नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण की वजह से देश में मरने वालों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। मंगलवार को 110 लोगों ने कोरोना के चलते जान गंवा दी। इसी के साथ देश में मरने वालों का आंकड़ा अब 1675 हो गया है। पिछले 24 घंटे में गुजरात में रिकॉर्ड 49 मौतें दर्ज की गईं। इनमें 39 लोग अहमदाबाद से थे। अब तक किसी भी राज्य में एक दिन में हुई मौतों में यह सबसे ज्यादा है। महाराष्ट्र में 34 लोगों ने दम तोड़ा। इनमें 26 लोग मुंबई से थे। राज्य में मौतों का आंकड़ा अब 617 और मुंबई में 387 हो गया है।
उधर, मध्य प्रदेश में 11, पश्चिम बंगाल 7, उत्तर प्रदेश में 6, राजस्थान में 5, तमिलनाडु, पंजाब, कर्नाटक में 2-2 संक्रमितों ने जान गंवाई। इसके पहले सोमवार को 106 लोगों की मौत हुई थी।
अब हर रोज 100 लोगों की जान जा रही
कोरोना संक्रमण से देश में मौतों के ग्राफ का ट्रेंड अचानक से बदल गया है। पिछले दो दिनों से हर रोज 100 लोगों की मौत हो रही है। आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले 6 दिनों में 602 लोगों ने दम तोड़ दिया।
3 राज्यों में 50 और 4 राज्यों में 100 से ज्यादा मौतें
देश में 4 राज्य ऐसे हो गए हैं जहां 100 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। इनमें महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल है। वहीं 3 राज्य ऐसे हैं जहां 50 से 100 के बीच मौतें हुई हैं। इनमें उत्तर प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान शामिल है।
यूं तो हर राज्य सत्ताधारी दल की राजनीतिक सोच के अनुसार नीतियों के आधार पर बंटे होते हैं। संकट यह है कि कोरोना महामारी भी इसे पाटने में बहुत सफल नहीं है। प्रवासी श्रमिकों को किसी भी तरह मूल राज्य में भेजने की तत्परता पहले दिखी, फिर उनसे रेल किराया भाड़ा वसूलने को लेकर विवाद उठा। समन्वय की यह कमी राज्यों की सीमाओं में प्रवेश को लेकर भी है। खासकर दिल्ली-एनसीआर में जिस तरह अलग- अलग राज्यों का रुख दिख रहा है वह लॉकडाउन में राहत की पूरी मंशा पर ही पानी फेरता दिख रहा है। यह इसलिए गंभीर है क्योंकि दिल्ली-एनसीआर जिसमें दिल्ली समेत नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम, फरीदाबाद शामिल है, एक बहुत बड़े आर्थिक गतिविधि का केंद्र है। जहां सालाना लाखों करोड़ का न सिर्फ उत्पादन होता है बल्कि लाखों लोगों को रोजगार मुहैया कराता है।
सूत्रों की मानी जाए तो कोरोना जैसे राष्ट्रीय संकट को लेकर भी राज्यों की सोच राष्ट्रीय नहीं बल्कि प्रादेशिक ही है। हालांकि यह बात खुलकर सामने आ गई है और केंद्र से लेकर राज्यों तक ने इसे स्वीकार कर लिया है कि कोरोना से जंग लंबी है और हमें इसके साथ जीना सीखना चाहिए। लेकिन वह केवल अपनी सीमाओं को सुरक्षित रखने में जुटे हैं। हरियाणा सरकार की ओर से एक बयान आया कि उनके यहां पाए गए अधिकतर संक्रमित दिल्ली से आए थे। लिहाजा सीमा सील कर दी है। लेकिन दिल्ली क्या करे, जहां पूरे देश से लोग आते हैं।
शराब बिक्री के जरिए राजस्व उगाहने में शारीरिक दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) का मापदंड टूटता है तो सेस बढ़ाया जाता है। लेकिन राज्यों के बीच आपसी समन्वय बढ़ाकर सीमाओं पर मुस्तैदी और सुरक्षा के लिए चाक चौबंद होने पर अब तक बात नहीं हो रही है। राज्यों के बीच समन्वय और संवाद की यह कमी हर किसी को परेशान कर सकती है।