नई दिल्ली। कोविड-19 की महामारी ने देश में खुदरा व्यापार की कमर ही तोड़ दी है। पिछले 5 महीनों के दौरान खुदरा कारोबारियों को करीब 19 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। यही नहीं लॉकडाउन खुलने के 3 महीने के बाद भी देशभर में व्यापारी भारी आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं।
कारोबारियों के संगठन कन्फेडेरशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) का कहना है कि खुदरा व्यापार को संभालने के लिए यदि तुरंत आवश्यक कदम नहीं उठाए गए तो देशभर में लगभग 20 फीसदी दुकानों को बंद करनी पड़ जाएंगी, जिससे बड़ी संख्या में बेरोजगारी भी बढ़ सकती है। कैट ने शुक्रवार को वित्त मंत्री से व्यापारियों को ब्याज और पेनल्टी से राहत देने की की मांग की है।
कैट का कहना है कि व्यापारी दुकानों पर ग्राहकों के बहुत कम आने से भी बेहद परेशान हैं। इसके बावजूद व्यापारियों को कई तरह की वित्तीय जिम्मेदारियों को भी पूरा करना है। कैट का कहना है कि खुदरा बाजार में पैसे का संकट बना हुआ है। वहीं, नवंबर-दिसंबर के दिए हुए माल का भुगतान जो फरवरी-मार्च तक आ जाना चाहिए था, वो भुगतान अभी तक बाजार में नहीं हो पाया है।
कैट ने ये आंकड़े जारी करते हुए बताया कि देशभर में खुदरा बाजार को विभिन्न राज्यों के 20 प्रमुख शहरों से आंका जाता है, क्योंकि ये शहर राज्यों में सामान वितरण का बड़ा केंद्र हैं। इनमें दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, चेन्नई, नागपुर, रायपुर, भुवनेश्वर, रांची, भोपाल, सूरत, लखनऊ, कानपुर, जम्मू, कोचीन, पटना, लुधियाना, चंडीगढ़, अहमदाबाद, गुवाहाटी शामिल हैं। इन शहरों से जुटाए गए आंकड़ों से ये साफ है कि कोरोना ने किस कदर देश के व्यापार को प्रभावित किया है, जो फिलहाल संभलने की स्थिति में नहीं है।
कैट के राष्ट्रीय राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक देश के घरेलू व्यापार को अप्रैल में लगभग 5 लाख करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। मई में ये करीब साढ़े चार लाख करोड़ रुपये और जून महीने में लॉकडाउन हटने के बाद लगभग 4 लाख करोड़ रुपये, जबकि जुलाई में करीब 3 लाख करोड़ रुपये और अगस्त में 2.5 लाख करोड़ रुपये के व्यापार का घाटा हुआ है। खंडेलवाल ने कहा कि आम आदमी कोरोना को लेकर बहुत ज्यादा डर में है, जिसके कारण स्थानीय ग्राहक बाजारों में नहीं आ रहे हैं।
खंडेलवाल ने केंद्र एवं राज्य सरकारों से आग्रह किया है कि वो व्यापारियों की वर्तमान स्तिथि को देखते हुए खुदरा व्यापार को दोबारा स्थापित करने के लिए जरूरी कदम उठाएं। कैट महामंत्री ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से आग्रह किया की फिलहाल व्यापारियों पर ब्याज देने का दबाव बैंकों द्वारा न डाला जाए। इसके लिए बैंकों को निर्देश दिया जाए। खंडेलवाल का कहना है कि सरकारें अन्य क्षेत्रों के कर्जे माफ करती हैं, हम तो केवल ब्याज अभी न लिया जाए और किसी भी किस्म की पेनल्टी व्यापारियों पर न लगाई जाए, केवल इतनी मांग कर रहे हैं।