नई दिल्ली। कांग्रेस में उथल-पुथल का दौर कब खत्म होगा, इसका जवाब फिलहाल पार्टी में किसी के पास नहीं है। सोनिया गांधी ने शनिवार से पार्टी के कई नेताओं से मुलाकात का सिलसिला शुरू किया। एक हफ्ते तक बैठकों का दौर चलेगा। इसमें पार्टी नेताओं की शिकायतें, आगामी चुनावों की रणनीति और पार्टी अध्यक्ष पर चर्चा होगी। सोनिया फिलहाल कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष हैं।
शनिवार को बैठक में हिस्सा लेने के लिए राज्यसभा सांसद गुलाम नबी आजाद, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, आनंद शर्मा, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा, पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और अंबिका सोनी 10, जनपथ पहुंचे हैं। इससे पहले शुक्रवार को कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि पार्टी के 99.9% नेता चाहते हैं कि राहुल गांधी ही फिर से अध्यक्ष पद संभालें।
क्यों हो रही मीटिंग?
अहमद पटेल के निधन के बाद एक पूर्व मुख्यमंत्री सोनिया से मिले थे। उन्होंने अंतरिम अध्यक्ष से पार्टी नेताओं से मुलाकात कर मुद्दे सुलझाने की अपील की थी। एक प्रदेश में पार्टी के अध्यक्ष ने बताया कि पार्टी आलाकमान की तरफ से बैठक बुलाई गई है, ये अच्छी बात है। इसमें कई लंबित मामलों पर चर्चा होगी। जानकारी के मुताबिक, मीटिंग में राज्यों में पार्टी अध्यक्षों की नियुक्ति, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों पर भी चर्चा हो सकती है।
पार्टी के अंदर ही गतिरोध
एक महीने पहले गुलाम नबी आजाद ने पार्टी के कामकाज के तरीके पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा कि 5 स्टार कल्चर से चुनाव नहीं जीते जा सकते। आज नेताओं के साथ यह दिक्कत है कि अगर उन्हें टिकट मिल जाता है तो वे सबसे पहले 5 स्टार होटल बुक करते हैं। अगर सड़क खराब है तो वे उस पर नहीं जाएंगे। जब तक इस 5 स्टार कल्चर को छोड़ नहीं दिया जाता, तब तक कोई चुनाव नहीं जीता जा सकता। पिछले 72 साल में कांग्रेस सबसे निचले पायदान पर है। कांग्रेस के पास पिछले दो कार्यकाल के दौरान लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद भी नहीं है।
सोनिया को नेताओं ने चिट्ठी भी लिखी थी
कुछ महीने पहले पार्टी के 23 नेताओं ने इस मसले पर सोनिया गांधी को चिट्ठी भी लिखी थी। इनमें कपिल सिब्बल के साथ गुलाम नबी आजाद भी शामिल थे। चिट्ठी में पार्टी में ऊपर से नीचे तक बदलाव करने की मांग की गई थी।
कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक में चिट्ठी लिखने वाले नेताओं की भाजपा से मिलीभगत का आरोप लगाए जाने से ये दोनों नाराज हो गए थे। बिहार चुनाव में हार के बाद कपिल सिब्बल ने तो यहां तक कह दिया था कि पार्टी ने शायद हर चुनाव में हार को ही नियति मान लिया है। इसे पार्टी के टॉप लीडरशिप यानी सोनिया और राहुल गांधी पर निशाना माना गया था।