नई दिल्ली। नए साल यानी 2021 में नॉन-परफॉर्मिंग असेट्स (NPA) से निपटना बैंकिंग सेक्टर के लिए बड़ी चुनौती हो सकता है। इसका कारण यह है कि कई कंपनियां, खासतौर पर MSME सेक्टर कोरोनावायरस की आर्थिक मार से निपटने के लिए तैयार नहीं हैं।
कोविड-19 के कारण चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में ऐतिहासिक गिरावट रही है। इसके अलावा प्राइवेट इन्वेस्टमेंट में कमी के कारण कॉरपोरेट लोन ग्रोथ प्रभावित हो रही है। बैंकों के सामने आने वाले महीनों में यह भी एक अन्य चुनौती हो सकती है।
कॉरपोरेट सेक्टर से कम डिमांड
सिस्टम में पर्याप्त मात्रा में लिक्विडिटी के बावजूद कॉरपोरेट सेक्टर की ओर से डिमांड काफी कम है। हालांकि, बैंकर्स को उम्मीद है कि इस साल उम्मीद से बेहतर रिकवरी रहेगी। कोविड-19 के कारण चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में अर्थव्यवस्था में 23.9% की गिरावट रही है।
हालांकि, दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में यह गिरावट कम होकर 7.5% रह गई है। इससे भारतीय कॉरपोरेट के सेंटिमेंट में सुधार हुआ है। पिछले कुछ सालों में प्राइवेट इन्वेस्टमेंट धीमा रहा है। वहीं, अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए भारी-भरकम पब्लिक खर्च रहा है।
महामारी के कारण पूरे साल प्रभावित रहीं बैंकिंग गतिविधियां
2020 की शुरुआत में कोविड-19 महामारी की शुरुआत से बैंकिंग सेक्टर की गतिविधियां और ऑपरेशन प्रभावित रहा है। 2020 की शुरुआत से ही बैंकिंग सेक्टर में NPA की विरासत बढ़ने लगी थी। मार्च 2020 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने संकट से घिरे यस बैंक पर मोरेटोरियम लागू कर दिया था।
यस बैंक का मुद्दा सुलझा ही था कि कोविड-19 महामारी ने पूरे देश को अपनी गिरफ्त में ले लिया था। इसके बाद पूरे देश में लॉकडाउन लग गया था। यहां तक कि संसद के बजट सत्र में भी कटौती करनी पड़ी थी।
बैंकों के विलय की प्रक्रिया जारी रही
हालांकि, कोविड-19 के बावजूद पब्लिक सेक्टर के 10 बैंकों का विलय कर 4 बैंक बनाने की प्रक्रिया जारी रही। 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने और वैश्विक स्तर के इंस्टीट्यूशन तैयार करने के लिए बैंकों का विलय किया गया था। 1 अप्रैल 2020 से यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स का पंजाब नेशनल बैंक में विलय हो गया था और यह पब्लिक सेक्टर का देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक बन गया था।
इसी तरह आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक का यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में विलय हुआ था। इसके अलावा सिंडिकेट बैंक का केनरा बैंक और इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक में विलय हुआ था।
लॉकडाउन के बावजूद पूरी हुई विलय की प्रक्रिया
हाल ही में वित्तीय सेवाओं के सचिव देबाशीष पांडा ने कहा है कि विलय की यह प्रक्रिया पूरी होने के करीब है। पांडा का कहना है कि लॉकडाउन के बावजूद यह प्रक्रिया आसानी से हुई है और अब इस विलय के सकारात्मक संकेत दिखने लगे हैं। अब इन बैंकों के पास बड़ा कैपिटल आधार है और उनकी कर्ज देने की क्षमता बढ़ गई है। अब आप लीड बैंकों में विलय हुए विभिन्न बैंकों के कॉम्पलीमेंट्री उत्पाद भी ले सकते हैं।
लॉकडाउन से राहत के लिए RBI ने 6 महीने का मोरेटोरियम दिया
लॉकडाउन के कारण प्रभावित करोड़ों कर्जदारों को राहत देने के लिए RBI ने लोन मोरेटोरियम को 6 महीने के लिए बढ़ाते हुए अगस्त तक लागू कर दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि इस अवधि के दौरान NPA की पहचान की प्रक्रिया को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इसके साथ सुप्रीम कोर्ट ने भी नए NPA की पहचान पर भी अगले आदेश तक रोक लगा दी।
सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार, बैंकों को 2 करोड़ रुपए तक के लोन पर 6 महीने के कंपाउंड इंटरेस्ट को माफ करने के लिए कहा गया। यह इंटरेस्ट माफी 1 मार्च 2020 से लागू हुई थी।
75% कर्जदारों को इंटरेस्ट माफी का लाभ मिला
सरकार की इंटरेस्ट माफी योजना का 40% सिस्टम क्रेडिट और 75% कर्जदारों को लाभ मिला। साथ ही इससे सरकार पर 7500 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ा। RBI ने बड़े कॉरपोरेट और बैंकों को राहत देने के लिए सख्त पैरामीटर्स के साथ वन-टाइम री-स्ट्रक्चरिंग स्कीम पेश की थी। संकट से जूझ रही कंपनियां दिसंबर तक री-स्ट्रक्चरिंग स्कीम का लाभ ले सकती हैं।
पूरे साल क्रेडिट गतिविधियां शांत रहीं
बैंकों के प्रमुख काम की बात करें तो 2020 में पूरे साल क्रेडिट गतिविधियां लगभग शांत रहीं। हालांकि, एग्रीकल्चर और रिटेल लोन वितरण में सितंबर से धीरे-धीरे तेजी आई। पांडा का कहना है कि क्रेडिट ग्रोथ में हम धीमी ग्रोथ देख रहे हैं। रिटेल लोन, होम लोन और एग्रीकल्चर लोन में तेजी आई है।
साथ ही सरकार की ECGLS और अन्य स्कीम से MSME लोन में भी तेजी आ रही है। पांडा का कहना है कि अभी कॉरपोरेट सेगमेंट में ग्रोथ स्थिर है। कॉरपोरेट लोन में तेजी लाने के लिए सरकार और बैंक मिलकर साथ काम कर रहे हैं। हाल ही में ECLGS स्कीम को अन्य संकटग्रस्त सेक्टर्स के लिए लागू किया गया है।
12.5% तक हो सकता है बैंकों का ग्रॉस NP
RBI की ओर से जुलाई में जारी की गई फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट (FSR) में कहा गया था कि चालू वित्त वर्ष के अंत में सभी बैंकों का ग्रॉस NPA 12.5% तक पहुंच सकता है। हालांकि, यह बेसलाइन से नीचे ही था। मार्च 2020 में यह 8.5% पर था। रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 2021 तक सरकारी बैंकों का ग्रॉस NPA 15.2% तक हो सकता है। मार्च 2020 में यह 11.3% था। वहीं, प्राइवेट बैंकों का ग्रॉस NPA 4.2% से बढ़कर 7.3% और विदेशी बैंकों का ग्रॉस NPA 2.3% से बढ़कर 3.9% पर पहुंच सकता है।
उम्मीद से तेज रिकवरी से दूसरी तिमाही में अच्छा मुनाफा
हालांकि, उम्मीद से तेज रिकवरी के कारण बैंकिंग सेक्टर में सुधार हुआ है। इस वजह से सरकारी और प्राइवेट बैंकों को चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में अच्छा मुनाफा हुआ है। आय बढ़ने और NPA में कमी के कारण बैंकों को मुनाफा हुआ है। पांडा का कहना है कि पब्लिक सेक्टर के 12 में से 11 बैंकों को पिछली तिमाही में मुनाफा हुआ है। साथ ही इन बैंकों के NPA में कमी आई है।