UP के संभल में मस्जिद के सर्वे के दौरान 24 नवंबर को हिंसा हुई। पुलिस को इसके पीछे आतंकी साजिश का शक है। पुलिस संभल से पाकिस्तान या अफगानिस्तान जा चुके लोगों की फाइलें खोल रही है। इसके पीछे बड़ी वजह हिंसा के दौरान मिला एक कारतूस है। ये कारतूस पाकिस्तान ऑर्डिनेंस फैक्ट्री का बना माना जा रहा है। हालांकि, इसकी फोरेंसिक रिपोर्ट नहीं आई है।
पुलिस संभल के उन युवाओं की जांच कर रही है, जो पिछले 26 साल में लापता हुए हैं। इनमें शारिक साठा भी है, जो दाऊद गैंग के साथ काम कर रहा है। वो अभी दुबई में है और हवाला के जरिए टेरर फंडिंग कर रहा है। इसके अलावा पुलिस को अल कायदा से जुड़े सईद अख्तर, शरजील अख्तर और उस्मान पर भी शक है।
पुलिस उस सोर्स की भी जांच कर रही है, जिससे हवाला के जरिए फंडिग हो रही है। संभल के लापता युवा कहां हैं और उनका कनेक्शन किन टेरर ग्रुप्स से है।
26 साल में संभल से गायब हुए युवाओं की फाइलें खुलीं पुलिस से जुड़े इंटेलिजेंस सोर्स का दावा है कि 1998 के बाद से संभल से 100 से ज्यादा युवा लापता हुए हैं। हालांकि, इनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज नहीं है। इस वजह से ऑफिशियल आंकड़े मिलना मुश्किल है। इनकी पुरानी फाइलें खोली जा रही हैं।
संभल SP कृष्ण कुमार बिश्नोई बताते हैं कि पाकिस्तान ऑर्डिनेंस फैक्ट्री वाले कारतूस की बैलिस्टिक जांच कराई जा रही है। फोरेंसिक रिपोर्ट का अभी इंतजार है। 24 नवंबर को हुई घटना को लेकर हम पाकिस्तान कनेक्शन की जांच कर रहे हैं। संभल का रहने वाला शारिक साठा अंडरवर्ल्ड से जुड़ चुका है। उसका ISI लिंक भी मिला है।
दावा है कि शारिक साठा दाऊद गैंग के साथ काम कर रहा है। वो दुबई में रहकर हवाला के जरिए टेरर फंडिंग कर रहा है। इसके लिए संभल का सबसे हॉटस्पॉट एरिया दीपासराय, सराय तरीन, मोहल्ला हिंदुपुरा खेड़ा और तुरतीपुर है।
शारिक साठा कभी भारत में लग्जरी कारें चुराने वाले गैंग का सरगना था। उस पर दिल्ली, NCR, नॉर्थ ईस्ट में 100 से ज्यादा केस हैं। शारिक साठा आखिरी बार 2018 में दिल्ली से अरेस्ट हुआ था। 3 महीने बाद जमानत पर बाहर आया और नवंबर 2018 के बाद से लापता है। 2021 में दिल्ली पुलिस को पता चला कि वो दुबई में है। ISI से मिलकर भारत में नकली नोटों की सप्लाई कर रहा है।
संभल कोतवाली में 2009-10 में इंस्पेक्टर रह चुके एसकेएस प्रताप उसके बारे में बताते हैं ‘शारिक 8वीं तक पढ़ा है। पढ़ाई छोड़कर ट्रक-बस हेल्पर और सिक्योरिटी एजेंसी में काम कर चुका है। 1996 में उसे पहली बार मुरादाबाद से अरेस्ट किया गया था।‘
‘शारिक को उसके साथी साठा इसलिए बुलाते थे, क्योंकि वो 60 की स्पीड पर ही गाड़ी चलाता था। अब संभल पुलिस की इंटेलिजेंस रिपोर्ट से पता चला है कि शारिक दुबई में है।‘
संभल के लापता युवक, जिन पर खुफिया एजेंसियों की नजर पुलिस की रिपोर्ट में संभल से टेररिस्ट बन चुके 4 नामों का जिक्र है। पहला नाम दीपासराय में रहने वाले सईद अख्तर का है। दीपासराय में ही सर्वे के विवाद में हिंसा हुई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, सईद अख्तर 1998 से लापता है। उसके अफगानिस्तान में होने की शक है। दावा है कि उसने आतंकी संगठन अलकायदा इन द इंडियन सबकॉन्टिनेंट यानी AQIS जॉइन कर लिया है।
दूसरा नाम शरजील अख्तर का है। ये दीपासराय से थोड़ी दूरी पर नखासा का रहने वाला है। शरजील 2012 से लापता है। उसके भी AQIS जॉइन करने का पता चला है।
तीसरा नाम सनाउल हक उर्फ आसिम उमर का है, जो AQIS का चीफ रहा था। वो 2019 में अफगानिस्तान में मारा गया।
चौथा नाम उस्मान उर्फ असद उर्फ अदनान का है। ये दीपासराय के अंजुमन रोड का रहने वाला है। अदनान 1999 में सनाउल के कहने पर ट्रेनिंग लेने पाकिस्तान गया था। उसे हरकत-उल-मुजाहिदीन से ट्रेनिंग मिली। इसके बाद वो एक बार भारत आया।
जुलाई 2012 में फिर पाकिस्तान चला गया और सनाउल हक से जुड़ गया। अभी उसके अफगानिस्तान-पाकिस्तान रीजन में एक्टिव होने का शक है।
संभल में कट्टरपंथी विचारधारा फैलाने का मास्टरमाइंड, 2019 में मारा गया अमेरिका ने 30 जून 2016 को सनाउल हक उर्फ आसिम उमर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित किया। तभी पता चला था कि सनाउल संभल का रहने वाला है। पहले वो पाकिस्तान गया और हरकत-उल-मुजाहिदीन जॉइन कर लिया।
इसी दौरान ओसामा बिन लादेन के सहयोगी रहे अयमान अल-जवाहिरी ने वीडियो जारी कर सितंबर 2014 में AQIS बनाने की घोषणा की। इसका चीफ सनाउल हक उर्फ आसिम उमर को बनाया था। ये संगठन बांग्लादेश में एक्टिविस्ट-राइटर्स की हत्या में इस संगठन का नाम आया था। इन घटनाओं के कबूलनामे भी हैं।
नेशनल डायरेक्ट्रेट ऑफ सिक्योरिटी अफगानिस्तान ने 8 अक्टूबर 2019 को ट्वीट कर दावा किया था कि अमेरिका के हमले में सनाउल उर्फ आसिम उमर मारा गया। ये भी बताया गया कि उसकी मौत 23 सितंबर 2019 को तालिबान के कंट्रोल वाले मूसा काला जिले में हुई थी।
सनाउल के दादा सरपंच, परदादा मजिस्ट्रेट रहे, परिवार ने संभल छोड़ा हमने संभल के दीपासराय एरिया में सनाउल हक के परिवार के बारे में जानने की कोशिश की। कुछ लोगों से बात हुई। हालांकि, कोई भी कैमरे पर आने को राजी नहीं हुआ। एक बुजुर्ग ने बताया, ‘सनाउल हक के परदादा ब्रिटिश सरकार में मजिस्ट्रेट थे। परिवार में कई स्वतंत्रता सेनानी भी रहे हैं। उसके दादा सरपंच थे।‘
वो आगे कहते हैं, ‘सनाउल के परिवार में अब यहां कोई नहीं रहता। पिता इरफान-उल हक की 2017 में मौत हो गई थी। उसके बाद सनाउल की मां दूसरे बेटे के साथ दिल्ली चली गईं। बेटा शायद इंजीनियर है। उसके बाद परिवार की कोई जानकारी नहीं मिली।‘
वो सनाउल की पढ़ाई के बारे में कहते हैं, ‘देवबंद से ग्रेजुएट था। आगे विदेश में पढ़ाई करना चाहता था, लेकिन उसके पिता ने मना कर दिया था। 1998 में वो घर छोड़कर चला गया और फिर कभी नहीं लौटा। उस वक्त वो करीब 20 साल का होगा।‘
‘2009 में इंटेलिजेंस अधिकारियों से पता चला था कि सनाउल हक आतंकी बन गया है। घरवालों ने अखबार में उसे परिवार से बेदखल करने का विज्ञापन भी दिया था। 2019 में उसकी मौत की खबर आई।‘