राजस्थान में 22 दिन से चल रहे सियासी ड्रामे में शुक्रवार को सीएम गहलोत खेमे के विधायकों को जयपुर से जैसलमेर शिफ्ट कर दिया गया। अब ये विधायक 14 अगस्त यानी विधानसभा सत्र शुरू होने तक यहीं रहेंगे। यहीं उनकी ईद मनेगी और यहीं रक्षाबंधन। राजस्थान की राजनीति के इस जादूगर को पता है कि अभी परस्थितियां बहुत मुश्किल हैं। गहलोत ने रणभूमि भले ही बदल दी हो लेकिन, बसपा के जिन 6 विधायकों को उन्होंने कांग्रेस में मिलाया था, उनका मामला हाईकोर्ट पहुंच गया। कोर्ट ने नोटिस भी जारी कर दिया है। अब अगर फैसला बसपा विधायकों के खिलाफ आता है तो गहलोत संकट में फंस सकते हैं।
गहलोत दावा कर रहे हैं कि उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं है। कांग्रेस 102 विधायकों के साथ होने की बात कर रही है। लेकिन, मौजूदा हालात में फ्लोर टेस्ट होने पर उनके लिए बहुमत साबित करना बड़ी चुनौती होगी। क्योंकि, पार्टी जिन 102 विधायकों की बात कर रही है, उनमें स्पीकर शामिल हैं। स्पीकर तब तक वोट नहीं दे सकते, जब तक दोनों पक्षों से बराबर वोट न पड़ें। इसमें कांग्रेस विधायक मास्टर भंवरलाल भी हैं, जो फिलहाल बीमार हैं। फ्लोर टेस्ट के दौरान उनका सदन में मौजूद रहना काफी मुश्किल है। यानी, ये संख्या पहले ही 100 तक आ जाती है।
अब अगर बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों का मामला कोर्ट में फंसता है तो गहलोत की मुश्किल बढ़ जाएगी है। कोर्ट में गुरुवार को बसपा ने अपील की कि इन विधायकों के बारे में कोर्ट जब तक फैसला नहीं सुनाता, तब तक इन्हें फ्लोर टेस्ट में किसी के पक्ष में वोट करने पर रोक लगाई जाए। ऐसा होने पर भी गहलोत की ही मुश्किल बढ़ेगी।