो पूछे जा रहा हैं। इन सवालों के बीच हादसे से पूरे गुजरात में शोक की लहर है।
टीआरपी गेम जोन अग्निकांड की की कहानी दिल दहला देने वाली है। शनिवार रात को जैसे ही टीआरपी गेम जोन में आग की सूचना मिली, दमकल कर्मी मौके पर पहुंचे और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। बताया जा रहा है कि शनिवार को छुट्टी का दिन होने की वजह से यहां बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। गेमिंग जोन के मैनेजमेंट ने 99 रुपये एंट्री फीस की स्कीम रकी थी। छुट्टी का दिन होने और सिर्फ 99 रुपये फीस होने की वजह से बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचे थे।
सवाल यह है कि आखिर गेमिंग जोन में इतनी भीषण आग कैसे लगी? तो बताया ये जा रहा है कि गेमिंग जोन में 1500 से 2000 लीटर डीजल और गो कार रेसिंग के लिए 1000 से 1500 लीटर पेट्रोल रखा गया था। यही वजह है कि आग ने और भीषण रूप ले लिया।
गेमिंग जोन में आग लगने की घटना के बारे में बताते हुए डीएम ने कहा कि शुरुआती जांच में आग लगने की वजह इलेक्ट्रिक कारण बताए जा रहे हैं। हालांकि, आग लगने के मुख्य वजह का अभी खुलासा नहीं हो पाया है। शुरूआती जांच में यह बात भी सामने आ है कि गेमिंग जोन को फायर विभाग की ओर से एनओसी नहीं मिली थी। यह भी बताया जा रहा है कि एनओसी के लिए कभी अप्लाई भी नहीं किया गया था।
आग लगने के बाद इतने बड़े नुकसान के पीछे एक वजह यह भी बताई जा रही है कि गेम जोन से बाहर निकलने और प्रवेश के लिए 6 से 7 फीट का एक ही रास्ता था। ऐसे में आग लगने के बाद अफरा-तफरी मच गई। लोगों के इस रास्ते से निकले में दिक्कत हुई। जब यह हादसा हुआ तब गेम जोन में खेल रहे बच्चों में से जो बाहर निकल गए उन्होंने बताया कि अचानक वहां के स्टाफ ने हमे आकर कहा कि आग लग गई है, आप बाहर निकले जाएं। इसके बाद वहां से सभी भगाने लगे। कुछ लोग ही बाहर नहीं निकल सके, क्योंकि पहली मंजिल से बाहर निकलने का एक ही रास्ता था।
राजकोट गेम जोन के संचालक, मालिक समेत 3 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। वरिष्ठ IPS अधिकारी सुभाष त्रिवेदी की अगुवाई में 5 अधिकारियों की एसआईटी टीम इस मामले की जांच करेगी। एसआईटी 72 घंटों में प्रथमिक रिपोर्ट देगी। 10 दिन में एसआईटी विस्तार से रिपोर्ट देगी।