नई दिल्ली। नीतीश कुमार अब खुलकर भाजपा के सामने आ गए हैं। उसी तरह जैसे वे पहले कभी नरेंद्र मोदी के खिलाफ आ गए थे। हालांकि, अभी से खुद को प्रधानमंत्री पद का दावेदार तो नहीं बता पा रहे हैं, लेकिन पीगें फूट रही हैं जैसे रातभर पानी में पड़े रहे मूंग में फूटती हैं।
अब वे साफ कह रहे हैं कि उनके पास विपक्षी दलों के खूब फोन आ रहे हैं। वे अब तमाम विपक्षी दलों को एक साथ, एक मंच पर लाने का प्रयास करेंगे। जी-जान से। नीतीश छापों पर भी गुस्सा हैं। उनका कहना है- छापे वालों को जनता माफ नहीं करेगी।
दरअसल, नीतीश के इस तरह गुस्सा होने के कई कारण हैं। ताजा कारण है बुधवार को विधानसभा में उनके बहुमत साबित करने के दिन ही महागठबंधन के कई साथियों पर CBI का ताबड़तोड़ छापा।
इस छापेमारी की चपेट में लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव भी आए। लोगों को अब पता चला कि दिल्ली में भी तेजस्वी का लम्बा- चौड़ा कारोबार है। मॉल भी बन रहा है। उस पर भी छापा पड़ा।
सवाल उठता है कि छापेमारी उसी दिन क्यों जब विधानसभा में विश्वासमत हासिल करना हो। हो सकता है केंद्र सरकार बिहार की जनता को बताना चाहती हो कि जिन लोगों ने नई सरकार बनाई है, वे और उनके साथी कितने भ्रष्ट हैं।
हालांकि, बिहार की जनता राजनीतिक रूप से बहुत सजग है और वह ये सब पहले से जानती ही होगी। ऐसे में CBI के छापे कहीं भाजपा का ही नुकसान कर दें तो कोई आश्चर्य नहीं होगा।
इतिहास बताता है कि कांग्रेस के पैर जब से बिहार से उखड़े, उसके बाद वहां की जनता ने अक्सर स्थानीय राजनीतिक दलों पर ही भरोसा जताया है। राष्ट्रीय दलों में उसका पूरा विश्वास तो नहीं ही रहा। बिहार के लोग दरअसल उन्हीं नेताओं को पसंद करते हैं जो उनकी तरह बोले। उनकी ही तरह दिखे।
भाजपा के पास फिलहाल ऐसे स्थानीय नेताओं की कमी है। सच है, CBI जैसी एजेंसियों का मनचाहा उपयोग हर दल की सरकार में हुआ है, लेकिन समय की नजाकत हमेशा देखी गई।
बहरहाल, नीतीश का गुस्सा कम नहीं हुआ और उधर हैदराबाद में ओवैसी तमतमा गए हैं। वहां भाजपा विधायक राजा सिंह के खिलाफ ओवैसी ने सड़कें जाम कर दी हैं। उनका कहना है कि जब तक राजा सिंह को दोबारा गिरफ्तार नहीं किया जाता, उनका और उनके लोगों का प्रदर्शन रुकने वाला नहीं है।
राजा सिंह वही हैं जिन्होंने पैगम्बर पर टिप्पणी की थी। जाने क्यों, भाजपा ऐसे लोगों की गलत बयानबाजी को रोक नहीं पाती! हालांकि संघ प्रमुख जब-तब हिदायत देते रहते हैं, लेकिन सुनते या मानते कम ही लोग हैं। अब विधायक के पद पर बैठे लोग ही गलत बयानी पर उतर आएं तो कोई क्या कर लेगा!
खैर ओवैसी इसलिए गुस्सा हैं, क्योंकि गिरफ्तारी के कुछ ही घंटों बाद राजा सिंह को जमानत पर रिहा कर दिया गया। ओवैसी को रास्ता मिल गया। हजारों लोग उनके समर्थन में प्रदर्शन करते हुए गला काटने, सिर धड़ से अलग करने के खुलेआम नारे लगा रहे हैं।
भाजपा विधायक राजा सिंह अपनी राजनीति चमका चुके और अब ओवैसी उनका विरोध करके अपनी राजनीति चमकाने में लगे हुए हैं। बयानबाजी जारी है, राजनीति जारी है। मर्यादा, नैतिकता और ईमानदार राजनीति कहीं खो गई है। जनता को स्वच्छ राजनीति और ईमानदार राजनेताओें की दरकार है। इच्छा कब पूरी होगी? होगी भी या नहीं, फिलहाल कुछ कहा नहीं जा सकता।