क्यों ISI चीफ को चौधरी बनाकर पाक ने भेजा काबुल, अब समझ आ गया पूरा खेल

अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा सरकार बनाने की कवायद के बीच पाकिस्तान की काबुल में एंट्री का खेल अब समझ आने लगा है। अफगानिस्तान में कुर्सी पाने की चाहत में तालिबान और उसके साथियों के बीच ही बवाल मच गया है। इतना ही नहीं, हक्कानी नेटवर्क और तालिबान की खींचतान अब खुलकर सामने आने लगी है। अफगान में जारी इसी सियासी रस्साकशी के बीच पाकिस्तान के आईएसआई चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद अचानक काबुल पहुंचे हैं। माना जा रहा है कि पाकिस्तान ने उन्हें सरकार बनाने में जारी माथापच्ची का हल निकालने में तालिबान की मदद करने के वास्ते भेजा है।

दरअसल, सरकार बनने से पहले ही तालिबान में सत्ता को लेकर खींचतान शुरू हो गई है। अफगान की पूर्व महिला सांसद मरियम सोलेमानखिल ने शनिवार को दावा किया कि हक्कानी नेटवर्क और तालिबान के बीच कुर्सी की लड़ाई शुरू हो गई है। उनका दावा है कि इस मसले को सुलझाने के लिए ही पाकिस्तान ने अपने खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद को काबुल भेजा है। इधर, इन्हीं सियासी खींचतान की वजह से तालिबान लगातार सरकार गठन की तारीखों को टालता जा रहा है। तालिबान के प्रवक्ता ने कहा है कि अब अगले सप्ताह अफगान में नई सरकार का ऐलान होगा।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दावा यहां तक किया जा रहा है कि हक्कानी नेटवर्क के नेता अनस हक्कानी और खलील हक्कानी का तालिबान के नेता मुल्ला बरादर और मुल्ला याकूब के साथ झड़प भी हुई है। सोलेमानखिल ने ट्वीट कर बताया कि पाकिस्तान नहीं चाहता है कि मुल्ला बरादर देश का नेतृत्व करे। उधर, हक्कानी नेटवर्क सरकार में बड़ी हिस्सेदारी और रक्षा मंत्री का पद मांग रहा है, जबकि तालिबान इतना कुछ देने को तैयार नहीं है। बताया जा रहा है कि यही कारण है कि तालिबान अब तक अपनी सरकार का ऐलान नहीं कर सका है।

उधर, दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय और हक्कानी नेटवर्क के बीच विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला याकूब शक्तिशाली तालिबान सैन्य आयोग के प्रमुख की भूमिका निभाना चाहता है। तालिबान सरकार में यह पद बहुत की शक्तिशाली और सम्मानित माना जाता है। तालिबान के राजनीतिक नेतृत्व ने हक्कानी नेटवर्क को सरकार में कुछ अहम पद देने को राजी हो गया था। इस वजह से अनस हक्कानी को काबुल पर कब्जे के तुरंत बाद राजधानी की सुरक्षा का प्रभार भी सौंपा गया था। इस फैसले से मुल्ला याकूब काफी नाराज है।

पाकिस्तान, अफगानिस्तान में सरकार बनाने को लेकर झगड़े में अपनी भूमिका निभाकर चौधरी बनना चाह रहा है। माना जा रहा है कि आईएसआई चीफ तालिबान और उसके कमांडरों से मुलाकात करेंगे और बातचीत के जरिए सरकार बनाने की कवायद में पाकिस्तान की मंशा जाहिर करेंगे।

माना जा रहा है कि आईएसआई चीफ अफगान की सेना को संगठित करने और उनके काम करने के तौर-तरीकों को लेकर भी तालिबान को एक्सपर्ट राय देंगे। आईएसआई चीफ दोनों पक्षों यानी हक्कानी नेटवर्क और तालिबान के साथ बातचीत कर कुर्सी को लेकर झगड़े को सुलाझाने की कोशिश करेंगे। बता दें कि पाकिस्तान और हक्कानी नेटवर्क की गलबहियां किसी से छिपी नहीं है।

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