गले के नीचे उतर कर फेफड़ों में पहुंच रहा है इंफेक्शन, मास्क नहीं पहनने से बढ़ा खतरा

कानपुर। कोरोना की चौथी संभावित लहर से पूरा देश घबराया हुआ है। घबराने वाली बात भी है क्योंकि इस बार जिन लोगों में कोरोना के लक्षण हैं उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आ रही है। वहीं जिनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है उनमें किसी भी प्रकार के लक्षण नहीं है।

जानकारों की मानें तो गर्मी से पारा अप्रैल के पहले हफ्ते से ही 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास बने रहने से तपिश लगातार बनी हुई है, जिससे गर्मी की बीमारियों ने रंग बदलना शुरू कर दिया है। लोगों को गले का इन्फेक्शन होने लगा है। नाक में एलर्जी और गले में इन्फेक्शन ही कोरोना के लक्षण भी है।

गले में संक्रमण से सांस लेने पर तकलीफ

गले का संक्रमण बाद में फेफड़ों तक उतर रहा है जिसकी वजह से लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है। डॉ पीयूष मिश्रा एमडी मेडिसिन ने बताया, यह सब गर्मी के कारण हो रहा है। लोगों ने यह मान लिया है कि कोरोना पूरी तरह से खत्म हो चुका है। लेकिन यह ढिलाई ही पूरा सिस्टम बिगाड़ रही है।

लोगों ने मास्क लगाना छोड़ दिया है, साथ ही कोरोना के प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया जा रहा है। ऐसे में इस तरह से ही कोरोना लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। ऐसे लोगों की रिपोर्ट भी नेगेटिव आ रही है क्योंकि ऐसी बीमारियां एंटीजन जांच में पकड़ में नहीं आते, इसके लिए आरटीपीसीआर जांच जरूरी है।

केस-1
बाबूपुरवा के रहने वाले मैक्सवेल का शुरुआत में थोड़ा गला ख़राब हुआ, बाद में बुखार आया और उसके बाद यह इन्फेक्शन उनके फेफड़ों तक पहुंच गया। जब उन्होंने डॉक्टर को दिखाया तो उनकी एंटीजन जांच की गई जिसमें रिपोर्ट नेगेटिव आई। लेकिन जब तीन से चार दिनों तक उनकी दवाइयों से राहत नहीं मिली तो उन्होंने अपनी आरटीपीसीआर जांच कराई जिससे उनको कोरोना की पुष्टि हुई। ऐसा ही उनके परिवार के दो अन्य सदस्यों के साथ भी हुआ।

केस -2
आईआईटी कानपुर में जिन तीन लोगों में कोरोना की पुष्टि हुई है, उनमें एक महिला और दो पुरुष है। इनमे से दो लोगों में कोरोना के लक्षण नहीं है, जबकि एक में कोरोना के लक्षण है। बाकी दोनों लोगों को नाही बुखार आया और नाही गला खराब हुआ। लेकिन जब उनकी जांच हुई तो उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई।

इस बारे में जब शहर के एसीएमओ डॉ. सुबोध से जानकारी ली तो उन्होंने कहा, आईआईटी में पहले 24 घंटे में जिन दो लोगों में कोरोना की पुष्टि हुई उनकी ट्रेवल हिस्ट्री रही थी, उन दोनों ने वैक्सीन की बूस्टर डोज भी लगा रखी थी, इसलिए उनमें किसी प्रकार के लक्षण नहीं पाए गए।

जिस तीसरे व्यक्ति को कोरोना ने चपेट में लिया है वो वहीं का एक कर्मचारी था उसको पहले दिन बुखार आया और उसके बाद गला खराब हुआ, इस व्यक्ति की जब एंटीजन जांच करवाई गई तो उसमे कुछ नहीं निकला जबकि आरटीपीसीआर जांच में उसमें कोरोना की पुष्टि हो गई। ऐसा इस लिए हो रहा है क्योंकि शरीर का इम्यून सिस्टम देख कर कोरोना अपना डीएनए बदल ले रहा है।

केस -3
कानपुर की रहने वाली एलिज़ाबेथ टोप्पो(12 साल) जोकि इस समय दिल्ली गई हुई है के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है। उनमें कोरोना के लक्षण तो है लेकिन रिपोर्ट नेगेटिव आई। उनके पिता ने बताया, हम लोग अपने परिवार में एक शादी समारोह में दिल्ली आए हुए थे।

अचानक बेटी की तबियत ख़राब हो गई जब डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने कोरोना की एंटीजन जांच की जो नेगेटिव आई। तीन दिन बाद भी जब राहत नहीं मिली तो आरटीपीसीआर जांच कराई गई जिसमें उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई।

कोरोना का कौन सा वैरिएंट है और क्या सच में यह अपना डीएनए बदल रहा है…
डॉक्टरों का कहना है कि लगातार गर्मी बढ़ने से बीमारियों के जटिल लक्षण उभरने लगे है। गले में वायरल और बैक्टीरियल दोनों तरह के इन्फेक्शन हो रहे है। मेडिकल कॉलेज के डॉ गणेश शंकर जिन्हें यह गले का इन्फेक्शन हुआ है।

उन्होंने बताया, क्या कोरोना अपना डीएनए बदल रहा है यह अभी कह पाना मुश्किल होगा क्योंकि जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में अभी कोरोना के डेल्टा वैरिएंट की ही जांच करने की किट उपलब्ध है।

शहर में कोरोना का कौन से वैरिएंट फैल रहा है उसकी जांच करने के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग करवानी पड़ेगी जो यहां होती नहीं है। मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी लैब के डॉ पीके त्रिपाठी का कहना है कि, शहर में डेल्टा पॉजिटिव के केस इक्का-दुक्का ही निकल रहे है, वो भी बहुत माइल्ड से, अभी तक की जांचों में यह पाया गया है कि वैक्सीनेशन से कोरोना को रोकने में काफी सफलता मिली है।

अभी तक के आये केस में ऐसा कुछ भी चिंताजनक नहीं मिला है, हालांकि सभी वायरल इन्फेक्शन के लक्षण शुरुआत में मिलते-जुलते है। बैक्टीरिया के इन्फेक्शन से भी गला खराब हो रहा है। रोगियों की आवाज में भारीपन आ रहा है।

आईआईटी के जानकारों ने भी चेताया था
आईआईटी कानपुर के सीनियर प्रो मणींद्र अग्रवाल ने भी इसी साल फरवरी के महीने में चेताया था कि अगर थोड़ी सी भी ढिलाई बरती जाएगी तो कोरोना एक बार फिर से तबाही मचा सकता है। यह दूसरी लहर जितना घातक नहीं होगा लेकिन जिस तरह से लोग एकदम से कोरोना को नज़रअंदाज़ कर रहे है उसे देखते हुए थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत है।

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