नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 19वां दिन है। दिल्ली की सीमाओं पर किसान आज सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक भूख हड़ताल पर बैठे। इस बीच, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि उत्तर प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, बिहार और हरियाणा के 10 किसान संगठनों ने कृषि कानूनों को सही बताया है और उनका समर्थन किया है। आंदोलन कर रहे किसानों के लिए तोमर ने कहा कि हम बातचीत के लिए तैयार हैं। वो हमारे प्रपोजल पर अपना विचार बताएंगे तो हम निश्चित रूप से आगे बातचीत करेंगे।
किसान प्रतिनिधि कानूनों के समर्थन में- पीयूष गोयल
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा- देश का किसान मोदी सरकार के कृषि कानूनों की अहमियत समझता है। राज्यों के किसान प्रतिनिधियों ने कहा है कि पंजाब का आंदोलन राजनीति से प्रेरित है। किसी भी कीमत पर ये कानून वापस नही होने चाहिए।
उधर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘एग्रीकल्चर एक अहम सेक्टर है, इसमें विपरीत फैसले लेने का सवाल ही नहीं उठता। मौजूदा सुधार किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए किए गए हैं। किसान भाइयों से बातचीत के दरवाजे हमेशा खुले हैं।’
अपडेट्स
- हरियाणा के सांसद और विधायक आज कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मिलेंगे। हरियाणा भाजपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ के नेतृत्व में सांसद और विधायक तोमर से मिलने कृषि भवन पहुंचेंगे।
- भारतीय किसान यूनियन (हरियाणा) के प्रेसिडेंट गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा है कि सरकार MSP पर सभी को गुमराह कर रही है। एक तरफ भाजपा यह प्रचार कर रही है कि MSP जारी रहेगी। उधर, गृह मंत्री अमित शाह ने 8 दिसंबर को हमारे साथ मीटिंग में कहा था कि सरकार सभी 23 फसलों को MSP पर नहीं खरीद सकती, क्योंकि इस पर 17 लाख करोड़ रुपए खर्च होंगे।
- ऑल इंडिया किसान को-ऑर्डिनेशन कमेटी से जुड़े 10 संगठनों ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात कर कृषि बिलों का समर्थन किया है। ये संगठन उत्तर प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, तेलांगना, बिहार और हरियाणा के हैं।
- RSS से जुड़ा संगठन स्वदेशी जागरण मंच भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का सपोर्ट कर रहा है। संगठन का कहना है कि किसानों को MSP की गारंटी मिलनी चाहिए। इससे कम कीमत पर खरीद को गैर-कानूनी घोषित करना चाहिए।
- कृषि कानूनों के खिलाफ सोमवार को यूपी के बांदा जिले में बुंदेलखंड इंसाफ सेना भी किसानों के समर्थन में उतर आई। इस दौरान कई पदाधिकारियों ने अपने सिर का मुंडन कराकर अपना विरोध जताया। उनका कहना था कि सिंधु और टिकरी बॉर्डर पर अब तक 11 किसानों की जान जा चुकी है। सरकार को जल्द से जल्द समस्या का समाधान निकालना चाहिए।
- किसानों को दिल्ली की सीमाओं से हटाने की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट 16 दिसंबर को सुनवाई करेगा। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की बेंच में इसकी सुनवाई होगी। अर्जी लगाने वाले लॉ स्टूडेंट ऋषभ शर्मा का कहना है कि किसान आंदोलन के चलते सड़कें जाम होने से लोग परेशान हो रहे हैं। साथ ही कोरोना संक्रमण बढ़ने का भी खतरा है।
केजरीवाल ने किसानों के समर्थन में उपवास रखा
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने किसानों की भूख हड़ताल को समर्थन देते हुए आज उपवास रखा है। उन्होंने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों से भी उपवास करने की अपील की है। उधर, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने केजरीवाल के उपवास को नौटंकी बताया।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, ‘हमारे किसान इन दिनों संकट में हैं। जिन लोगों को अपने खेतों में काम करना चाहिए, वे ठंड में सड़कों पर बैठे हैं। मैं खुश हूं कि सेना, वकील, अभिनेता, डॉक्टर सहित देश के लोग उनके साथ हैं। हम भी किसानों के साथ हैं। उन्होंने कहा कि किसान और जवान देश की नींव होते हैं। नए कृषि कानून से महंगाई बढ़ जाएगी। कृषि कानून किसानों और आम आदमियों के खिलाफ है।’
किसानों को मनाने के लिए अमित शाह सक्रिय
किसान आंदोलन को लेकर गृह मंत्री अमित शाह सक्रिय हो गए हैं। अभी तक शाह की किसानों के साथ एक ही बैठक हुई है, लेकिन अब हर मुद्दा वे खुद देख रहे हैं। इसे लेकर 3 दिन में शाह 5 से ज्यादा बैठकें कर चुके हैं। सरकार हर राज्य के किसानों के लिए अलग स्ट्रैटजी बना रही है।
पंजाब के किसान नेताओं को शाह खुद समझाएंगे
किसानों को मनाने और आंदोलन खत्म कराने के लिए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को अलग-अलग राज्यों और यूनियनों की जिम्मेदारी दी गई है। ये दोनों सभी से अलग-अलग बात करेंगे। लेकिन, पंजाब के किसान नेताओं की जिम्मेदारी अमित शाह ने अपने पास रखी है।