कोरियाई रक्षा मंत्री ने देखा पैराट्रूपर्स का युद्धक प्रदर्शन

– लगभग 12 हजार फीट की ऊंचाई से ​कूदकर ​पैरा-ब्रिगेड ​ने दिखाई अपनी ताकत 
– सेना की पैराशूट ब्रिगेड ने पहली बार सार्वजनिक तौर पर दिखाया परिचालन कौशल
आगरा। ​कोरियाई रक्षा मंत्री सुह वूक ने शनिवार सुबह आगरा में सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे के साथ भारतीय सेना के पैराट्रूपर्स का अभ्यास देखा। ​लगभग आधे घंटे तक चले इस अभ्यास ​में 25 पैराट्रूपर्स ने युद्धक प्रदर्शन किया। पैराट्रूपर्स ने लगभग 12 हजार फीट की ऊंचाई पर एक विमान से पैरा ड्रॉपिंग की। ​वूक द्विपक्षीय रक्षा और सैन्य सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए तीन दिवसीय भारत यात्रा ​पर आए हैं।​ उन्होंने ​रक्षा संबंधों को मजबूत करने पर भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ व्यापक बातचीत की है।
अपनी तीन दिवसीय यात्रा के आखिरी दिन शनिवार को ​कोरियाई रक्षा मंत्री सुह वूक दक्षिण कोरिया की तरफ से भारतीय सेना को औपचारिक रूप से धन्यवाद देने के लिए ​​आगरा स्थित पैरा-ब्रिगेड हेडक्वार्टर ​भी गए​​।​ ​​​​कोरियाई रक्षा मंत्री ​ने ​​आगरा​ छावनी स्थित ​भारतीय सेना के 60 पैरा फील्ड अस्पताल का भी दौरा किया, जिसने 1950 के कोरियाई युद्ध के दौरान संयुक्त राष्ट्र और दक्षिण कोरियाई कर्मियों को चिकित्सा सहायता प्रदान की थी।
​सेना प्रमुख जनरल नरवणे​ और ​कोरियाई रक्षा मंत्री​ के सामने ​भारतीय सेना की ​​पैराशूट ब्रिगेड ​ने ​पहली बार सार्वजनिक तौर पर अप​ने ​​परिचालन कौशल का प्रदर्शन ​किया​।​ इस अभ्यास में कुल 650 सैनिक शामिल ​हुए।​ ​लगभग आधे घंटे तक चले इस अभ्यास ​में 25 पैराट्रूपर्स ने युद्धक प्रदर्शन किया जिन्होंने लगभग 12 हजार फीट की ऊंचाई पर एक विमान से पैरा ड्रॉपिंग की थी।
इसके बाद लगभग 80 पैराट्रूपर्स ने स्टैटिक लाइन जंप​ का प्रदर्शन किया।​ यह सभी ​पैराट्रूपर्स लगभग 1,250 फीट की ऊंचाई पर एक विमान से कूदे। इसी विमान से सैन्य उपकरण भी गिराए गए। सेना की ​​पैरा-ब्रिगेड ​ने ​​​कोरियाई रक्षा मंत्री की मौजूदगी में बटालियन के आकार ​में अपनी ताकत ​का प्रदर्शन ​किया,​ ​जिसमें पैदल सेना के लड़ाकू वाह​नों और तोपखा​नों को भी शामिल ​किया गया​।
भारतीय सेना की ​इस ​एयर-बॉर्न फोर्स को रणनीतिक लक्ष्यों को गुप्त तरीके से हासिल करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। उनके परिचालन प्रशिक्षण और कौशल के बारे में जानकारियां गोपनीय रहती हैं। इसलिए यह पहला मौका ​रहा जब उनके परिचालन कौशल का प्रदर्शन सार्वजानिक तौर पर ​​कोरियाई रक्षा मंत्री​ के सामने किया गया​।
​दरअसल, उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच 1950-53 में हुए युद्ध के समय भारतीय सेना ने अपनी एक मोबाइल मिलिट्री एंबुलेंस प्लाटून एशिया के सुदूर-पूर्व में युद्ध के मैदान में भेजी थी। युद्ध के दौरान घायल हुए उत्तर और दक्षिण कोरिया के सैनिकों का उपचार 70 साल पहले भारतीय सेना की इसी प्लाटून एंबुलेंस ने किया था।
यह फील्ड एंबुलेंस इन दिनों आगरा में तैनात रहती है। अब जब भी कोई नया कोरियाई राजदूत भारत पहुंचता है तो वह इस यूनिट में एक बार अवश्य जाता है। इसी क्रम में भारत यात्रा पर आये रक्षा मंत्री सुह वूक​ ने ​ दक्षिण कोरिया की तरफ से भारतीय सेना को औपचारिक रूप से धन्यवाद देने के लिए आगरा में भारतीय सेना के पैरा-ब्रिगेड हेडक्वार्टर स्थित 60 पैरा फील्ड एंबुलेंस (हॉस्पिटल) का दौरा ​किया है​। ​
​​कोरियाई रक्षा मंत्री ​​द्विपक्षीय रक्षा और सैन्य सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपनी तीन दिवसीय यात्रा​ पर ​गुरुवार को​ दिल्ली पहुंचे थे।​ उन्होंने शुक्रवार सुबह​ दिल्ली में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक जाकर श्रद्धांजलि दी। इसके बाद उन्होंने दिल्ली कैंट में इंडो-कोरियाई द्विपक्षीय मैत्री पार्क का उद्घाटन किया।​
यह मैत्री पार्क 1950-53 में कोरियाई युद्ध के दौरान भारतीय शांति सैनिकों के दिए गए योगदान को याद रखने के लिए बनाया गया है। इसे 2019 के समझौते के आधार पर स्थापित किया गया है। यह पार्क दोनों राष्ट्रों के बीच सदियों पुरानी दोस्ती को मूर्त रूप देगा जो 1950-53 के कोरियाई युद्ध में भारतीय सैनिकों के बलिदान और प्रतिबद्धता के साथ शुरू हुआ था।
इसके बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कोरिया गणराज्य के रक्षा मंत्री (आरओके) सुह वूक ने रक्षा सहयोग पर द्विपक्षीय वार्ता की। भारत और कोरियाई सेना के बीच रक्षा और सुरक्षा सम्बन्ध पिछले कुछ वर्षों में तेजी से मजबूत हुए हैं। दोनों देशों के बीच हुई वार्ता में लंबे समय से चली आ रही द्विपक्षीय रक्षा साझेदारी को मजबूत करने के लिए परस्पर रक्षा सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया।​
दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल के बीच द्विपक्षीय सैनिक सहयोग और अन्य क्षेत्रीय, वैश्विक मामलों पर भी बातचीत हुई। ​दोनों मंत्रियों ने इस बात पर संतोष जताया कि दोनों देश विभिन्न स्तरों पर संवाद बनाए रखने के लिए आभासी माध्यमों से जुड़े रहेंगे, क्योंकि कोरोना महामारी के दौरान आमने-सामने की बैठकें तेजी से चुनौती बन गई हैं​​।

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