ऑस्ट्रेलिया के बाद भारत में भी बढ़ेंगी फेसबुक-गूगल की मुश्किलें?

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने शुक्रवार को फेसबुक से कहा कि वह ऑस्ट्रेलिया के यूजर्स पर लगाई रोक को हटा ले और न्यूज पब्लिश करने वाले संस्थानों से बातचीत शुरू करे। इसके साथ ही उन्होंने चेतावनी भी दी कि अन्य देश भी समाचार साझा करने के एवज में डिजिटल कंपनियों से शुल्क वसूलने के उनकी सरकार के कदमों को अपना सकते हैं। मॉरिसन ने कहा कि उन्होंने फेसबुक विवाद के बारे में गुरुवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की।

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उन्होंने कहा, ”ऑस्ट्रेलिया जो कर रहा है उसमें कई देशों की दिलचस्पी है। इसलिए मैं गूगल के समान ही फेसबुक को भी आमंत्रित करता हूं कि वह रचनात्मक तरीके से बातचीत करें, क्योंकि वे जानते हैं कि ऑस्ट्रेलिया यहां पर जो करने जा रहा है उसका अनुसरण कई पश्चिमी देश कर सकते हैं।” मॉरिसन ने ऑस्ट्रेलिया के लोगों की समाचार तक पहुंच और इसे साझा करने से फेसबुक के बैन को खतरा बताया।

सोशल मीडिया कंपनी के इस कदम से सरकार, मीडिया और शक्तिशाली टेक्नॉलजी कंपनियों के बीच तकरार बढ़ गई है। ऑस्ट्रेलिया में फेसबुक पर न्यूज शेयर किए जाने के एवज में मीडिया संस्थानों को (सोशल मीडिया कंपनी द्वारा) भुगतान किए जाने के संबंध में एक प्रस्तावित कानून के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करते हुए इस कंपनी ने यह कदम उठाया है।

मॉरिसन ने संवाददाताओं से कहा, ”कुछ साइट बंद करने का विचार, जैसा कि उन्होंले कल किया, यह एक किस्म का खतरा ही है। मैं जानता हूं कि ऑस्ट्रेलिया के लोगों की इसके लिए कैसी प्रतिक्रिया होगी। मेरा खयाल है कि उनका यह कदम ठीक नहीं था। उन्हें जल्द से जल्द इससे आगे बढ़ना होगा, बातचीत की टेबल पर आना होगा और हम फिर इसका हल निकाल लेंगे।”

फेसबुक के रोक लगाने की देश में व्यापक तौर पर आलोचना हुई क्योंकि इस सोशल मीडिया कंपनी ने महामारी, सार्वजनिक स्वास्थ्य और आपातकालीन सेवाओं तक पहुंच रोक दी है, हालांकि ऐसा अस्थायी तौर पर किया गया है। फेसबुक ने गुरुवार को घोषणा की थी कि उसने ऑस्ट्रेलिया में समाचार देने के बदले भुगतान करने के प्रस्तावित कानूनों के मद्देनजर ऑस्ट्रेलियाई लोगों के लिए अपने मंच पर समाचार देखने या साझा करने की सेवा बंद कर दी है।

दरसअल प्रतिनिधि सभा ने बुधवार रात एक विधेयक पारित किया जिसमें फेसबुक और गूगल को ऑस्ट्रेलियाई मीडिया कंपनियों को उन खबरों का उचित मुआवजा देने का प्रावधान किया गया है जिन्हें ये सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दिखाते हैं। सीनेट में पारित होने के बाद ही यह कानून का रूप लेगा।

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