गहराते कोरोना संक्रमण के साये में चल रही फैक्ट्रियां, मजदूरों से लेकर मालिकों में डर

नई दिल्ली। कोरोना वायरस संक्रमण के गहराते प्रकोप के साये में देश के प्रमुख औद्योगिक नगरों में फैक्ट्रियां चल रही हैं, लेकिन मजदूरों से लेकर मालिकों में डर का माहौल बना हुआ है। हालांकि फैक्ट्रियों में एहतियाती कदमों के तौर पर सुरक्षा के इंतजामात का खास ध्यान रखा जा रहा है।

देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़कर 47 लाख के पार चले गए हैं और दुनिया में सबसे ज्यादा कोरोना के मामले वाले देशों की फेहरिस्त में अमेरिका के बाद भारत दूसरे स्थान पर है जहां रोजाना 90,000 से एक लाख के बीच संक्रमण के नये मामले आ रहे हैं।

लिहाजा, कल-कारखाने खुलने के बाद भी कोरोना का खौफ बना हुआ है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम क्षेत्र के कोराबारियों ने बताया कि फैक्ट्रियां चल रही हैं, लेकिन कोरोना को लेकर डर का माहौल बना हुआ है।

जानकार बताते हैं कि देश में कोरोना संक्रमण की जांच की सुविधा बढ़ने के साथ नये मामलों की संख्या में इजाफा हो रहा है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली स्थित मायापुरी इंडस्ट्रियल वेलफेयर एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी नीरज सहगल ने बताया, “कोरोना संक्रमण को लेकर डर का माहौल जरूर है लेकिन इस डर के साये में भी फैक्ट्रियों का कामकाज चल रहा है हालांकि एहतियाती कदम के तौर पर सुरक्षा के प्रबंधों का खास ख्याल रखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि मायापुरी औद्योगिक क्षेत्र में भी वायरस संक्रमितों के परीक्षण की व्यवस्था की गई है।”

औद्योगिक संगठनों के मुताबिक कोरोना काल में देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान फैक्टरियां बंद होने के साथ-साथ मांग और आपूर्ति श्रंखला भंग होने से एमएसएमई सेक्टर काफी प्रभावित हुआ है, इसलिए नुकसान को कम करने के लिए कारोबारी जद्दोजहद कर रहे हैं।

ओखला चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के चेयरमैन अरुण पोपली ने बताया, “छोटे-छोटे उद्योग की आर्थिक सेहत काफी खराब है और मौजूदा दौर उनके सामने अस्तित्व में बने रहने की चुनौती है, लिहाजा कोरोना का प्रकोप गहराने के बावजूद फैक्ट्रियां डिमांड व ऑर्डर के मुताबिक चल रही हैं लेकिन डर का माहौल बना हुआ है।”

हालांकि कोरोना के असर के चलते गार्मेंट व अपेरल सेक्टर की मांग काफी कमजोर बनी हुई है। गांधीनगर स्थित रामनगर रेडिमेड गार्मेट मर्चेट एसोसिएशन के प्रेसीडेंट एस.के. गोयल ने बताया, “कोरोना के प्रकोप गहराने से बाहर के व्यापारी अभी नहीं आ रहे हैं जिससे त्योहारी सीजन निकट आने के बावजूद फैक्ट्रियां में कामकाज काफी कम है।”

कोरोना काल मे अस्तित्व में आए औद्योगिक सगठन, वॉइस ऑफ एमएसएमई एंड ट्रैडर्स के सदस्य अश्विनी सचदेवा ने बताया, “एमएसएमई सेक्टर की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय है हालांकि सरकार की ओर से सेक्टर की मदद के लिए उठाए कदम सराहनीय हैं, मगर मौजूदा दौर में तो फिक्स्ड एक्सपेंडिचर निकालना भी मुश्किल हो रहा है। इस बीच कोरोना के मामले बढ़ने से और भय का माहौल बन गया है।”

फैक्टरियों के ये हालात न सिर्फ दिल्ली और आसपास के इलाके में हैं बल्कि पूरे देश के औद्योगिक क्षेत्र में कोरोना का खौफ बना हुआ है। ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने बताया, “कोरोना के मामले देश में बढ़ने से कामकाज पर असर पड़ने की आशंका बनी हुई। दाल मिलें भी एमएसएमई सेक्टर के अंतर्गत आती हैं। अभी तक दाल मिलें अपनी क्षमता का 60 फीसदी से ज्यादा का उपयोग नहीं कर रही हैं।

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