किसान ‘आंदोलन’ के नाम पर आम आदमी की जिंदगी और समय से हो रहा खिलवाड़

नई दिल्ली। बीते 204 दिनों से किसानों का दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानून के विरोध में प्रदर्शन जारी है। प्रदर्शन के नाम पर आम इंसान की जिंदगी और समय के साथ खिलवाड़ हो रहा है। 7 महीने से अधिक समय से मुख्य सड़कें और हाइवे बंद होने के कारण आम नागरिकों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जिस गूगल मैप के जरिए एक आम इंसान अपना सफर पूरा करने की कोशिश करता था वह गूगल मैप भी अब उन सड़कों को दिखाता है जो कभी सड़कें थी ही नहीं।

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गाजीपुर, टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर हजारों की संख्या में किसान कृषि कानून के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करा रहें हैं। गाजीपुर बॉर्डर (यूपी गेट) पर किसानों ने नेशनल हाइवे बंद कर रखा है।

गाजियाबाद, मेरठ की ओर से आने वाली गाड़िया यूपी गेट पर पहुंचने के बाद घण्टों इधर से उधर घूमती रहती हैं। यदि आप किसान है और उनके आंदोलन को समर्थन दे रहें हैं तो आपके लिए रास्ते खोल दिये जातें हैं।

लेकिन एक आम इंसान को दिल्ली की सीमा को छूने के लिए घण्टों बर्बाद करने पड़ते हैं। लेकिन फिलहाल किसानों को अपनी समस्या के आगे किसी और कि समस्या नजर नहीं आ रही है।

7 महीने में किसानों ने अपने टैंट को और मजबूत कर लिए है। भले ही किसानों की संख्या बीच मे कम हुई हो लेकिन एक बार फिर किसान दिल्ली की सीमाओं की ओर कूच करने लगे है। गाजीपुर बॉर्डर स्थित खोड़ा कॉलोनी में ऑटो का सामान बेचने वाले मनोज कुमार ने किसानों के आन्दोल के कारण हो रही परेशानियों के बारे में जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि, किसानों के आंदोलन करने से बहुत दिक्कत हो रही है, जिस जगह पर हम बैठे है ये सर्विस लेन है। लेकिन हाइवे पर आने वाली गाड़ियां इसी लेन से होती हुई गुजर रही है।

सुबह और शाम इतना ट्रैफिक हो जाता है कि हमारी दुकान पर आने वाली गाड़ीयां आती ही नहीं। स्थानीय पुलिस हमे परेशान करती है कि दुकान के सामने गाड़ियां मत लगवाओ ताकि जाम न लगे। उन्होंने आगे कहा कि, जल्द सरकार इनकी समस्या को सुलझा कर इन्हें वापस भेजे, ताकि चीजे सामान्य हो हम भी अपने व्यापार पर ध्यान दें और बच्चों को पालें।

गाजीपुर बॉर्डर स्थित सड़कों पर ऑटो चालक भी इस आंदोलन से परेशान हैं। उनके मुताबिक 1 किलोमीटर के सफर को 4 से 5 किलोमीटर का सफर बनाकर पूरा करना पड़ता है।

ऑटो चालक गंगा सिंह ने बताया कि, प्रति दिन 200 रुपए का नुकसान हो रहा है। दिल्ली की सीमा को पार करने के लिए एक घण्टा चाहिए। जो सवारियां बाहर से आती है उनको पता ही नहीं होता अब किस तरफ से जाना है वह फस जाते हैं। सरकार को जल्द इनके मसले का हल करना चाहिए। क्या सही है और क्या गलत उसका निर्णय कर यह समस्या दूर होनी चाहिए।

अन्य ऑटो चालक विनोद ने बताया कि, 4 किलोमीटर फालतू घूमकर आना पड़ता है। तमाम गलियों में गड्ढे है जिनके कारण ऑटो में नुकसान होता है, जिस गाड़ी में साल भर में काम होता था वह अब दो महीने में काम मांग रही है।

सवारियां मिलती है, लेकिन जो हमारा फालतू चक्कर लग रहा है उसका कोई अलग से पैसा नहीं देता। पहले सीधे रास्ता होने के कारण एक सवारी के 10 रुपए मिलते थे अब उसी सफर को अंदर गलियों से पूरा करना पड़ता है तब भी 10 रुपए मिलते हैं। उन्होंने आगे कहा कि, पहले हजार रुपए तक कमा लिया करते थे लेकिन अब 400 रुपए ही कमा पाते हैं। हर ऑटो चालक परेशान है लेकिन कोई कहना पसंद नहीं करता।

इन सभी की परेशानियों को सुन इतना तो तय है कि किसान हो या सरकार आम इंसान की खामोशी को अब मजबूरी समझा जाने लगा है। आंदोलन के कारण इन रास्तों पर मौजूद शोरूम भी नुकसान झेल रहे है।

गाजीपुर बॉर्डर स्थित खोड़ा कॉलोनी में मौजूद देव टीवीएस शोरूम के मैनेजर अशोक मल्होत्रा ने बताया कि, 40 फीसदी व्यापार का नुकसान इस आंदोलन के कारण हो रहा है। कुछ महीने बीच मे ऐसे भी रहे जब आंदोलन ने तेजी पकड़ी ,उस वक्त 50 फीसदी से ज्यादा व्यापार को नुकसान हुआ।

कोरोना और किसान आंदोलन ने हमें मार रखा है।हमारा शोरूम जिधर मौजूद है वह आंदोलन स्थल के फ्रंट पर ही है। जिसके कारण आए दिन समस्या आती है। उन्होंने कहा कि, डिजिटल का जमाना है हम ग्राहकों को शोरूम का पता गूगल मैप के जरिए भेजते हैं, लेकिन गूगल मैप लोकेशन बता ही नहीं पाता। ग्राहक आने के बाद इधर से उधर घूमते रहते है। इन सबसे परेशान होकर ग्राहक दूसरे शोरूम चला जाता है।

हालांकि जब किसानों से इस मसले पर बात की जाती है तो किसान इसको सरकार की गलती बतातें हैं। गाजीपुर बॉर्डर पर मौजूद किसान नेता जगतार सिंह बाजवा ने कहा कि, हमने कौनसी सड़कें बंद कर रखी हैं ? सड़कें खुली हुई हैं। जाने वाले लोगों के लिए ऑल्टरनेट रास्ता दे रखा है जिसपर उन्हें रोका नहीं जाता। हमने कोई रास्ता नहीं रोका है। हम किसान साथी दिल्ली जा रहे थे, लेकिन हमें पुलिस ने रास्ते मे रोक दिया है।

पुलिस ने रास्ते रोकें हैं, हम चाहते है कि यदि किसी को परेशानी हो रही है तो उनकी परेशानियों को जल्द सुलझाया जाये।

भारतीय किसान यूनियन के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन ने कहा कि, 7 महीने हुये हैं तो ये सरकार की हठधर्मीता है। समस्या का समाधान नहीं कर रही है। किसान खेती भी करेगा और आंदोलन भी करेगा। प्रशासन ने नए सिरे से सड़कों को खोलें जो सड़कें अभी खुली है वह हमने ही खुलवाई थी।

दिल्ली से आने वाली नीचे की सड़कों को खोलें, पहले भी आंदोलन के दौरान खुली हुई थी अब भी खोले दें।

किसान नेताओ के बयानों से इतना तो साफ जाहिर हो गया है कि अपनी गलतियों को मानने की जगह उन्हें अब दूसरों पर थोपा जा रहा है और ये पहली बार नहीं जब किसान अपनी गलतियों को छिपा कर आगे की रणनीति बनाने में जुटे हो।

किसान और सरकार बलहे ही बात करने को तैयार हो लेकिन बात शुरू कौन करें ये सबसे बड़ी समस्या है। किसान अपनी मांगों पर अड़ी हुई है सरकार उन मांगो को छोड़ कर किसानों से अन्य मुद्दों पर बात करना चाहती है।

अब चाहे सरकार हो या किसान आम इंसान को हर दिन अपने परिवार का पेट पालना होता है यदि जब उसमें भी उसे दिक्कत आना शुरू होने लगे क्या ये उसकी जिंदगी के साथ खिलवाड़ नहीं ?

दरअसल तीन नए अधिनियमित खेत कानूनों के खिलाफ किसान पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम,2020; मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम,2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 पर किसान सशक्तिकरण और संरक्षण समझौता हेतु सरकार का विरोध कर रहे हैं ।

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