कोर्ट के फैसले से नाखुश माखी दुष्कर्म पीड़िता, अब हाईकोर्ट से न्याय की आस

उन्नाव। सीबीआइ की चार्जशीट पर उठाए गए सवालों को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट के खारिज करने से नाखुश माखी दुष्कर्म कांड की पीडि़ता अब हाई कोर्ट में फैसले को चुनौती देगी। इस मामले में लगातार स्थितियां बिगड़ती जा रही हैं। केस को कमजोर करने के लगातार प्रयास हो रहे हैं। फोन से लेकर हमारी गतिविधियों तक नजर रखी जा रही है। सुरक्षा को लेकर आशंकित पीडि़ता, उसके वकील ने प्रधानमंत्री, कोर्ट से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र भेजे हैैं।

पीडि़ता ने कहा कि वह न्यायालय के फैसले से संतुष्ट नहीं है। सड़क हादसे में सबको मारने की साजिश रची गई थी, जिसके मजबूत आधार हैं। उनके वकील डा. आशुतोष ने कहा कि कोर्ट ने अपने फैसले में ही कई ऐसे बिंदुओं का उल्लेख किया है, जिनके आधार पर हम उच्च न्यायालय जाएंगे। इसकी तैयारी कर रहे हैं।

जल्दी ही फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में चुनौती देंगे। उन्होंने कहा कि घटना के पहले सीतापुर जेल में रहने के दौरान पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर लगातार मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहा था। उसके सीडीआर से यह पता लगता है। कोर्ट ने उस पहलू को ध्यान नहीं दिया है। वैसे, ट्रायल कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है। उसमें ही कई बातें हमारे पक्ष में हैं। उम्मीद करते हैं कि हाईकोर्ट से न्याय मिलेगा।

उल्लेखनीय है कि 28 जुलाई 2019 को रायबरेली जेल में बंद चाचा से मिलने के लिए जाते समय माखी कांड की पीडि़ता की कार में गुरुबक्शगंज रायबरेली के निकट ट्रक ने टक्कर मार दी थी। इसमें उनकी चाची और मौसी की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि उनके स्थानीय अधिवक्ता ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था। इसी मामले में पीडि़ता के चाचा ने आरोप लगाया था कि यह हादसा नहीं, बल्कि साजिश के तहत हत्या के इरादे से हादसा कराया गया है।

मामले की छानबीन कर रही सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में पीडि़ता के चाचा की तरफ से लगाये गए आरोपों को खारिज करते हुए घटना को हादसा बताया था। साथ ही सजायाफ्ता पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर को आपराधिक धमकी देने का दोषी बताया था, जिसपर पीडि़ता की तरफ से उनके वकील ने आपत्ति दाखिल की थी। शनिवार को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में जिला सत्र न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने इस आपत्ति को खारिज कर दिया और सीबीआई की रिपोर्ट ही सही होने की बात कही थी।

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