कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को साधने में जुटी बीजेपी!

नई दिल्ली। भाजपा का कांग्रेस नेताओं को तोड़कर पार्टी में शामिल करने का मिशन तेजी से चल रहा है। अधिकांश राज्यों में भाजपा कांग्रेस को कमजोर करने के लिए यही रणनीति अपनाये हुए हैं। अब भाजपा के निशाने पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद हैं। भाजपा आजाद को अपनी पार्टी में लाने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है, जबकि वह पहले ही भाजपा में जाने से इनकार कर चुके हैं।

हालांकि उनके इनकार के बावजूद भी भाजपा कोशिशों में लगी हुई है। पिछले दिनों ही भाजपा ने आजाद को साधने की एक और कोशिश की। दिल्ली के अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित मुशायरे के बहाने भाजपा ने कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद को साधने का प्रयास किया।

दरअसल अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की तरफ से आयोजित ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’  मुशायरे के अवसर पर कांग्रेस नेता के लिए केंद्र सरकार की तरफ से रेड कार्पेट व कटआउट लगाए गए। इस कार्यक्रम में केंद्र सरकार के दो मंत्रियों मुख्तार अब्बास नकवी और जितेंद्र सिंह ने भी हिस्सा लिया।

यह पहला मौका था जब मोदी सरकार की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में किसी कांग्रेस नेता का पोस्टर लगाया गया था। केंद्र सरकार के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और जितेंद्र सिंह ने आजाद का जोरदार स्वागत किया।

कार्यक्रम का आयोजन अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय की तरफ से किया गया था। गुलाम नबी आजाद, मुख्तार अब्बास नकवी और जितेंद्र सिंह के साथ वीवीआईपी कतार में बैठे थे। मालूम हो जितेंद्र सिंह पीएमओ में राज्य मंत्री है और जम्मू कश्मीर में लगातार सक्रिय रहे हैं।भाजपा अपनी कोशिश में कामयाब होती है या नहीं यह तो वक्त बतायेगा लेकिन आजाद ने कुछ दिनों पहले भाजपा में जाने के सवाल पर कहा था कि जिस दिन कश्मीर में काली बर्फ होगी उस दिन भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो जाउंगा।

गुलाम नबी आजाद के राज्यसभा से विदाई के दिन प्रधानमंत्री मोदी भावुक हो गए थे, जिसकी खूब चर्चा हुई थी प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर में 2007 के आतंकवादी हमले का उल्लेख किया था। उन्होंने कहा था कि मैं कभी भी आजाद के प्रयासों और प्रणब मुखर्जी के प्रयासों को नहीं भूलूंगा।

उन्होंने कहा कि जब गुजरात के लोग एक आतंकवादी हमले के कारण कश्मीर में फंस गए थे तब उस रात आजाद जी ने मुझे फोन किया था। मोदी ने राज्यसभा में कहा था कि इस घटना के बारे में जानकारी देने वाले आजाद पहले थे। उस घटना को बताते हुए आजाद भावुक हो गए थे।

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