वॉशिंगटन/दुबई। संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने बुधवार को कहा कि उसके यहां चल रहे ट्रायल में चीनी वैक्सीन की इफेक्टिवनेस 86% आई है। यह दावा ट्रॉयल के शुरुआती डेटा के आधार पर किया गया है।
UAE की मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड प्रिवेंशन ने कहा कि यह वैक्सीन चीनी सरकार के अंडर में काम करने वाली कंपनी साइनोफर्म ने तैयार की है। लास्ट स्टेज के क्लीनिकल ट्रॉयल में यह वैक्सीन 86% तक असरदार साबित हुई है।
UAE के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन राशिद समेत कई मंत्री और हस्तियां साइनोफर्म की वैक्सीन लगवा चुकी हैं। अब तक यह भी साफ नहीं है कि UAE अपने यहां बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन शुरू करेगा या नहीं। सरकार सितंबर में ही फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए वैक्सीन के इमरजेंसी यूज का अप्रूवल दे चुकी है। मोरक्को ने भी कहा कि वह अपने यहां 80 % वयस्कों को यह वैक्सीन लगाने की तैयारी कर रहा है।
सीरियस केस में 100 % कारगर
सरकार ने कहा कि साइनोफार्म के एनालिसिस से पता चला कि मॉडरेट और सीवर केस में यह वैक्सीन 100 % कारगर था। इसमें कोई गंभीर साइड इफेक्ट भी सामने नहीं आए हैं। हालांकि यह साफ नहीं किया गया कि एनालिसिस है या कच्चा डेटा। साइनोफर्म 10 देशों में इसके ट्रायल कर रही है। इनका डेटा अब तक जारी नहीं किया गया है। इसकी तुलना में अमेरिकी कंपनी फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन ने 90% से ज्यादा इफेक्टिवनेस दिखाई है।
हालांकि वैक्सीन की इतनी इफेक्टिवनेस को चीन के लिए पॉलिटिकल और साइंटिफिक जीत की तरह देखा जा रहा है। उसकी तीन वैक्सीन के आखिरी स्टेज के ट्रायल्स चल रहे हैं। अमेरिका की तरह चीन के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा है कि वैक्सीन के इमरजेंसी अप्रूवल के लिए उसका कम से कम 50% तक इफेक्टिव होना जरूरी है। वर्ल्ड हेल्थ ऑगेनाइजेशन ने भी इसके लिए यही बेंचमार्क तय किया है।
जर्मनी में फिर लॉकडाउन के संकेत
दुनिया में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 6.87 करोड़ के पार हो गया। 4 करोड़ 76 लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। अब तक 15 लाख 66 हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। ये आंकड़े www.worldometers.info/coronavirus के मुताबिक हैं।
ब्रिटेन के साइंस चीफ ने कहा है कि भले ही देश में वैक्सीन आ गई हो, लेकिन मुमकिन है कि अगली सर्दियों में भी ब्रिटेन के लोगों को मास्क लगाना पड़े। इटली और जर्मनी में संक्रमण अब भी काबू में नहीं आया है। इटली में तो मरने वालों का आंकड़ा 61 हजार के पार हो गया है।
कोरोना ने मौतों के मामले में इटली दुनिया में इस वक्त छठवें स्थान पर है। वहीं, जर्मनी में फिर लॉकडाउन लगाया जा सकता है।
ब्रिटेन में अगली सर्दियों में भी मास्क लगाना पड़ सकता है
ब्रिटेन सरकार के चीफ साइंस एडवाइजर पैट्रिक वालेंस ने देश के लोगों को लापरवाही से बचने की सलाह दी है। ‘द टेलिग्राफ’ अखबार से बातचीत में पैट्रिक ने कहा- यह बात सही है कि हम वैक्सीन लाने वाले पहले देश बन गए हैं। यह बहुत बड़ी कामयाबी है। लेकिन, इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि हम लापरवाह हो जाएं। मेरा मानना है कि हमें अगली सर्दियों में भी मास्क पहनना पड़ सकता है और इसके लिए तैयार रहना चाहिए। वैक्सीनेशन के साथ अगर लोग सावधानी रखेंगे तो यह उनके लिए ही बेहतर होगा। इसके साथ ही प्रतिबंध लागू रहेंगे, क्योंकि इनका कोई विकल्प नहीं है।
जर्मनी प्रतिबंध सख्त करेगा
फ्रांस में लॉकडाउन को मिली कामयाबी के बाद आखिरकार जर्मन सरकार ने भी इस मामले में अपना रुख बदल लिया है। जर्मनी की हेल्थ मिनिस्ट्री ने मंगलवार रात कहा- फिलहाल, जो हालात हैं उनको गंभीरता से लेना होगा। हमारे पास अब प्रतिबंधों को सख्त करने के अलावा ज्यादा विकल्प नहीं हैं। देश में जल्द ही तमाम स्कूल बंद किए जा सकते हैं। इसके अलावा गैर जरूरी दुकानें भी बंद की जा सकती हैं। माना जा रहा है कि सरकार लॉकडाउन भी घोषित कर सकती है।
ट्रम्प के वकील अब बेहतर
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के वकील रूडी गिउलानी संक्रमण के बाद अब स्वस्थ हैं और उन्हें आज हॉस्पिटल से डिस्चार्ज किया जा सकता है। 76 साल के रूडी न्यूयॉर्क के मेयर भी रह चुके हैं। चुनाव के बाद ट्रम्प ने जितने धांधली के मुकदमे दायर किए हैं, उनकी पैरवी रूडी ही कर रहे हैं। रविवार को उन्हें कोरोना संक्रमित पाया गया था। मंगलवार को उन्होंने कहा- अब मुझे बुखार और कफ की दिक्कत नहीं है।
वैक्सिनेशन अनिवार्य न करें
WHO ने कहा है कि कोविड-19 वैक्सीन को अनिवार्य यानी मेंडेटरी नहीं किया जाना चाहिए। संगठन ने कहा- बेहतर ये होगा कि इसका इस्तेमाल मेरिट के आधार पर किया जाए। अनिवार्य करने से कोई फायदा नहीं होगा। जिनको जरूरत है, उन्हें जरूर दी जानी चाहिए। अब हमें यह देखना होगा कि देश इस वैक्सीन का इस्तेमाल किस तरह करते हैं। दूसरी तरफ, UN की हेल्थ एजेंसी ने इस मेंडेटरी करने को कहा है।