केजरीवाल की जमानत पर आज दिल्ली हाईकोर्ट फैसला सुनाएगा

दिल्ली CM अरविंद केजरीवाल को जमानत मिलेगी या नहीं, इस पर दिल्ली हाईकोर्ट आज दोपहर 2:30 बजे फैसला सुनाएगा। राउज एवेन्यू कोर्ट ने 20 जून को केजरीवाल को बेल दी थी, लेकिन ED की याचिका पर हाईकोर्ट ने 21 जून को रोक लगा दी थी।

हाईकोर्ट ने 21 जून को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा था कि हम 24-25 जून तक फैसला सुनाएंगे। तब तक जमानत पर रोक रहेगी। ED ने 24 जून को हाईकोर्ट में लिखित जवाब दाखिल कर केजरीवाल को जमानत दिए जाने को गैरकानूनी बताया था।

ED के वकील ने कहा कि ट्रायल कोर्ट की वेकेशन बेंच के सामने जो भी जरूरी दस्तावेज रखे गए थे, बेंच ने उस पर ध्यान देना जरूरी नहीं समझा। इन दस्तावेजों में सबूत थे कि केजरीवाल मनी लॉन्ड्रिंग केस में पूरी तरह शामिल हैं।

ED के मुताबिक, दिल्ली शराब घोटाले से जो काला धन जमा हुआ था, उसमें आम आदमी पार्टी की बड़ी हिस्सेदारी थी। प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत केजरीवाल की भूमिका को नजरअंदाज करके वेकेशन बेंच ने भूल की है।

सुप्रीम कोर्ट बोला- हाईकोर्ट के आदेश के बाद ही फैसला देना सही
दूसरी तरफ, केजरीवाल ने 23 जून को हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उनकी याचिका पर सोमवार (24 जून) को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने अभी फैसला नहीं सुनाया है, इसलिए उसके पहले कोई आदेश देना सही नहीं होगा। थोड़ा इंतजार करना चाहिए।

जस्टिस मिश्रा ने कहा कि हाईकोर्ट की तरफ से फैसला सुरक्षित रखना असमान्य बात है। आमतौर पर स्टे की याचिका में फैसला उसी समय सुनाया जाता है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने 26 जून तक के लिए सुनवाई टाल दी।

कोर्ट रूम LIVE
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार (24 जून) को हुई सुनवाई में केजरीवाल की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी और विक्रम चौधरी पेश हुए। वहीं, ED की तरफ से सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता और एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) एसवी राजू ने दलीलें दी। पढ़िए से दलीलें…

  • विक्रम चौधरी: निचली अदालत के बेल ऑर्डर अपलोड होने से पहले ही ED ने रोक की याचिका हाईकोर्ट में लगाई थी। हाईकोर्ट ने उसी दिन इसे अर्जेंट सुनवाई के लिए कैसे लिस्ट किया?
  • विक्रम चौधरी: सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी थी। तब SC ने माना था कि केजरीवाल के खिलाफ कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं है। वे सोसाइटी के लिए खतरा नहीं है।
  • अभिषेक सिंघवी: सुप्रीम कोर्ट ने पहले कई आदेश दिए हैं, जिसमें कहा गया है कि एक बार अगर बेल दे दी जाती है, तो उसपर बिना किसी खास वजह के स्टे नहीं लगाया जा सकता है।
  • ASG राजू: जब ऑर्डर विकृत होता है तो स्टे लगाया जा सकता है।
  • जस्टिस मिश्रा: क्या बेल ऑर्डर में पीएमएलए में जमानत की दोनों शर्तों का उल्लेख था?
  • ASG राजू: नहीं।
  • SG तुषार मेहता: हाईकोर्ट के वेकेशन बेंच ने यह मामला सुना था। कोर्ट को केस के पूरे रिकॉर्ड पढ़ने थे। केस की पूरी फाइल पढ़े बिना ऑर्डर कैसे पास किया जा सकता था।
  • जस्टिस मिश्रा: सिंघवी जी, हम अगले हफ्ते की डेट फिक्स करते हैं। हाईकोर्ट का फैसला आने देते हैं।
  • अभिषेक सिंघवी: हाईकोर्ट ने लोअर कोर्ट के फैसले को देखे बिना ही स्टे लगा दिया था, आप भी हाईकोर्ट के फैसले से पहले ही उस पर स्टे लगा दीजिए।
  • जस्टिस मिश्रा: हाईकोर्ट ने अगर गलती की है तो क्या हम भी गलती करें? मामले को 26 जुलाई को सुनेंगे। अभी कोई ओपिनियन नहीं देना चाहिए।
  • SG तुषार मेहता: क्या माले को 27 जुलाई के लिए लिस्ट कर सकते हैं ?
  • विक्रम चौधरी: क्या कल (25 जुलाई) के लिए लिस्ट नहीं कर सकते?
  • SG तुषार मेहता: हाईकोर्ट पर दबाव नहीं डालना चाहिए। ये कोई बहुत बड़ा मामला नहीं है।
  • जस्टिस मिश्रा: हाईकोर्ट का फैसला सुरक्षित रखना समान्य बात नहीं है। हम इसे 26 को ही सुनेंगे।

लोअर कोर्ट ने कहा था- ED के पास केजरीवाल के खिलाफ सीधे सबूत नहीं
राउज एवेन्यू कोर्ट ने 20 जून को शाम 8 बजे अरविंद केजरीवाल को जमानत दे दी थी। जज न्याय बिंदु की बेंच ने कहा था कि ED के पास अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कोई सीधे सबूत नहीं हैं। कोर्ट ने केजरीवाल को 1 लाख के बेल बॉन्ड पर जमानत दे दी थी।

राऊज एवेन्यू कोर्ट के बेल ऑर्डर की 5 बातें…

  • ED के पास केजरीवाल के खिलाफ आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं। वह किसी भी तरह से सबूत हासिल करने के लिए वक्त ले रही है। यही बात अदालत को जांच एजेंसी के खिलाफ फैसला लेने के लिए मजबूर करती है कि वह पक्षपात के बिना काम नहीं कर रही है।
  • जस्टिस न्याय बिंदु ने कहा- ED केजरीवाल के उठाए कुछ मुद्दों पर चुप है, जैसे कि उनका नाम CBI केस या ECIR की FIR में नहीं है। केजरीवाल के खिलाफ आरोप कुछ सह-आरोपियों के बयानों के बाद सामने आए हैं। कोर्ट ने अमेरिका के संस्थापकों में से एक बेंजामिन फ्रैंकलिन के कोट का जिक्र किया- ‘एक निर्दोष को सजा देने से बेहतर है कि 100 दोषी छूट जाएं।’
  • यह भी एक बड़ा फैक्ट है कि केजरीवाल को आज तक अदालत ने तलब नहीं किया है, फिर भी वे अभी भी चल रही जांच के बहाने ED के कहने पर न्यायिक हिरासत में हैं। ED यह स्पष्ट करने में विफल रहा है कि पूरी धनराशि का पता लगाने के लिए उसे कितना समय चाहिए।
  • यह भी ध्यान देने वाली बात है कि ED इस बारे में चुप है कि अपराध की आय का इस्तेमाल गोवा में आम आदमी पार्टी ने विधानसभा चुनावों में कैसे किया है, जबकि लगभग 2 साल बाद भी इस पूरे अमाउंट का बड़ा हिस्सा पता लगाना बाकी है।
  • इसकी भी संभवाना है कि केजरीवाल के कुछ परिचित लोग किसी अपराध में शामिल हों या अपराध में शामिल किसी तीसरे व्यक्ति को जानते हों, लेकिन ED अपराध की आय के संबंध में उनके खिलाफ कोई जाहिर सबूत नहीं दे सकी है।

लोअर कोर्ट ने जमानत के लिए 2 शर्तें लगाईं

1. वे जांच में बाधा डालने या गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेंगे।

2. जरूरत पड़ने पर अदालत में पेश होंगे और जांच में सहयोग करेंगे।

ED का आरोप-
लोअर कोर्ट के फैसले के विरोध में ED ने 21 जून को दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि जमानत का फैसला सही नहीं है।एजेंसी ने आरोप लगाया कि हमें दलीलें रखने का पूरा समय नहीं मिला। ED की ओर से ASG एसवी राजू, केजरीवाल की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी और विक्रम चौधरी ने करीब 5 घंटे दलीलें रखी थीं।

बेंच ने 5 घंटे की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था और सभी वकीलों से 24 जून तक लिखित दलीलें दाखिल करने को कहा था।

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