नई दिल्ली। बायोमेटिक सिक्योरिटी के लिए आमतौर पर आवाज की पहचान, फिंगरप्रिंट स्कैनिंग, फेशियल और आइरिस रिकाग्निशन, हार्ट रेट सेंसर आदि का उपयोग होता है। फिंगरप्रिंट स्कैनर में दोनों हाथों की अंगुलियों को स्कैन कर उस व्यक्ति की पहचान की जाती है। यह कार्य कंप्यूटर के डाटाबेस में सेव इंफार्मेशन के आधार पर होता है। यह बेहद सटीक इंफार्मेशन प्रदान करता है।
वहीं वायस रिकाग्निशन में व्यक्ति की आवाज के आधार पर उसकी पहचान की जाती है। आइरिस स्कैनर में आंखों के रेटिना को स्कैन किया जाता है। फिंगरप्रिंट स्कैनर की तरह ही आइरिस स्कैनर भी सटीक और बेहद सही जानकारी देता है। फेस स्कैनर में व्यक्ति के चेहरे को स्कैन कर उसकी पहचान की जाती है। वैसे देखा जाए, तो आजकल संवेदनशील दस्तावेजों और कीमती सामानों की सुरक्षा के लिए एडवांस बायोमेटिक्स का उपयोग किया जाता है।
कैस्पर्सकी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सिटीबैंक बायोमेटिक के लिए पहले से ही वायस रिकाग्निशन का उपयोग करता है। वहीं ब्रिटिश बैंक हैलिफैक्स उन उपकरणों का परीक्षण कर रहा है, जो ग्राहकों की पहचान को सत्यापित करने के लिए दिल की धड़कन की निगरानी करता है।
बायोमेटिक तकनीक फिलहाल आथेंटिकेशन के लिए बाकी सभी तकनीक से ज्यादा सुरक्षित है। आमतौर पर बायोमेटिक डाटा को हैक करना कठिन होता है। पासवर्ड चुराने के मुकाबले हैकिंग में अधिक समय लगता है। बिना किसी की नजर में आए हैकिंग की कोशिश करना काफी मुश्किल है। इतना ही नहीं, फर्जी पहचान बनाने के लिए यूजर्स के बहुत से डाटा की जरूरत होती है।
मगर चुनौती यह भी है कि फेशियल रिकाग्निशन सहित बायोमेटिक स्कैनर को गुमराह किया जा सकता है। उत्तरी कैरोलिना विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इंटरनेट मीडिया से 20 लोगों की तस्वीरें डाउनलोड कीं और फिर उनके चेहरे का 3-डी माडल बनाया। इसके बाद शोधकर्ता पांच सुरक्षा प्रणालियों में से चार को भेदने में सफल रहे। इतना ही नहीं, फिंगरप्रिंट क्लोनिंग के उदाहरण भी बहुत हैं।
इसके अलावा, गोपनीयता की वकालत करने वालों को डर है कि बायोमेटिक सुरक्षा व्यक्तिगत गोपनीयता को नष्ट कर देती है। चिंता की बात यह है कि व्यक्तिगत डाटा को आसानी से और बिना सहमति के एकत्र किया जा सकता है। फेशियल रिकाग्निशन चीनी शहरों में रोजमर्रा की जिंदगी का एक हिस्सा है, जहां इसका उपयोग नियमित खरीदारी के लिए किया जाता है। कार्नेगी मेलान यूनिवर्सिटी ने तकनीक का विस्तार करते हुए एक ऐसा कैमरा विकसित किया है, जो 10 मीटर की दूरी से भीड़ में लोगों की आंखों की रौशनी को स्कैन कर सकता है।
आजकल स्कूल-कालेज, आफिस-एयरपोर्ट आदि हर जगह बायोमेटिक आथेंटिकेशन का उपयोग तेजी से बढ़ा है। देश में नये क्रिमिनल प्रासिजर (आइडेंटिफिकेशन) एक्ट 2022 के तहत पुलिस अपराधियों का बायोमेटिक डाटा ले सकती है।