नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने देश के विभिन्न भागों से क्रान्तिकारियों के बलिदान को स्कूली पाठ्य पुस्तकों में सम्मिलित करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न क्षेत्रों के क्रान्तिकारियों के अमर बलिदानों को स्कूली पाठयपुस्तकों में शामिल किया जाना चाहिए।
वेंकैया ने बुधवार को उपराष्ट्रपति निवास पर आयोजित समारोह में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस आई एन ए ट्रस्ट के सहायक सदस्य डॉ. कल्याण कुमार डे द्वारा लिखित पुस्तक ‘नेताजी इंडियाज इंडिपेंडेंस एण्ड ब्रिटिश आर्काइव्स’ का लोकार्पण किया। उन्होंने कहा कि इतिहास के सम्पूर्ण प्रामाणिक यथार्थ को समग्रता में प्रकाश में लाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पुस्तक में स्वाधीनता आन्दोलन के दौरान नेताजी की महत्वपूर्ण भूमिका से सम्बन्धित प्रमाणिक दस्तावेजों का संकलन है जिससे युवा पीढ़ी को परिचित होना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारे स्वाधीनता आंदोलन के दौरान नेताजी का साहसी और ओजस्वी नेतृत्व युवाओं के लिए अनुकरणीय प्रेरणा का स्रोत था। उन्होंने कहा कि पुस्तक में शामिल दस्तावेजों से प्रमाणित होता है कि नेता जी द्वारा आईएनए के गठन तथा जनता में उसकी बढ़ती लोकप्रियता से अंग्रेज़ घबरा गए थे और भारत की स्वतंत्रता में इसकी एक महत्वपूर्ण भूमिका रही।
आज अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर उन्होंने देश के युवाओं से अपेक्षा की कि वे नेताजी के जीवन संघर्ष से प्रेरणा ले कर उसका अनुसरण करें और नया भारत बनाने में अपनी भूमिका का योगदान दें। उन्होंने कहा कि आज़ादी के सात दशक बाद भी देश के सामने चुनौतियां हैं और युवा अशिक्षा, भ्रष्टाचार, गरीबी, जाति वाद, लैंगिक भेदभाव जैसी सामाजिक कुरीतियां समाप्त कर एक नए भारत का निर्माण करने आगे बढ़ें।
उन्होंने कहा कि नेताजी का दृढ़ विश्वास था कि महान राष्ट्र अपनी नियति स्वयं बनाते हैं और यही विश्वास उन्होंने जनता में भी जगाया। नेताजी को भारत की सभ्यतागत सांस्कृतिक विरासत पर विश्वास था। उनका मानना था कि हम सबसे पहले भारतीय हैं, धर्म, जाति, भाषा और क्षेत्र की पहचाने गौण हैं। नायडू ने कहा कि कोविड 19 महामारी ने देश के लिए एक आत्म निर्भर सुदृढ अर्थव्यवस्था की आवश्यकता को उजागर किया है। उन्होंने निजी क्षेत्र, बुद्धिजीवियों सहित सभी का आह्वाहन किया कि वे आत्म निर्भरता के लिए अभियान को सफल बनाने में अपनी अपनी महती भूमिका निभाएं।