कोविड 19 से बचाव के लिए कोर्ट ने दिये कई सुझाव, कैसे हो अमल, सरकार करे विचार
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोविड-19 से निपटने के लिए राज्य सरकार के उठाए गए कदमों की सराहना की है। किन्तु इसे पर्याप्त नहीं माना और कहा कि हम हमेशा कोरोना इंफेक्शन के भय में रह रहे हैं। बाहर निकले हर व्यक्ति के कोरोना लेकर आने का अंदेशा बना हुआ है। बाहर निकला कौन सा व्यक्ति कोरोना पाजिटिव है, इसका पता लगाया जाना जरूरी है। मास्क व सेनेटाइजर के प्रयोग के निर्देशों का कड़ाई से पालन कराना जरूरी है। कोर्ट ने कई सुझाव दिये है जिस पर अमल कैसे हो, सरकार को विचार करने और 25 जून को ब्लू प्रिंट तैयार कर कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा तथा न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे अस्पतालों व क्वारेन्टाइन सेन्टरों की सुविधाओं की निगरानी का आदेश जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा है कि केवल उसी व्यक्ति को बाहर जाने की छूट हो जो जांच में इंफैक्टेड न पाया गया हो।
कोर्ट ने कहा है कि सिस्टमेटिक टेस्टिंग बढ़ानी होगी। प्रयागराज को सैंपल के रूप में लेकर वार्डवार प्रत्येक परिवार के काम से बाहर निकलने वाले व्यक्ति की जांच की जाय। पाजिटिव पाये जाने पर परिवार को घर में या सेन्टर पर क्वारेन्टाइन किया जाय। प्रत्येक पांच वार्ड पर कोरोना जांच की व्यवस्था की जाय।
कोर्ट ने सहायक सालीसिटर जनरल से आईसीएमआर (इंडियन काउन्सिल फार मेडिकल रिसर्च) से जांच मशीने वार्डों में स्थापित करने के सम्बंध मे जानकारी लेने को कहा है। इससे पहले कोर्ट ने सरकार से टेस्टिंग में खर्च की जानकारी मांगी थी।
अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने बताया कि एक व्यक्ति की जांच मे ढाई हजार रूपये खर्च आयेंगे। अभी तक 9463756 घरों में जांच के लिए पहुंच सके हैं। 48271852 लोगों से संपर्क किया जा सका है। प्रदेश में कोरोना पीड़ितों के बेहतर इलाज व टेस्टिंग के लिए 1865 अस्पतालों को चिन्हित किया गया है। 17.6 लाख मजदूरों के टेस्ट किये गये हैं। जिसमे से 3950 कोरोना पाजिटिव पाये गये हैं। जिनका इलाज चल रहा है। इस पर कोर्ट ने सिस्टमेटिक टेस्टिंग के लिए सुझाव दिया है।
परिवार के एक व्यक्ति की जांच घर पर जाकर करने का सुझाव दिया है। क्योंकि सेन्टर पर भीड़ से इंफेक्शन बढ़ने की आशंका है। कोर्ट ने कहा है कि सरकार या प्राइवेट कंपनी से वेतन ले रहे लोग अपनी जांच के साथ एक आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति की जांच का खर्च उठाये। व्यापारी, उद्योगपति सरकार को आर्थिक सहायता दे और सरकार उन्हें टैक्स में छूट दे। गरीबों की सरकार जांच कराये और उनके इलाज की व्यवस्था करे।
इस दौरान प्रयागराज शहर में बाहर से आने वाले हर व्यक्ति की जांच की जाय। वार्ड वार सूची तैयार की जाय। तथा 15 दिन बाद दुबारा जांच हो। इसके बाद एक महीने बाद जांच की जाय। कोर्ट ने कहा है कि सरकार सुझावों पर विचार करे और अमल में लाने के लिए ब्लू प्रिंट तैयार कर कार्यवाही करे। यदि प्रयागराज में प्रयोग सफल होता है तो इसे सभी जिलों में लागू किया जाय। याचिका की सुनवाई 25 जून को होगी।