नई दिल्ली। बुरी खबर है। देश में कोरोना से जान गंवाने वालों की संख्या 1 लाख 50 हजार से ज्यादा हो गई है। भारत दुनिया का तीसरा देश है, जहां संक्रमण के चलते सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं। राहत वाली बात ये है कि बेहतर इलाज और मरीजों के मजबूत इरादों ने 4 महीने में करीब 30 हजार से ज्यादा लोगों की जान बचा ली है। आंकड़े यही बयां कर रहे हैं।
सितंबर तक देश में हर दिन 1000 से 1300 मौतें हो रहीं थीं। इसके बाद इसमें गिरावट शुरू होने लगी। आंकड़ों पर नजर डालें तो सितंबर में सबसे ज्यादा 32 हजार 246 लोगों की मौत हुई। अक्टूबर में यह घटकर 22 हजार 344 हो गई। नवंबर में 15 हजार 17 और दिसंबर में 10 हजार 858 मरीजों ने जान गंवाई।
इन तीन महीने के अंदर मौत की रफ्तार में 23% की गिरावट दर्ज की गई है। अगर सितंबर की रफ्तार से अभी भी लोगों की जान जा रही होती तो अब तक मरने वालों का आंकड़ा 1 लाख 80 हजार से ज्यादा पहुंच गया होता।
अब तक 1.4% मरीजों ने जान गंवाई
देश में अब तक 1.4% कोरोना मरीजों की मौत हुई है। ये दुनिया के 10 सबसे ज्यादा संक्रमित देशों में सबसे कम है। अमेरिका में 1.69% मरीज जान गंवा चुके हैं। सबसे हाई डेथ रेट मैक्सिको का है। यहां 8.77% मरीजों की मौत हो चुकी है। हर 10 लाख की आबादी में भारत के 108 मरीजों की मौत हो रही है। इतनी ही आबादी में अमेरिका के 1091, ब्राजील के 922 और मैक्सिको के 986 मरीजों ने जान गंवाई।
दूसरे देशों के मुकाबले कम क्यों मौतें?
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे बताते हैं कि देश में लोगों की सेल्फ इम्युनिटी से कोरोना हार रहा है। कहते हैं भारत में हर्ड इम्युनिटी से ज्यादा कोरोना प्रतिरोधक क्षमता पहले से ही लोगों के जीन में मौजूद है। यह क्षमता लोगों के शरीर की कोशिकाओं में मौजूद एक्स क्रोमोसोम के जीन SE-2 रिसेप्टर (गेटवे) से मिलती है।
इसी वजह से जीन पर चल रहे म्यूटेशन कोरोनावायरस को कोशिका में प्रवेश से रोक देते हैं। इस म्यूटेशन का नाम- RS-2285666 है। भारत के लोगों का जीनोम बहुत अच्छी तरह से बना हुआ है। यहां लोगों के जीनोम में इतने यूनीक टाइप के म्यूटेशन हैं, जिसकी वजह से देश में मृत्युदर कम है, जबकि रिकवरी रेट सबसे ज्यादा है।