कांग्रेस बोलीः राफेल घोटाले से मोदी सरकार को हुआ फायदा

जम्मू। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए मुद्दों की कमी से जूझ रही कांग्रेस राफेल मामले को ठंडा नहीं होने देना चाहती हैं कांग्रेस के नये अध्यक्ष राहुल गांधी इस राफेल सौदे पर केन्द्र की मोदी सरकार पर देश को अंधेरे में रखने का आरोप लगा रहे हैं वहीं उनके कई नेता भी इस मामले में केन्द्र सरकार को घेरना शुरू कर चुके है। फ्रांस के हुई राफेल डील की कथित अनियिमता को लेकर कांग्रेस लगातार सरकार पर दवाब बनाने में लगी है। अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के नेता और राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा ने आज राफेल लड़ाकू विमान सौदे को आजादी के बाद देश के रक्षा क्षेत्र का सबसे बड़ा घोटाला करार दिया। इस घोटाले से भाजपा को सीधा फायदा होने का आरोप लगाते हुए बाजवा ने सौदे को रद्द करने की मांग की। पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रमुख ने यहां पत्रकारों से कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण को अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए और तथ्यों के साथ सामने आना चाहिए। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि 12 दिसंबर 2012 को खुली अंतरराष्ट्रीय निविदा के मुताबिक प्रत्येक विमान की कीमत 526.10 करोड़ रुपये थी।

उल्लेखनीय है कि फ्रांस से 18 विमानों को ‘तैयार’ स्थिति में आना था जबकि 108 विमानों का निर्माण भारत में ही हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा किया जाना था जो प्रौद्योगिकी के स्थानांतरण पर आधारित था। इस दाम पर 36 विमानों की कीमत 18,940 करोड़ रुपये होनी चाहिए। मोदी ने 10 अप्रैल 2015 को 7.5 अरब यूरो (प्रत्येक विमान की कीमत 1670.70 करोड़ रुपये) फ्रांस के पेरिस में तैयार हालत में खरीदने का ऐलान किया। बाजवा ने कहा, क्या मोदी बताएंगे कि क्यों 41,205 करोड़ रुपये की अतिरिक्त रकम का भुगतान किया जा रहा है? सौदे में गोपनीय प्रावधान की रिपोर्टें सामने आई हैं लेकिन बाजवा ने दावा किया कि भारत और फ्रांस में हुए करार में वाणिज्यिक खरीद मूल्य के गैर प्रकटीकरण का कोई प्रावधान नहीं है। बाजवा ने सवालिया लहजे में कहा कि खरीदे जाने वाले विमानों की संख्या को 126 से घटाकर 36 क्यों किया गया।

इस मुद्दे पर केन्द्र की मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा, 36 विमान 2019 से 2022 के बीच भारत पहुंचेंगे। क्या चीन और पाकिस्तान के खतरे को देखते हुए यह राष्ट्र की सुरक्षा से समझौता नहीं है और तत्काल खरीद के उद्देश्यों को व्यर्थ नहीं करता है? बाजवा ने सवाल किया, मोदी सरकार निर्यात की शर्त को पूरा करने के लिए एक ऐसी कंपनी को अनुबंध दे रही है जिसके पास लड़ाकू विमान निर्माण का कोई अनुभव ही नहीं है? उन्होंने कहा कि रिलायंस डिफेंस लिमिटेड 36 राफेल विमानों की खरीद के ऐलान के सिर्फ 12 दिन पहले यानी 28 मार्च 2015 को अस्तित्व में आई। रिलायंस डिफेंस को अनुबंध मिल गया बावजूद इसके उसके पास एक सुईं बनाने तक का अनुभव नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने यूरोफाइटर टाइफून की ओर से कीमत में 20 प्रतिशत की कमी की पेशकश को जानबूझकर नजरअंदाज किया और सबसे कम कीमत के लिए नई निविदा आमंत्रित करने से इनकार कर दिया। कांग्रेस नेता ने कहा कि संप्रग-कांग्रेस सरकार ने वास्तविक रूप से निविदा आमंत्रित की थी और दोनों लड़ाकू विमान (राफेल और यूरोफाइटर टाइफून) सभी तकनीकी पहलुओं पर समान पाए गए थे।

उन्होंने कहा कि यूरोफाइटर टाइफून ने चार जुलाई 2014 को तत्कालीन रक्षा मंत्री को एक पत्र लिखकर कीमत में 20 प्रतिशत की कमी की पेशकश की थी। बाजवा ने कहा कि कांग्रेस ने घोटाले के बारे में लोगों को सूचित करने का अभियान शुरू किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी संसद में पहले ही यह मुद्दा उठा चुके हैं। कांग्रेस मामले की जांच संयुक्त संसदीय समिति से कराने की मांग कर रही है। पूछा गया कि क्या कांग्रेस सौदे को रद्द करने के पक्ष में है, तो बाजवा ने कहा कि करार को रद्द किया जाना चाहिए क्योंकि यह सुरक्षा का मामला है। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस मोदी सरकार पर राफेल सौदे में घोटाला करने का आरोप लगा रही है वहीं भाजपा इस मुद्दे पर कांग्रेस को यह कहकर कठघरे में खड़ा कर रही है कि उसने फ्रांस सरकार से सौदे की राजदारी के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए थे जिस वजह से वह इस सौदे की रकम को सार्वजनिक नहीं कर सकती है।

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