केंद्र और EC को नोटिस, याचिकाकर्ता ने पूछा था- आम आदमी से जुर्माना, नेताओं पर नरमी क्यों?

नई दिल्ली। हजारों लाखों की भीड़ के बीच नेता बिना मास्क लगाए चुनाव प्रचार कर रहे हैं। उधर, मास्क न लगाने पर आम आदमी से अब तक अलग-अलग राज्यों में करोड़ों रुपए बतौर जुर्माना वसूले जा चुके हैं। दिल्ली हाई कोर्ट में इस संबंध में दी गई एक याचिका पर आज सुनवाई हुई। कोर्ट ने केंद्र और चुनाव आयोग से इस मामले पर जवाब मांगा है।

इस संबंध में 17 मार्च को यूपी के पूर्व DGP और थिंक टैंक सीएएससी के चेयरमैन विक्रम सिंह ने एक याचिका डाली थी। कोर्ट ने 22 मार्च को नोटिस जारी करके केंद्रीय गृह मंत्रालय और चुनाव आयोग से 30 अप्रैल के पहले अपना जवाब दायर करने का आदेश दिया। उसके बाद 23 मार्च को केंद्र सरकार ने कोरोना की नई गाइडलाइंस जारी की थीं।

जनता हो या नेता, नियम सबके लिए एक होना चाहिए
सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट विराग गुप्ता ने बताया कि इस याचिका में कानून के सामने ‘बराबरी’ और ‘जीवन’ के मूल अधिकारों का हवाला देते हुए कहा गया है कि देश में सबके लिए नियम कायदे सभी के लिए एक होने चाहिए।

चुनाव प्रचार के दौरान अगर प्रत्याशी, स्टार प्रचारक या समर्थक मास्क लगाने का नियम तोड़ें तो उन पर स्थायी तौर पर या फिर एक तय समय के लिए चुनाव प्रचार पर रोक लगा देनी चाहिए। चुनाव आयोग मीडिया के जरिए 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में ‘मास्क’ और ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ को लेकर जागरुकता लाए।

किताब में दिए बिना मास्क प्रचार और जुर्माने के सबूत

विराग अनमास्किंग वीआईपी किताब के लेखक भी हैं। उन्होंने यह किताब पिछले साल लॉकडाउन के समय लिखी थी। गुप्ता इस किताब में कहते हैं कि बिना मास्क लगाए चुनावी रैलियों को लीड करने वाले ये नेता करोड़ों देशवासियों और अर्थव्यवस्था के लिए बड़े खतरे पैदा कर सकते हैं।

एक तरफ जहां आम आदमी पर मास्क न लगाने पर जुर्माना थोपने के साथ उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ नेता बिना मास्क लगाए बड़ी रैलियां और रोड शो कर रहे हैं।’ इस किताब में बिना मास्क लगाए रैलियों में प्रचार करते नेताओं की फोटो बतौर सबूत दी गई हैं। अब तक आम जनता पर लगाए गए जुर्माने की भारी भरकम रकम का राज्यवार ब्योरा भी दिया गया है।

आम जनता से राज्यों ने वसूला भारी भरकम हर्जाना
दिल्ली पुलिस ने अप्रैल से जुलाई 2020 तक 2.4 करोड़ रु. आम जनता से बतौर जुर्माना वसूला। नवंबर में दोबारा जारी किए गए दिशा-निर्देश के बाद महज 5 दिन में डेढ़ करोड़ रु. वसूले गए। बॉम्बे म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन ने 16.77 करोड़ रु. 20 अप्रैल से 23 दिसंबर तक वसूले। चुनावी राज्य तमिलनाडु में पुलिस ने जून 2020 में दो करोड़ रु. वसूले।

उत्तराखंड में 6.85 करोड़ रु. लॉकडाउन के समय वसूले गए। झारखंड पुलिस ने लाकडाउन के समय मास्क न पहने पर तकरीबन 5 करोड़ रु. बतौर जुर्मना 1845 लोगों से वसूले। बिहार में यह आंकड़ा बढ़कर 12 करोड़ को भी पार कर गया। राज्यों की फेहरिस्त और भी लंबी है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here