कभी चिकन सैंडविच तो कभी कुत्तों के बिस्किट पर घमासान, कैसे साधा नेतृत्व पर निशाना?

नई दिल्ली। पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के कांग्रेस छोड़ने के बाद से ही पार्टी में हलचल मची है। गुजरात चुनाव से पहले हार्दिक का यह कदम राज्य में कांग्रेस के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है। ऐसा नहीं है कि हार्दिक ने पहले अपने रुख को लेकर कांग्रेस हाईकमान को नहीं चेताया था। लेकिन बार-बार नजरअंदाज करने के आरोपों के बाद आखिरकार हार्दिक ने पार्टी छोड़ दी।

उन्होंने यह तो जरूर कहा कि उन्होंने इस्तीफा राहुल गांधी या प्रियंका गांधी की वजह से नहीं, बल्कि राज्य में संगठन के बर्ताव की वजह से दिया। हालांकि, इसी दौरान उन्होंने एक ऐसा बयान भी दे दिया, जिसे शीर्ष नेतृत्व पर बड़े तंज के तौर पर देखा जा रहा है। चौंकाने वाली बात यह है कि ऐसा करने वाले वे कोई पहले पूर्व कांग्रेसी नहीं हैं। इससे पहले भी पार्टी से इस्तीफा देने वाले नेताओं ने शीर्ष नेतृत्व को लेकर जबरदस्त हमले बोले हैं।

चिकन सैंडविच का जिक्र कर हार्दिक ने कैसे कसा शीर्ष नेतृत्व पर तंज?
शीर्ष नेतृत्व का बर्ताव गुजरात के प्रति ऐसा है, जैसे की वह गुजरात और गुजरातियों से नफरत करते हैं। गुजरात के नेता सिर्फ इस बात पर ध्यान देते हैं कि दिल्ली से आए नेता को चिकन सैंडविच मिला या नहीं। कांग्रेस ने युवाओं का भरोसा तोड़ा है।

नेतृत्व का ध्यान मुद्दों से ज्यादा मोबाइल पर
हार्दिक ने अपने पत्र में आलाकमान को निशाने पर लेते हुए लिखा, ‘कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में किसी भी मुद्दे के प्रति गंभीरता की कमी बड़ा मुद्दा है। मैं जब भी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से मिला तो लगा कि नेतृत्व का ध्यान गुजरात के लोगों और पार्टी की समस्याओं को सुनने से ज्यादा अपने मोबाइल और बाकी चीजों पर रहा।

नेतृत्व की विदेश यात्राओं पर भी किया तंज
हार्दिक ने अपने पत्र में लिखा, ‘जब भी देश संकट में था अथवा कांग्रेस को नेतृत्व की सबसे ज्यादा आवश्यकता थी, तो हमारे नेता विदेश में थे। शीर्ष नेतृत्व का बर्ताव ऐसा है, जैसे गुजरात और गुजरातियों से उन्हें नफरत हो।

पार्टी छोड़ने के बाद शीर्ष नेतृत्व पर निशाना साधने वाले हार्दिक अकेले नहीं
1. नेताओं को कुत्ते के बिस्किट देने की बात पर सरमा ने जताई थी नाराजगी

यह पहली बार नहीं है, जब कांग्रेस छोड़ने वाले किसी नेता ने पार्टी पर निशाना साधा हो। अक्तूबर 2017 में राहुल गांधी ने एक वीडियो पोस्ट किया। इसमें वो एक कुत्ते को कुछ खिला रहे थे। उनके इस ट्वीट पर कई विरोधी नेताओं ने तंज कसा था।

कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने वाले हिमंता बिस्व सरमा ने उस वक्त कहा था, “मुझ से बेहतर उन्हें कौन जानता है, मुझे याद है जब हम असम के मुद्दों पर बातचीत कर रहे थे, तब भी आप अपने कुत्ते को बिस्किट खिलाने में व्यस्त थे।’ सरमा ने एक ट्वीट में कहा था- “श्रीमान राहुल गांधी, जो असम के नेताओं की उपस्थिति में कुत्तों को बिस्कुट खिलाना पसंद करते हैं और फिर उन्हें वही बिस्कुट देते हैं, वे राजनीतिक शालीनता के बारे में बात करने वाले अंतिम व्यक्ति होने चाहिए।”

दरअसल, सरमा ने जब कांग्रेस छोड़ी थी तब भी उन्होंने आरोप लगाया था कि पार्टी छोड़ने से पहले जब वो राहुल गांधी से मिलने गए थे तो राहुल उनकी बातों को सुनने की जगह अपने पालतू कुत्ते को बिस्कुट खिलाने में व्यस्त थे। सरमा ये आरोप कई बार कई मंचों से लगा चुके हैं। ये मुद्दा इतना चर्चित रहा है कि भाजपा नेता हर मौके पर राहुल गांधी पर इस तरह का तंज कसते रहे हैं।

बीते बजट सत्र के दौरान भी राज्यसभा सांसद विनय सहस्त्रबुद्धे ने राहुल पर तंज कसते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री हमारे साथ बहुत अच्छी तरह से संवाद करते हैं। हमारी पार्टी में ऐसा नहीं है कि आप प्रधानमंत्री के साथ बोल रहे हों, और नेता कुत्ते को बिस्किट खिला रहे हों। हमारे यहां पूरी सुनवाई होती है। सहस्त्रबुद्धे राज्यसभा में प्राइवेट मेंबर बिल कंपनी (संशोधन) विधेयक 2019 पर चर्चा का जवाब दे रहे थे। यह बिल वह लेकर आए थे।

2. जब सोशल मीडिया पर इस्तीफे का एलान कर सुनील जाखड़ ने बोला हमला
पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुनील जाखड़ ने पिछले हफ्ते ही फेसबुक लाइव के दौरान कांग्रेस नेतृत्व को ही कठघरे में खड़ा कर दिया था। सुनील जाखड़ ने पंजाब में कांग्रेस की हार का ठीकरा पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के आसपास रहने वाले नेताओं पर फोड़ा।

उन्होंने बाकायदा अंबिका सोनी, हरीश रावत और हरीश चौधरी के नाम लेकर नाराजगी जताई। अंबिका सोनी को इंदिरा गांधी के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल करने वाली और चंडीगढ़ में कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ने वाली बताया। और कहा कि ऐसे लोग कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व की करीबी बने हुए हैं।

3. जब जितिन प्रसाद बोले- शीर्ष नेतृत्व ने किया विचारधारा से समझौता
कांग्रेस छोड़ने के ठीक बाद जितिन प्रसाद ने कहा था कि वे उस पार्टी का हिस्सा नहीं रहना चाहते थे जिसके नेतृत्व ने अपनी विचारधारा से ही समझौता कर लिया। प्रसाद ने कुछ उदाहरण देते हुए कहा था कि महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ गठबंधन कांग्रेस की विचारधारा नहीं थी। इसी तरह बंगाल में वामपंथियों के साथ और केरल में वामपंथियों के खिलाफ लड़ना भी पार्टी में विचारों की कमी दिखाता था।

जितिन प्रसाद ने कांग्रेस को दिशाहीन बताते हुए कहा था कि पिछले कुछ वर्षों में लगातार हार की वजह से लोगों की पार्टी से दूरी बढ़ रही थी। लेकिन इसके बावजूद शीर्ष नेतृत्व की तरफ से इसके उपाय ढूंढने के प्रयास नहीं किए गए। उन्होंने कहा था कि पार्टी के पास आगे बढ़ने का कोई रोडमैप नहीं था, इसलिए पार्टी के स्तर में लगातार गिरावट आई है।

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