किसानों की दशकों पुरानी मांग आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव को कैबिनेट की मंजूरी

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने किसानों की दशकों पुरानी मांग का संज्ञान लेते हुए बुधवार को आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव को मंजूरी दे दी है। यह फैसला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया।
केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने मंत्रिमंडल के बैठक की जानकारी देते हुए बताया कि किसानों को आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे से कई कृषि उत्पादों को बाहर करने की घोषणा को मंत्रिमंडल ने अपनी स्वीकृति दे दी है। उन्होंने कहा कहा कि बैठक में किसानों के लिए 3 बड़े निर्णय लिए गए। मंत्री ने कहा कि आवश्यक वस्तु कानून की तलवार से निवेश को रोका। इसके तहत अनाज, तेल, तिलहन, दाल, प्याज व आलू जैसी वस्तुएं आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे से बाहर कर दी गई हैं।
अब किसान योजना के अनुसार भंडारण और बिक्री कर सकता है। इससे किसानों को बहुत फायदा होगा। उन्होंने कहा कि किसानों की यह मांग 50 सालों से थी जो आज पूरी हो गई। उन्होंने कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि अब किसान अपना उत्पादन कहीं भी बेच सकेगा और उसे ज्यादा देने वालों को उत्पाद बेचने की आजादी मिल गई है।
इसके अलावा किसानों को एक देश-एक बाजार के छूट को मंजूरी दी गई। इसके लिए अब कानून बनेगा। जावड़ेकर ने कहा कि किसानों के लिए सरकार ने तीसरे फैसले के तहत ज्यादा कीमतों के गारंटी पर भी निर्णय दिया है कि कोई निर्यातक किसी दूसरे पदार्थों का उत्पादक है तो उसको कृषि उपज आपसी समझौते के तहत बेचने की सुविधा होगी। इससे सप्लाई चेन खड़ी होगी। भारत में पहली बार ऐसा कदम उठाया है।
मंत्री ने कहा बैठक में चौथा निर्णय वाणिज्य और उद्योग जगत के लिए हुआ। अब हर मंत्रालय में प्रोजेक्ट डेवलपमेंट सेल बनेगा। इससे भारत निवेशकों के लिए ज्यादा आकर्षक और अनुकूल देश बनेगा। वहीं कोलकाता पोर्ट को श्यामा प्रसाद मुखर्जी का नाम दिया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 11 जनवरी को इसकी घोषणा की थी। इसके अलावा फार्मोकोपिया कमीशन की स्थापना का निर्णय हुआ है। फार्मोकोपिया कमीशन होम्योपैथी एंड इंडियन मेडिसिन होगी। गाजियाबाद में आयुष मंत्रालय के दो लैब्स हैं। इन दोनों लैब्स का भी इसके साथ मर्जर किया जाएगा।

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