नई दिल्ली । कांग्रेस ने राजीव गांधी के हत्यारे की रिहाई के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए इसके लिए बीजेपी और केंद्र की मोदी सरकार को जिम्मेदार बताया है। पार्टी के अनुसार हत्या और सजा में राजनितिक रंगभेद नहीं होना चाहिए।
कांग्रेस महासचिव और मुख्य प्रवक्त रणदीप सिंह सुरजेवाला ने बुधवार को प्रेसवार्ता कर कहा, सुप्रीम कोर्ट का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट ने आज राजीव गांधी के हत्यारे को रिहा कर दिया। इसके लिए बीजेपी जिम्मेदार है। सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा की राज्यपाल और राष्ट्रपति द्वारा निर्णय नहीं लेने की वजह से आज रिहा कर दिया। मोदी जी क्या यही आपका राष्ट्रवाद है?
कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, मैं एक भारतवासी, एक कांग्रेस नेता और एक वकील की हैसियत से यह कह सकता हूं कि देश के प्रधानमन्त्री के हत्यारे को इस तरह से छोड़ा जा सकता है तो हिन्दुस्तान की जेल में जितने कैदी हैं जिन्हें आजीवन कारावास की सजा मिली है उन सबको छोड़ा जा सकता है। हजारों तो तमिलवासी ही जेल में हैं उन सबको रिहा कर दिया जाना चाहिए। केवल पूर्व प्रधानमन्त्री के हत्यारों को ही क्यों जिनको पहले फांसी की सजा दी गई। फिर उसको बदलकर आजीवन कारावास और अब रिहा कर दिया गया। लेकिन इसके लिए देश का कानून बदलना आवश्यक है।
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि 19 सितंबर 2008 में एआईडीएमके-बीजेपी गठबंधन की कैबिनेट ने राजीव गांधी के हत्यारों के आजीवन कारावास की सजा को कम कर रिहा करने का फैसला लिया जिसे तत्कालीन राज्यपाल और बीजेपी नेता बनवारी लाल को भेजा गया, जिसपर उन्होंने बिना कोई निर्णय लिए राष्ट्रपति को भेज दिया और राष्ट्रपति ने भी कोई निर्णय नहीं लिया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बनवारी लाल और राष्ट्रपति ने बहुत समय तक कोई निर्णय नहीं लिया और मामले में चुप्पी साध ली इसलिए राजीव गांधी के हत्यारे को रिहा किया जाता है।
सुरजेवाला ने केंद्र की मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा,क्या यही बीजेपी सरकार का राष्ट्रवाद है, क्या यही नीति है, आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ की। सरकार बदलते ही देश के पूर्व प्रधानमन्त्री के हत्यारे को रिहा कर दिया जाए। इस पर लिए फैसले पर चुप्पी साध ली जाए। क्या हत्या, सजा इस पर राजनितिक रंगभेद हो सकता है।
गौरतलब है कि राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी एजी पेरारिवलन की 31 साल से अधिक पुरानी कैद को समाप्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जेल में उनके अच्छे आचरण, चिकित्सा स्थिति, शैक्षिक योग्यता को देखते हुए उन्हें रिहा करने का निर्देश दिया। जेल में बंद पेरारिवलन की दया याचिका दिसंबर 2015 से लंबित थी। कोर्ट ने आगे कहा कि पिछले साल 25 जनवरी को पेरारिवलन की दया याचिका को राष्ट्रपति के पास भेजने के राज्यपाल के फैसले का कोई संवैधानिक समर्थन नहीं था।