इस्लामाबाद: जम्मू-कश्मीर में बीते कुछ महीनों में हुए आतंकी हमलों में M4 राइफलों के इस्तेमाल ने रक्षा एक्सपर्ट और सुरक्षाबलों का ध्यान खींचा है। पाकिस्तान से आने वाले आतंकियों से कश्मीर में M4 कार्बाइन गन लगातार बरामद हो रही हैं। जम्मू-कश्मीर के गांदरबल में हाल ही में सात मौतों की वजह बने आतंकी हमले के सीसीटीवी फुटेज में आतंकियों को M4 राइफलों के साथ देखा गया। अमेरिका में बनी इन राइफलों के बारे में माना जा रहा है कि ये अफगानिस्तान से खरीदी गई हैं, जहां तालिबान सत्ता में हैं। हालांकि ये मामला इतना सीधा नहीं है, इनके कश्मीर पहुंचने का खास पाकिस्तान कनेक्शन है।
संडे गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, काबुल स्थित सूत्रों का कहना है कि कश्मीर में सक्रिय आतंकी गुटों M4 राइफल काबुल से नहीं बल्कि दूसरे स्रोतों (पाकिस्तान) से मिली हैं। तालिबान के सूत्रों ने कहा कि अमेरिकी और नाटो सेनाएं जब अफगानिस्तान में काम कर रही थीं, तो उन्हें पाकिस्तान के कराची और खैबर पख्तूनख्वा के रास्ते काबुल तक हथियार और गोला-बारूद की आपूर्ति की जाती थी। यही इन हथियारों के अलग-अलग गुटों के हाथों में पहुंचने की अहम वजह बनी।
रिपोर्ट कहती है कि केपीके मार्ग का इस्तेमाल सैन्य आपूर्ति और मानवीय सहायता के परिवहन के लिए किया जाता रहा है, जो पाकिस्तान के मुख्य बंदरगाह कराची को खैबर पख्तूनख्वा से जोड़ता है और अफगानिस्तान की सीमा पर है। ये काबुल के लिए पारगमन क्षेत्र के रूप में काम करता है। ये हथियार जब केपीके को पार करते थे तो इन ट्रकों पर क्षेत्र में सक्रिय विभिन्न सशस्त्र समूहों हमला करतो थे, इसने M4 राइफलों को आतंकी गुटों के हाथों में पहुंचा दिया।
हथियारों पर हमलों का फायदा पाक सेना और आईएसआई ने इस तरह उठाया कि वह किसी पुराने वाहन में विस्फोट कर उस घटना का वीडियो बनाकर अमेरिकी बलों को भेज देते थे। कहा जाता था कि तालिबान ने हथियारों से भरे एक ट्रक पर हमला किया और सभी हथियार नष्ट हो गए। वहीं ये हथियार पाक सेना छुपा लेती थी। ऐसे में अमेरिका से उनको नए हथियार और ट्रक मिल जाते थे, जिनका इस्तेमाल जाहिरी तौर पर गलत तरह से किया जाएगा।
अमेरिका के काबुल पर कब्जे के समय M4 राइफलें खोस्त प्रोटेक्शन फोर्स (केपीएफ) को भी दी गई थीं, जिसे अफगान रक्षा मंत्रालय के 25वें डिवीजन के रूप में जाना जाता है। तालिबान के सत्ता में आने के बाद इनके M4 राइफलों के पाकिस्तान स्थित समूहों को बेचने की संभावना है। इस पूरे मामले में अफगानिस्तान के आधिकारिक सूत्र ने कश्मीर में इस्तेमाल के लिए काबुल से M4 बंदूकें खरीदे जाने की खबरों को ‘पूरी तरह गलत’ करार दिया। सूत्र का मानना है कि ये बंदूकें अमेरिकी सेना के काबुल में होने के समय अफगान राष्ट्रीय सेना के सदस्यों के कब्जे में भी थीं, जो पाकिस्तान सेना के साथ संबंध रखते हैं। ऐसे में उनसे ये बंदूकें कश्मीर पहुंच सकती हैं।