काम की आस में मजदूरों की पथरा रही आंखें लेकिन सरकार को फिक्र नहीं : अखिलेश

लखनऊ। भाजपा राज में खाता न बही जो पीएम कहें वही सही के तर्ज पर राजकाज चल रहा है। प्रधानमंत्री के कार्यकाल में प्रस्तुत केन्द्रीय बजट हों या समय-समय पर राहत पैकेजों की घोषणा सब में ब्योरे गायब रहते हैं। भाजपा सरकार द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ के ‘महा पैकेज‘ को भी अन्य जुमलेबाजी वाली योजनाओं की गिनती में क्यों न रखा जाए? ये बातें समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को कही।
 
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री अपने नेता के पद चिन्हों पर चलते हुए नित नए आयोगों के गठन में व्यस्त हैं। पूरे प्रदेश में काम की आस में मजदूरों की आंखे पथरा रही हैं, लेकिन सरकार को उनकी फिक्र नहीं। अब मुख्यमंत्री बताये कि मेहनतकश का पेट रोटी से भरेगा आयोग की बैठकों और उनके जारी प्रेसनोट से नहीं। श्रमिकों के सामने गहरा अंधेरा है। वे कहां जाए? मुख्यमंत्री जी केवल बयानों में रोजगार बांट रहे हैं। हवा में विदेशी कम्पनियों के उत्तर प्रदेश में आने की तुकबंदी कर रहे हैं।
 
 
अखिलेश ने कहा कि उप्र में कोविड-19 संक्रमण थमने का नाम नहीं ले रहा हैं। कोरोना संक्रमितों की संख्या 10 हजार से ऊपर पहुंच गई हैं। राजधानी लखनऊ में ही रोज नए केस मिल रहे हैं। भाजपा सरकार लाॅकडाउन उठा रही है। अस्पतालों में इलाज के नाम पर या तो लूट हो रही है या लापरवाही। बच्चों के स्कूल कालेज बंद हैं। लाॅकडाउन में आपूर्ति की पूरी चेन बिगड़ जाने से व्यापारी परेशान है। मुख्यमंत्री  बताए कि कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए केन्द्र के 20 लाख करोड़ महा पैकेज से मिले धन को कहां खर्च किया जा रहा है?
 
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार की गलत नीतियों के फलस्वरूप रोटी-रोजगार से वंचित लोग भुखमरी के शिकार होकर अपनी जान गंवा रहे हैं। किसान सहित समाज के तमाम वर्गों के लोग अवसाद में है। कर्ज के बोझ से लदे लोगों को भविष्य में भी अंधेरा दिखाई दे रहा है। बाराबंकी में एक परिवार के पांच लोगों की जिंदगी तमाम परेशानियों की भेंट चढ़ गई। गाजियाबाद एटलस साइकिल कम्पनी बंद हो गई। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के फखरूद्दीन स्थित प्लांट पर भी श्रमिकों को हटा दिया गया है। प्रदेश में भूख से लोगों का मरना रूकना चाहिए।

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