कौन-से शेयर देंगे मुनाफा, एक्सपर्ट बता रहे रणनीति

नई दिल्ली। यह बाजार के लिए एक अच्छा सप्ताह था, जिसमें हमने निफ्टी को 14500 के निम्न स्तर से 15000 के मनोवैज्ञानिक स्तर पर वापस आते हुए देखा। हालांकि, यह 14880 पर बंद हुआ। बॉन्ड यील्ड्स और बढ़ते हुए कोरोना के मामले निफ्टी को 15000 के स्तर पर वापस आने से नहीं रोक पाए। इससे यह एक बार फिर साबित हो गया है कि इन ट्रिगर्स का उपयोग बेयर्स द्वारा डर फैलाने के उद्देश्य से अपने निहित स्वार्थ के लिए किया जाता है। वहीं, एक और नया भूत सामने आया है और यह है सुस्ती।

हमारा मानना ​​है कि भारत आरबीआई और आईएमएफ के अनुमानों की धज्जियां उड़ाते वित्त वर्ष 2022 में 14 से 15 फीसद की दर से ग्रोथ करेगा, इसलिए परेशान होने की कोई वजह नहीं है। पिछले सप्ताह 14200 और 13800 के लिए प्रमुख शॉर्ट्स 14500 पर फंस गए थे, इसलिए तत्काल तेजी आने वाली थी और इस तेजी को मेटल सेक्टर ने लीड किया। हमारा मानना ​​है कि यहां से मेटल इंडेक्स में 20 से 25 का और उछाल आ सकता है।

टिस्को में 700 से 975 के बीच के एक शॉर्प तेजी देखने को मिली। हालांकि, कुछ प्रॉफिट बुकिंग के चलते टिस्को 900 तक फिसल गया, लेकिन यह कारण बेयर कार्टल की मदद नहीं करेगा। यह मेटल मिनरल और रिसोर्सेज में QE धन के ट्रैवल करने का परिणाम होगा, जैसा कि हम अपनी पिछली रिपोर्ट में बता चुके हैं।

कृपया ध्यान दें कि जब तक कोरोना वायरस जारी रहेगा, तब तक वैक्सीनेशन क्यूई प्रोग्राम बंद नहीं किया जाएगा और हम मानते हैं कि कम से कम अगले 12 महीने पूर्ण टीकाकरण के लिए पर्याप्त नहीं हैं। इसलिए अतिरिक्त तरलता के प्रभाव के चलते बाजार में वर्षों तक तेजी का दौर देखा जाएगा। हालांकि, महंगाई को काबू में करना भारत सहित किसी भी देश के लिए एक चुनौती होगी। लेकिन मुद्रास्फीति के दबाव के कारण कमोडिटी चक्र बेहतर चलता रहेगा।

एफपीआई ने शुक्रवार को 600 करोड़ रुपये की बिकवाली की, लेकिन यह कुछ अन्य कारणों से थी, ना कि कोरोना या फिर बॉन्ड फील्ड्स के कारण। यह कहीं और होने वाले कुछ नुकसान को कम करने के लिए था और उन्हें कुछ प्रॉफिट बुकिंग द्वारा यह करना था। वहीं, नॉर्वे सरकार द्वारा जारी किए गए नए दिशानिर्देशों के कारण कुछ नॉर्वे फंड्स मंथन मोड में हैं।

दलाल स्ट्रीट में फिर से ऐसी बातचीत चल रही थी कि निफ्टी अप्रैल में 14000 तक आ सकता है। इसलिए यह विश्लेषण करना आवश्यक है कि अप्रैल में निफ्टी 14000 तक आ सकता है या 15300, 15500 या 15900 की ओर अपना रास्ता बनाएगा। डिटेल में जाए बिना, प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि निफ्टी अगर 15100 को पार करता है, तो वह कुछ ही समय में 15500 तक चला जाएगा।

पुट कॉल रेश्यो को देखें, तो निफ्टी पीई 33 (एनएसई द्वारा संशोधित) और 100 फीसद का बाजार पूंजीकरण व जीडीपी अनुपात तेजी के लिए बहुत गुंजाइश छोड़ता है। हमने तर्क के साथ उल्लेख किया था कि इस अनुपात के 120 फीसद तक जाने का अच्छा मौका है। साल 2007 के बुल रन में हमने 149 फीसद भी देखा था। साथ ही कोई इस तथ्य को भी नजरअंदाज नहीं कर सकता है कि इस महीने कंपनियों की कमाई के आंकड़े आने वाले हैं, जहां शेयर बिल्कुल विपरीत प्रतिक्रिया कर सकते हैं।

उदाहरण के लिए, यदि परिणाम अच्छे हैं तो गिरावट आ सकती है और दूसरी तरफ इसके विपरीत सिवाय उस परिस्थिति के जिसमें परिणाम असाधारण आए हों। यह फ्रंट रनिंग के कारण है। इनसाइडर्स सभी आंकड़ों के बारे में जानते हैं और वे प्रॉफिट बुक करने के लिए परिणाम से पहले ही पॉजिशन बना लेते हैं।

वहीं, देशभर के रिटेलर्स परिणाम देखकर ट्रेड करते हैं और मूर्ख बन जाते हैं। आप इससे एक सबक ले सकते हैं। एक और कारण यह है कि बाजार अल्पावधि में मांग और आपूर्ति की स्थिति पर चलता हैं। वहीं, फंडामेंटल्स केवल लंबी अवधि में मायने रखते हैं।

रिजल्ट कैलेंडर के बावजूद निम्न कारणों से हम मानते हैं कि निफ्टी में तेजी रहेगी:

-पूरी स्ट्रीट स्टॉक्स में लॉन्ग हैं और निफ्टी में हैज शॉर्ट हैं।

-निफ्टी पीई का 40 से 33 पर आना बुल्स और निवेशकों के लिए एक बड़ा मनोवैज्ञानिक फायदा है।

-पश्चिम बंगाल के चुनावों में अब तक यह लग रहा है कि बीजेपी लीड कर रही है। यह राजनीतिक स्थिरता और राज्यसभा बहुमत के लिए सकारात्मक है।

-अब तक हमने यूएस QE के प्रभाव को देखा है, जो अब 17 ट्रिलियन डॉलर हो रहा है। हमने डाउ का टारगेट 30000 तब दिया था, जब यह 18000 पर था और जब 30000 को पार करने वाला है, तो इसका अगला लक्ष्य 36000 है। इस लक्ष्य तक पहुंचने के बाद हम फिर अपना लक्ष्य बताएंगे। भारतीय रिजर्व बैंक ने ऑन रिकॉर्ड कहा है कि भारत Quantitative easing कर रहा है। अब हम अधिक तरलता आने के कारण डीआईआई (DII) के सकारात्मक रुख को भी देखेंगे। एक बदलाव के रूप में लगभग 12 महीनों के बाद डीआईआई फ्लो सकारात्मक हो गया, इससे रिडेम्पशन का दबाव कम होगा।

-मानसून के सामान्य रहने की उम्मीद है।

-वित्त वर्ष 2021 का निम्न आधार स्पष्ट रूप से सुझाता है कि हम वित्त वर्ष 2022 में 14 से 15 फीसद की वृद्धि करेंगे, जो भारत में एफपीआई को सकारात्मक बनाए रखेगा।

जैसा कि पहले की रिपोर्ट्स में बताया गया है कि भारत को एफपीआई से 50 बिलियन डॉलर का इनफ्लो और मिलेगा। हमें कुछ विशिष्ट शेयरों द्वारा कमाई पर कुछ समेकन के लिए तैयार रहना चाहिए। कई स्टॉक होंगे, जो असाधारण परिणामों की घोषणा करेंगे और वे बेहतर प्रदर्शन करेंगे। इस पर हम ट्रेडर्स और निवेशकों के लिए रणनीति लेकर आए हैं-

ट्रेडर्स को रिजल्ट्स की घोषणा से किनारा करना चाहिए। अगर इंफोसिस जैसा अच्छा शेयर रिजल्ट पर 5 से 8 फीसद गिरता है, तो वह निम्न स्तरों तक जा सकता है। लेकिन ध्यान रखें कि सुधार केवल अगले सेटलमेंट में ही आएगा। उदाहरण के लिए  msci weight बढ़ने पर भारती एयरटेल मार्च में 619 से 514 के निचले स्तर तक गिर गया और फिर अप्रैल में बढ़ने लगा।

इसका वर्तमान बाजार मूल्य 547 है और पूरी संभावना है कि 50 दिनों में यह पहले के उच्च स्तर 619 को पार कर जाएगा। यह कॉल और पुट के कारण होता है, जो एफपीआई और बड़े ऑपरेटर्स की एक रियल अर्निंग स्ट्रीम है। यह कैसे काम करती है, हम पिछली रिपोर्ट्स में बता चुके हैं।

निवेशक अच्छे शेयरों के लिए एक मॉडल को फॉलो करें। ऐसे शेयर उठाएं, जो निफ्टी और ए ग्रेड शेयरों की तुलना में अभी भी अंडरवैल्यूड हैं। उदाहरण के लिए ओरिएंट सीमेंट 13 पीई पर चल रहा है, जबकि निफ्टी 33 पीई पर है, इसलिए 13 पीई वाला शेयर खरीदने पर आपको चमत्कार भी देखने को मिल सकता है। यदि चौथी तिमाही उम्मीद के मुताबिक रहती है, तो वित्त वर्ष 2022 के लिए पीई 9 से नीचे जा सकता है।

अब फिर वैकल्पिक मानदंड बुक वैल्यू है। यदि यह 2 से नीचे है, तो यह अच्छा है और यहां यह 2 से नीचे है, इसलिए निवेश किया जा सकता है। ऐसे कई स्टॉक हैं, जो बुक वैल्यू से 10 से 18 गुणा पर ट्रेड करते हैं। यहां हम मानते ​​है कि ओरिएंट सीमेंट जैसे शेयरों पर स्विच करने की आवश्यकता है। इस शेयर में निवेश करने का निर्णय लेने से पहले एक बार अवश्य जांच कर लें।

हाल की रिसर्च के अनुसार, टिन प्लेट्स को लिथियम बैटरी के लिए कच्चे माल के बेहतर स्रोत के रूप में पाया गया है। इससे लागत घटेगी और स्थायित्व बढ़ जाएगा और यहां तक ​​कि लंबे समय तक चलने वाली बैटरी का उत्पादन किया जा सकता है। यह एक क्रांति की तरह हो सकता है। हमें इस संबंध में आधिकारिक घोषणा की प्रतीक्षा करनी चाहिए।

भारत सरकार ने अगले 4 वर्षों में रासायनिक क्षेत्र पर 10 लाख करोड़ रुपये खर्च करने की घोषणा की है। यह काफी बड़ा है। चीन बाजार से बाहर है और अमेरिका व यूरोप भारतीय कीमतों की बराबरी नहीं कर सकते। इसलिए सभी निर्यातोन्मुखी रासायनिक कंपनियां रडार पर रहनी चाहिए।

वास्तव में रासायनिक क्षेत्र धीरे-धीरे आईटी क्षेत्र की तरह उभर रहा है। इसलिए अगले 5 वर्षों के लिए गुणवत्ता वाले रासायनिक स्टॉक को रखना फायदेमंद होगा। ये कई गुना रिटर्न देंगे। हमने 110 रुपये पर ओरिएंटल एरोमैटिक्स (Oriental Aromatics) में एक बाय कॉल की शुरुआत की थी। अब इसकी कीमत 750 रुपए से अधिक है। प्रभावी कीमत 3000 रुपये होगी, जो 10 वर्षों में 30 गुना है।

(लेखक cniresearchltd.com के सीएमडी हैं। प्रकाशित विचार उनके निजी हैं।)

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