‘कुली नं. 1’ मूवी रिव्यू: गोविंदा वाली ‘कुली नं. 1’ की हूबहू कॉपी है वरुण-सारा की फिल्म

‘कुली नं. 1’ पलायनवादी सिनेमा की पराकाष्ठा है। हालांकि, इसकी शिकायत भी नहीं कर सकते। क्‍योंकि डेविड धवन की ऐसी 45 फि‍ल्मों को यहीं की ऑडियंस हिट करवाती रही है। ऐसी फि‍ल्मों के पीछे बनाने वालों के तर्क होते हैं कि दर्शक असल जिंदगी में पहले ही असल जिंदगी से हैरान-परेशान है। रोजी-रोटी में ही रोजमर्रा की भागदौड़ उसके दिमाग को थकाए हुए है। लिहाजा, सिनेमाघर में उन्‍हें उस जद्दोजहद वाली जिंदगी से दूर कहीं हंसी-खुशी की दुनिया में ले जाना है। यहां भी वही कोशिश है।

क्या है फिल्म की कहानी

गोवा के अमीर जेफ्री रोजारियो (परेश रावल) ने जोडि़यां मिलवाने वाले पंडित जयकिशन (जावेद जाफरी) की बेइज्जती की है। सिर्फ इसलिए कि वह उसकी बेटी सारा रोजारियो (सारा अली खान) के लिए गरीब घर का रिश्ता लेकर आया था। ऐसे में जयकिशन मुंबई सेंट्रल के अनाथ राजू कुली (वरुण धवन) की शादी कैसे सारा रोजारियो से तय करवाता है, फिल्‍म उस बारे में है।

राजू को कुंवर राज प्रताप सिंह बनवाया जाता है। पंडित जय किशन बन जाता है जैक्‍सन। जेफ्री रोजारियो और सारा उन बहरूपियों के झांसे में आ भी जाते हैं। इसके आगे कहानी में काफी ट्विस्ट और उतार-चढ़ाव आते हैं, जिनके जरिए दर्शकों को हंसाने की कोशिश की गई है।

2020 में भी लड़की का ऐसा अंधा विश्वास?

डेविड धवन के नजरिए से मान लिया कि कहानी में सब ठीक है। लेकिन हम भला कैसे उनके झांसे में आ जाएं। 2020 की सारा रोजारियो भी कुंवर राज प्रताप सिंह के बारे में तफ्तीश नहीं करती। उसे अमीर घराने का मान कर शादी के लिए हां कर देती है। अब इससे नए भारत का युवा दर्शक कैसे कन्विन्स होगा? इसका जवाब तो शायद डेविड धवन के पास भी न हो। वह इसलिए कि एक बड़ी जेनरेशन कमिटमेंट फोबिक है। प्यार करना है, पर शादी नहीं। शादी कर ली तो फैमिली अभी नहीं। वहां सारा रोजारियो बड़ी आसानी से राजू कुली उर्फ कुंवर राज प्रताप सिंह पर अंधा विश्वास कर लेती है।

गोविंदा वाली ‘कुली नं. 1’ की नकल

राइटिंग और डायरेक्टर इस तथ्‍य की तह में भी जाने की जहमत नहीं उठाते कि पंडित जयकिशन उर्फ जैक्सन के पास राजू कुली को करोड़पति दिखाने के लिए पैसे कहां से आ रहे हैं। कुल मिलाकर गोविंदा और करिश्मा कपूर वाली ‘कुली नं. 1’ को हूबहू आज की तारीख में सेट कर लिया गया है। कहानी, किरदार, घटनाक्रम किसी में रत्ती मात्र रद्दोबदल नहीं है। अब इस पलायनवादी सिनेमा को ओटीटी की ऑडियंस क्‍या प्रतिक्रिया देगी, वह देखना दिलचस्‍प होगा। लेकिन वह भी पता नहीं चल सकेगा, क्‍योंकि डिजिटल प्लेटफॉर्म तो व्यूज के आंकड़े जाहिर करते नहीं।

एक्टिंग में फीकी रहीं सारा अली खान

वरुण धवन और गोविंदा की तुलना वो लोग जरूर करेंगे, जिन्होंने पुरानी ‘कुली नं. 1’ देख रखी है। वरुण ने लाउड रहने की पूरी कोशिश की है। मिथुन चक्रवर्ती की आवाज निकालकर राजू कुली को स्थापित करने की कोशिश है। जावेद जाफरी, राजपाल यादव, परेश रावल सबने जबरिया कॉमेडी करने पर जोर दिया है, मगर हंसी लेश मात्र आती है।

सारा रोजारियो के रोल में सारा अली खान के लिए यहां कुछ खास नहीं था। उन्‍हें एक्सप्रेशंस पर और काम करना होगा। हां डांस में उनकी मेहनत और प्रतिभा झलकती है। बाकी कलाकार भी परफॉरमेंस के स्‍तर पर पुरानी फिल्‍म से शक्ति कपूर, कादर खान आदि से बहुत पीछे हैं।

डायलॉग्स वॉट्सऐप जोक से इंसपायर्ड

स्क्रीनप्ले रूमी जाफरी का है। संवाद टिपिकल फरहाद सामजी वाले हैं। वो वॉट्सऐप पर फॉरवर्ड हुए जोक्स से इंसपायर्ड हैं। इसके पीछे भी दर्शकों की डिमांड का हवाला दिया जाता है। साथ ही किरदारों से बड़ी तेजी से डायलॉग बुलवाए जाते हैं, जो जरूरत से ज्‍यादा फास्ट हो जाती है। दर्शकों को सांस लेने का भी मौका नहीं मिल पाता। वरुण प्रतिभावान कलाकार हैं। ऐसी स्क्रिप्ट्स और मिजाज के लिए हामी भर कर वे खुद के साथ न्‍याय नहीं कर सकेंगे।

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