नई दिल्ली। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस का मानना है कि कोविड-19 की महामारी की वजह से वैश्विक स्तर पर व्यापारिक संबंधों में तेजी से बदलाव होगा। साथ ही वैश्विक आपूर्ति में बुनियादी बदलाव की रफ्तार बढ़ जाएगी। मूडीज ने मंगलवार देर रात जारी बयान में कहा कि वैश्विक महामारी के कारण व्यापार, निवेश और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर पर अंकुश की धारणा बढ़ने से वैश्विक अर्थव्यवस्था में संरक्षणवाद बढ़ेगा और इसके बिखराव की रफ्तार भी तेज होगी।
मूडीज ने कहा कि वैश्विक महामारी की वजह से दुनिया के तमाम देशों के बीच व्यापारिक संबंधों और आपूर्ति श्रृंखला में कुछ बुनियादी बदलाव आना तय है। इससे वैश्वीकरण के खिलाफ रुख और कड़ा होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बदलाव कई साल की प्रक्रिया में आएगा क्योंकि चीन अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में कई मामलों में लाभ की स्थिति में होगा।
रिपोर्ट के मुताबिक चीन को छोड़कर कुछ एशियाई बाजारों को आपूर्ति श्रृंखला में बदलाव का लाभ होगा। विशेष रूप से ये देखते हुए कि कंपनियां अपने आपूर्ति स्रोतों में विविधता लाएंगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन को छोड़कर इस विविधीकरण से एशियाई देशों को लाभ होगा, बशर्ते इन देशों की आर्थिक बुनियाद मजबूत हो, बुनियादी ढांचा विश्वसनीय हो, पर्याप्त श्रम पूंजी हो और भू-राजनीतिक और आपूर्ति सुरक्षा का जोखिम कम हो।
मूडीज के अनुसार अमेरिका और यूरोप में स्थानीय स्तर पर उत्पादन को बढ़ावा देने से एशियाई उत्पादकों पर बुरा असर पड़ सकता है। मूडीज ने कहा कि ऐसे में ग्लोबल ट्रेड सिस्टम पहले से ज्यादा क्षेत्र केंद्रित हो जाएगा। इससे एशिया, यूरोप और अमेरिका के लिए अलग रीजनल ट्रेड सिस्टम (आरटीएस) बन जाएगा।
रेटिंग एजेंसी का कहना है कि उत्पादन के स्थानीयकरण से हर क्षेत्र के पास रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण उत्पादों के लिए अपने खुद के आपूर्तिकर्ता होंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्राथमिकता की सामान्यीकृत प्रणाली (जीएसपी) के तहत यूरोपीय संघ और अमेरिकी बाजारों पर तरजीह पहुंच की वजह से एशिया के विकासशील देशों मसलन इंडोनेशिया, कंबोडिया और भारत को फायदा होगा। वहीं, मूडीज का मानना है कि कोविड-19 के बाद की दुनिया में सरकारों और कंपनियां का मुख्य लक्ष्य सप्लाई चेन को मजबूत कर आपूर्ति सुरक्षा सुनिश्चित करना होगा।