लॉकडाउन के पहले कानपुर में मेट्रो निर्माण कार्यों को दो वर्ष में पूरा करने के लिए समय निर्धारित किया गया था। लेकिन, यूपीएमआरसीएल ने इसे डेढ़ वर्ष में पूरा करने की तैयारी की थी। हालांकि यूपीएमआरसीएल के अरमानों पर लॉकडाउन ने पूरी तरह से पानी फेर दिया है।
यूपीएमआरसीएल के प्रबन्ध निदेशक कुमार केशव ने शनिवार को बताया कि लॉकडाउन और जनता कर्फ्यू की घोषणा होने से पहले आईआईटी कानपुर से मोती झील के प्राथमिकता वाले कॉरिडोर पर सिविल निर्माण कार्य प्रगति पर था। गत 15 मई से जिला प्रशासन की अनुमति मिलने के बाद फिर से काम शुरू किया गया है।
यूपीएमआरसीएल ने अब कानपुर और लखनऊ के सभी मेट्रो कार्यों को पहले जैसी गति देने के लिए योजनाबद्ध ढंग से कार्य शुरू कर दिया है। फिलहाल वर्तमान परिस्थिति में लॉकडाउन के पूर्व के सिविल निर्माण की गति हासिल कर पाना अभी चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। लेकिन, हर दिन मेट्रो के इंजीनियर व अधिकारी मेट्रो निर्माण कार्य में पूर्व की गति हासिल करने की दिशा में अग्रसर हो रहे हैं। इसमें मेट्रो अभियंताओं की दूरदर्शिता, तैयारी और नियोजित तरीके से किये गये प्रयासों का महत्वपूर्ण योगदान है।
मेट्रो निर्माण कार्यों में मजदूरों की कमी दूर करने के लिए अन्य प्रदेशों से लौटे प्रवासी कामगारों को कार्यदायी संस्थाएं काम में लगा रही हैं। इससे आने वाले दिनों में मेट्रो निर्माण कार्यों में मजदूरों की कमी दूर हो सकती है।
गौरतलब है कि लॉकडाउन के पहले कानपुर और लखनऊ में सभी मेट्रो कार्य निर्बाध गति से हो रहे थे। लेकिन, लॉकडाउन में निर्माण कार्य में लगे मजदूर अपने-अपने घरों में चले गये हैं। इसलिए मेट्रो निर्माण कार्य के लिए अभी तक जितने मजदूर चाहिए, उतने नहीं मिल रहे हैं।